सबरीमला मंदिर में महिलाओं को जाने की अनुमति देने का फैसला 'अंतिम शब्द' नहीं : सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने केरल की महिला बिंदु अम्मिनी की याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करने को सहमति जताई है। बिंदु अम्मिनी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सबरीमला मंदिर में प्रवेश से रोका गया था। अम्मिनी की ओर से इंदिरा जयसिंह कोर्ट में पैरवी की।
अम्मिनी ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने की बात कही थी। इसके बावजूद उन्हें मंदिर में अंदर जाने से रोका गया।
मौलिक अधिकार का उल्लंघन प्रवेश से रोकना
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मामले को सुना। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल सितंबर में केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। फैसले में कहा गया था कि शारीरिक संरचना के आधार पर भेदभाव करना समानता के अधिकार जैसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
2018 का फैसला अंतिम शब्द नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल के सबरीमला में अय्यप्पा मंदिर में सभी उम्र की लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश की अनुमति वाला 2018 का फैसला "अंतिम शब्द" नहीं था क्योंकि इस मसले को सात सदस्यों वाली बड़ी बेंच के पास भेजा गया है। जयसिंह का कहना है कि उनकी मुवक्किल पर मंदिर प्रवेश के दौरान हमला किया गया जो कि 2018 के फैसले का उल्लंघन है।
एक अन्य महिला, फातिमा ने भी बुधवार को इसी तरह की याचिका के साथ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।