उत्तराखंड चाहता है पर्यावरण संरक्षण से हुए नुकसान की भरपाई
अधिसूचना के अनुसार, राज्य 1743 मेगावाट की 16 पनबिजली परियोजनाओं पर काम नहीं कर सकता। इसके कारण, राज्य को प्रतिवर्ष 3581 करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ेगा।
कार्यक्रम की एक आधिकारिक विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के कारण और गौमुख से उत्तरकाशी तक के क्षेत्र को पर्यावरणीय लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर दिए जाने के कारण सरकार को 4069 मेगावाट की 34 परियोजनाएं बंद करनी पड़ीं।
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन की कमी के कारण उत्तराखंड 1000 करोड़ रूपए की 800 मेगावाट बिजली खरीद रहा है। रावत ने कहा कि अगर पनबिजली परियोजनाओं का सदुपयोग संभव हो पाता तो उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जितनी बिजली का उत्पादन कर पाता। उन्होंने मांग उठाई कि गंगा नदी के संरक्षण के लिए राज्य द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के लिए राज्य को हुए नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए।