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19 May 2018

क्या होता है फ्लोर टेस्ट और कैसे होती है विधानसभा में वोटिंग

कर्नाटक विधानसभा. एएनआई.

कर्नाटक चुनाव के सियासी खेल का कांटा अब फ्लोर टेस्ट पर आकर रुका है। मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके बीएस येदियुरप्पा को कर्नाटक विधानसभा में शनिवार शाम 4 बजे अपना बहुमत सिद्ध करना है।

क्या होता है फ्लोर टेस्ट?

फ्लोर टेस्ट या शक्ति परीक्षण, बहुमत साबित करने की प्रक्रिया है। इसमें विधायक स्पीकर या प्रोटेम स्पीकर के सामने अपनी पार्टी के लिए वोट करते हैं। अगर एक से ज्‍यादा दल सरकार बनाने का दावा करते हैं लेकिन बहुमत स्पष्ट न हो तो ऐसी स्थिति में राज्‍यपाल किसी एक को बहुमत स‍बित करने को कहता है, जैसा इस केस में भाजपा को राज्यपाल वजुभाई वाला ने बुलाया। (गोवा, मणिपुर की बात नहीं करेंगे!)

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ऐसे में सदन में विशेष बैठक होती है, जिसमें सभी विधायकों को बहुमत चुनाव के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस बैठक में विधायकों का आना जरूरी नहीं है। अगर कोई नहीं आना चाहता तो वह ऐसा कर सकता है, हालांकि व्हिप जारी होने पर आना जरूरी होता है वरना कार्रवाई हो सकती है।

ध्वनि मत, ईवीएम या बैलेट बॉक्स से होता है निर्णय

फ्लोर टेस्ट ध्‍वनिमत, ईवीएम द्वारा या बैलट बॉक्स किसी भी तरह से किया जा सकता है। यदि दोनों पार्टी को वोट बराबर मिलते हैं तो ऐसे में स्पीकर अपनी पसंदीदा को वोट करके सरकार बनवा सकता है। वोटिंग होने की सूरत में पहले विधायकों की ओर से ध्वनि मत लिया जाएगा। इसके बाद कोरम बेल बजेगी। फिर सदन में मौजूद सभी विधायकों को पक्ष और विपक्ष में बंटने को कहा जाएगा। विधायक सदन में बने ‘हां’ या ‘नहीं’ वाले लॉबी की ओर रुख करते हैं। इसके बाद पक्ष-विपक्ष में बंटे विधायकों की गिनती की जाएगी। फिर स्पीकर परिणाम की घोषणा करेंगे। हालांकि कई बार ध्‍वनिमत से फ्लोर टेस्‍ट करवाने या विधायकों की सदस्‍यता रद्द कर बहुमत परीक्षण के दौरान गड़बड़ी होने के कई केस सामने आ चुके हैं।

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TAGS: floor test, process of voting, karnataka
OUTLOOK 19 May, 2018
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