प्रशांत-योगेंद्र ने क्या लिखा खत में
अरविंद केजरीवाल के विश्वस्त लोगों के दावे का प्रतिवाद करते हुए कि यादव-भूषण ने स्वेच्छा से पद से हटने की पेशकश की थी, यादव ने कहा कि नोट के अंत में दोनों ने कुछ मांगें रखी थीं जिसमें उन्होंने कहा कि इन मांगों को स्वीकार कर लिए जाने पर वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे देंगे और दूसरे पद भी छोड़ देंगे।
इसमें कहा गया, अगर इन्हें स्वीकार किया जाता है तो हम दोनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी को खुशी-खुशी छोड़ देंगे और पार्टी के दूसरे पदों एवं जिम्मेदारियों को भी छोड़ देंगे।
पत्र में लिखा है, इसमें राष्ट्रीय अनुशासन समिति की कुर्सी प्रशांत भूषण के मामले में और मुख्य प्रवक्ता एवं हरियाणा प्रभारी का पद योगेन्द्र यादव के मामले में शामिल है। पार्टी का साधारण सदस्य होना ही हम दोनों के लिए बड़े सम्मान की बात है।
पांच बिंदुओं वाले नोट में हमने पार्टी में गतिरोध खत्म करने के प्रस्ताव दिए जिसमें हमने मांग की कि पार्टी स्वेच्छा से आरटीआइ को स्वीकार करे, कार्यकर्ताओं को मुख्य निर्णय करने में शामिल करे, आचार संहिता को बनाए रखने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त को सक्रिय करे, राज्य इकाइयों की स्वायत्तता सुनिश्चित करे और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रिक्त पदों को राष्ट्रीय परिषद द्वारा गुप्त मतदान से भरा जाए।
इस बीच, संजय सिंह ने एक ट्वीट कर कहा कि उन्हें योगेंद्र यादव ने फोन किया और कहा कि वह हम पर विश्वास नहीं करते। सिंह ने ट्वीट किया, जो कुछ हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। योगेंद्र भाई का कहना है कि वह हम पर विश्वास नहीं करते। उन्होंने मुझे शाम सवा छह बजे आज फोन करके कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हम 28 मार्च को राष्ट्रीय परिषद बैठक में उनके प्रस्ताव के बारे में सकारात्मक कुछ भी करेंगे।
उन्होंने कहा, मैंने और कुमार विश्वास ने भी पीएसी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफे का प्रस्ताव रखा था। जब रुख में कई सारे विरोधाभास होते हैं तो हमें मंशा पर शक होता है।