फैसले को पलट भी सकते हैं हम: अरुणाचल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट
देश की शीर्ष अदालत ने कांग्रेसकी ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार करते हुए कहा, कई सारी चीजों को आपस में नहीं मिलाएं। यदि आप बहुत अधिक मिलाएंगे तो उन्हें अलग करना मुश्किल हो जाएगा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकीलों से पीठ ने कहा, मुझे लगता है कि आप बखूबी जानते हैं कि हम चीजों को पीछे ले जा सकते हैं। क्या आपने एसआर बोम्मई फैसले को नहीं पढ़ा है। वरिष्ठ अधिवक्ता फली एएस नरीमन ने संकट ग्रस्त राज्य के बाद के घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए एक अंतरिम आदेश की मांग की तब शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी की।
अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार की रात पुल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। विधानसभा सत्र बुलाने या इसे आगे बढ़ाने के राज्यपाल के विशेषाधिकारों से जुड़ी याचिकाओं पर पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि इसके पास नुकसान को दूर करने की शक्तियां हैं। न्यायमूर्मि जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, हम इन सब में नहीं पड़ सकते। हमें यह नहीं करना चाहिए लेकिन इस अदालत के पास चीजों को ठीक करने की शक्ति है। इस न्यायालय ने पहले भी यह किया है। यदि हम आपसे सहमत होते हैं तो हम फैसले को पलट सकते हैं। उन्हें वह करने दीजिए जो वह चाहते हैं। पीठ ने कहा कि इस मामले में फैसले का प्रभाव न सिर्फ अरूणाचल प्रदेश पर पड़ेगा बल्कि प्रत्येक राज्य को यह प्रभावित करने जा रहा है। यह एक नजीर होगा।
विधानसभा सत्र की तारीख आगे बढ़ाने और सदन का एजेंडा तय करने के राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों से जुड़ी याचिकाओं पर फैसले की घोषणा के बाद इन याचिकाओं की अब सुनवाई निर्धारित की गई है। पीठ राज्यपालों की संवैधानिक शक्तियों पर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अरूणाचल कांग्रेस नेताओं की ओर से पेश होते हुए नरीमन के विचार से सहमति जताई और कहा कि पुल के नेतृत्व वाली सरकार का शपथ ग्रहण सरकारों को अपदस्थ करने का एक नए तरह का तौर तरीका बनाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायक रह चुके पुल ने पार्टी से कोई बात किए बगैर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पीठ ने कहा कि यदि सदन भंग कर दिया जाता है तो भी हम चीजों को ठीक करेंगे, बशर्ते कि हम आपसे सहमत हों। और यदि हम आपसे सहमत नहीं होते हैं, तो चीजें इसी तरह से रहेंगी।
नरीमन और सिब्बल, दोनों ने ही दलील दी कि मामले में पक्षकार बना हुआ राज्यपाल कैसे एक नए मुख्यमंत्री को शपथ दिला सकता है जो कांग्रेस का नेता है और उन्हें नेता नियुक्त करने के बारे में पार्टी से कोई बात नहीं हुई है। सिब्बल ने आगे कहा कि पिछले शुक्रवार को शाम साढ़े छह बजे तक राज्य में राज्यपाल शासन हटा दिया गया और रात 10 बजे नए मुख्यमंत्री ने शपथ ली। इस अवधि के दौरान राज्य में कोई सरकार नहीं थी। यहां पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हुआ क्योंकि साढ़े तीन घंटे तक कोई सरकार नहीं थी। पीठ ने हालांकि कहा कि राज्यपाल के विवेकाधीन शक्तियों से जुड़े मामले को बंद करने के बाद वह इस विषय पर विचार करेगी।
गौरतलब है कि राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 47 विधायकों में से 21 बागी हो गए थे। बाद में, कांग्रेस के 14 विधायक अयोग्य घोषित कर दिए गए। केंद्रीय कैबिनेट के अरूणाचल में राष्ट्रपति शासन को हटाने की सिफारिश करने के फैसले के बाद शीर्ष न्यायालय ने 17 फरवरी को राजनीतिक रूप से अस्थिर राज्य में तब तक यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दिया, जब तक वह न्यायिक और कांग्रेस के 14 विधायकों को पूर्व स्पीकर नबाम रेबिया द्वारा अयोग्य किए जाने पर विधानसभा के रिकार्ड की छानबीन नहीं कर लेती।