योगी के वेश में बेटा बनकर कर रहा था ठगी, झारखंड के हजारीबाग में गिरफ्तार
यह अपने किस्म के लव जेहाद जैसा है। कथित मां-बाप से प्यार के नाम पर धोका का है। किस्सा किसी फिल्मी पटकथा की तरह। किसी मां-बाप को 17 साल बाद उसका बेटा मिले तो जान न्योछावर करने को तैयार हो जाते हैं। हजारीबाग के झरपो गांव के पारा शिक्षक कौलेश्वर मिश्र का लापता बेटा योगी के रूप में सुबोध लौटा था। मगर किसी फिल्मी सीन की तरह दो-तीन माह में ही उसका राज खुल गया। वह योगी कोई योगी नहीं, ढोंगी था। शातिर ठग था। कौलेश्वर मिश्र का बेटा नहीं था बल्कि उत्तर प्रदेश का रहने वाला शफीक था। इस दौरान उसने कौलेश्वर मिश्र के कई परिजनों को ठगी का शिकार बनाया। राज खुला तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूलिस के सामने उसने अपना सच उगल दिया। स्वीकार किया कि सह सुबोध नहीं यूपी के गोंडा जिला का रहने वाला है।
किस्सा कुछ इस तरह है। बीते 15 अक्टूबर को शफीक योगी के रूप में भिक्षाटन करते हुए कौलेश्वर मिश्र के हजारीबाग के ही चौपारण स्थित ससुराल पहुंचा। उसका चेहरा 17 साल पहले घर से नाराज होकर निकले कौलेश्वर मिश्र के पुत्र सुबोध से मिलता जुलता था। लोगों ने उसे सुबोध के रूप में की तो उसने भी खुद को उसी के रूप में पेश किया। बेटे के वापस आने की खुशी में कौलेश्वर मिश्र अपनी पत्नी नगीना देवी के साथ अपने ससुराल पहुंचे और 17 अक्टूबर को उसे हजारीबाग के टाटीझरिया के करपो गांव ले आये। उसका दाढ़ी-बाल कटाया। बेटे के लौटने की खुशी में पूजा-पाठ कराया। संदेश गया कि मां से भीक्षा लेने आया है। घर में खूब स्वागत और मान मनौव्वल हुआ। तो उसने कहा कि गुरु से आदेश लेकर ही घर वापस लौटेगा। और आने के पहले उसे भंडारा करना होगा जिसमें काफी पैसे लगेंगे। उसके बाद वह घर आने जाने लगा। घर ही नहीं कौलेश्वर मिश्र की बहन, बेटी आदि के ससुराल भी आने-जाने लगा और कुछ-कुछ बोल झांसा देकर पैसे, गहने ऐंठता रहा। शनिवार को भी कौलेश्वर मिश्र की बड़ी बेटी के ससुराल चतरा जिला के सिमरिया पहुंचा था। भंडारा और सिद्धी के नाम पर 33 हजार रुपये मांग रहा था। लोगों को शक हुआ तो सख्ती बरती, पिटाई की तो उसने राज खोल दिये। तब लोगों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया।