कौन है "लाला" जिसने उड़ाई ममता की नींद, मछली बेचने वाले ने खड़ा किया 20,000 करोड़ का साम्राज्य
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनके रिश्तेदारों के ठिकानों पर कोयला तस्करी मामले में सीबीआइ की दबिश ने दीदी की नींद उड़ा दी है। इसका कनेक्शन वर्तमान में कोयला के सबसे बड़े माफिया लाला से जुड़ रहा है। लाला जिसने अवैध कोयले की ढुलाई से कोई 20 हजार करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। जानकार बताते हैं कि उसकी ममता की पार्टी के कई बड़े नेताओं से अच्छे रिश्ते रहे हैं। इसी सप्ताह चुनावी दौरे पर प.बंगाल पहुंचे अमित शाह ने ममता बनर्जी से सवाल किया था कि लाला से उनके क्या रिश्ते हैं। कोयले से राजस्व से केंद्र और राज्य दोनों को मिलता है फिर लाला के यहां रेड से परेशान क्यों हैं?
झारखण्ड के धनबाद से सटे पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के भामुरिया में एक गरीब परिवार में जन्में लाला का असली नाम अनूप मांझी है। उसका जन्म भामुरिया में हुआ मगर परवरिश आसनसोल के सालानपुर इलाके में हुई। सात भाई -बहन थे। लाला पहले मछली बेचने का काम करता था अब झारखण्ड और बंगाल का सबसे बड़ा कोयला माफिया माना जाता है। बीस हजार करोड़ से अधिक का साम्राज्य खड़ा हो गया है।
ऐसे चलाता है अवैध धंधा
उसने कुछ बड़ा करने के लिए कुछ मित्रों के साथ जलाने में इस्तेमाल होने वाले कोयला के गुल की फैक्ट्री लगाई। उसका निशाना बड़ा था, उसकी नजर कोयला के धंधे पर पड़ी और ईस्टर्न कोल फील्ड के सोदपुर क्षेत्र के परबेलिया भूमिगत खदान से कोयले की चोरी शुरू की। और देखते देखते अपना आधिपत्य कायम किया। बाद में बंगाल के कोलियरी और धनबाद के भी कई कोल डिपो से उसके अवैध कोयला बिना कागजात बंगाल और झारखण्ड से बिहार, उत्तर प्रदेश के रास्ते से जाने लगा। सीबीआइ की रेड और पड़ताल से जाहिर हुआ कि गाड़ी के जरूरी दस्तावेज के बदले रुक्का की तरह नोट काम करते थे। दस, पचास और सौ के नोट। ये नोट और नंबर के साथ चालान की फोटो कापी दिखाने के बाद चेक पोस्ट से गाड़ी बिना रुकावट आगे बढ़ जाती। पूरा सिंडिकेट व्यवस्थित तरीके से चलता था। नेताओं और अधिकारियों तक चढ़ावा शुरू हुआ और देखते देखते हुए उसके कारोबार को पर लग गये।
सीबीआई ने कसा शिकंजा
पिछले साल नवंबर में सीबीआइ ने झारखण्ड, बंगाल, बिहार सहित चार राज्यों में चालीस स्थानों पर कोयला रैकेट से जुड़े माफियाओं के खिलाफ छापेमारी की थी। इनमें प्रमुख नाम है लाला और उसके दायें हाथ जयदेव मंडल का था। नवंबर में ही सीबीआइ, रेवेन्यु इंटेलिजेंस और प्रवर्तन निदेशालय में जब लाला के झारखण्ड और बंगाल के बीस ठिकानों पर छापे मारे तो बीस हजार करोड़ रुपये से अधिक के अवैध कोयला कारोबार के दस्तावेज मिले थे। पता चला कि लंदन, दुबई, जेनेवा, कुआलालम्पुर, सिंगापुर, बर्लिन, म्यूनिख उसके छुपने के ठिकाने बन गये हैं। रात के अंधेरे में लाला के कोयला ट्रक झारखण्ड से बंगाल और दूसरे प्रदेशों में जाते हैं मगर उन्हें कोई नहीं रोकता। बंद हो चुके खदान में अवैध तरीके से कोयले की निकासी इनका बड़ा कारोबार था।
दरअसल धनबाद के एसएसपी असीम विक्रांत मिंज ने लाला और मंडल को घेरने के लिए नकली ट्राफिक पोस्ट बनाकर जाल बिछाया। । तब बंगाल से उत्तर प्रदेश भेजे जा रहे अवैध कोयला लदे नौ ट्रक पकड़े गये और लाला व मंडल का गोरख धंधा खुलकर सामने आया। पुलिस दोनों को 2006 से ही पकड़ने का प्रयास कर रही है। 2011 में कोलकाता पुलिस के हत्थे एक करोड़ रुपये और हथियार के साथ चढ़ा था मगर जमानत मिल गई। जानकार बताते हैं कि मांझी आज दो दर्जन औद्योगिक इकाइयों का मालिक है। और हजारों श्रमिक उसकी कंपनियों में काम करते हैं।
रॉबिन हुड की छवि और फिल्मी कनेक्शन
शानो-शौकत की जिंदगी जीने वाले लाला ने अपने इलाके में रॉबिन हुड की छवि बना रखी है। बंगाल के पुरुलिया स्थित अपने गांव भामुरिया जो झारखड के धनबाद से करीब है में सामाजिक सरोकार के काम खूब करता है। गरीबों को शादी विवाह, बीमारी में मदद, गरीबों के बीच कपड़े और अनाज का वितरण, नेत्र जांच, रक्तदान शिविर लगवाकर आम आदमी के बीच अपनी पैठ बना रखी है। अपने गांव में हर साल दुर्गापूजा का भव्य तरीके से आयोजन कराता है। जानकार बताते हैं 2015 में दुर्गा पूजा के दौरान उसने हिमेश रेशमिया, अमीषा पटेल, शब्बीर कुमार, सोनू कक्ड़ जैसे कलाकारों को भी बुलाया था तो 2018 में शिल्पा शेट्टी और 2019 में जूही चावला पूजा में मुख्य आकर्षण थीं। पूजा पंडाल का उद्घाटन जूही चावला और पश्चिमांचल उन्नयन परिषद के मंत्री शांति राम महतो ने किया था।