मोदी-महबूबा की भेंट से कितने सुलझेंगे घाटी के हालात
कश्मीर में हिंसा की ताजा घटनाओं के कारण निशाने पर आईं महबूबा ने मोदी को क्षेत्र में जारी हालात की जानकारी दी और आगे की चर्चा की। महबूबा ने प्रधानमंत्री को बताया कि केंद्र को राज्य के कल्याण के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। महबूबा ने कहा, बातचीत के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
गौरतलब है कि रविवार को देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की प्रधानमंत्री के साथ बैठक हुई थी और इसमें भी प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर की हालात की चर्चा की थी। खुद महबूबा मुफ्ती ने भी इस बैठक में अन्य मुख्यमंत्रियों से अपील की थी कि वे जम्मू-कश्मीर के छात्रों से समय-समय पर सीधा संपर्क स्थापित करें।
कश्मीर में स्थिति कैसी है इसका अंदाजा इस एक तथ्य से लगाया जा सकता है कि राज्य में हाल में श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के लिए हुए उप चुनाव में कुल वोटिंग का प्रतिशत दहाई अंक में भी नहीं पहुंच पाया। राज्य में इतनी कम वोटिंग इससे पहले कभी नहीं हुई थी। इस चुनाव में पीडीपी की करारी हार हुई जिससे महबूबा मुफ्ती का परेशान होना स्वाभाविक है। इसके अलावा घाटी के अतिवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई को लेकर राज्य की भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार में गंभीर मतभेद उभर आए हैं। दोनों पार्टियों के बीच दरार इतनी बढ़ गई कि हालिया विधानपरिषद चुनाव में दोनों पार्टियों ने एक अनिश्चित सीट के लिए अलग-अलग उम्मीदवार खड़े किए और भाजपा ने पीडीपी के एक विधायक की क्रास वोटिंग की मदद से लॉटरी के जरिये वो सीट जीत ली। जाहिर है इससे भी महबूबा बेहद नाराज हैं।
भाजपा के मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा ने हाल ही में कड़ी कार्रवाई की बात की थी। उन्होंने कहा था, देशद्रोहियों और पथराव करने वालों का गोलियों से जवाब दिया जाना चाहिए। उनके इस बयान पर पीडीपी ने नाराजगी जताई थी। पीडीपी के वरिष्ठ नेता पीरजादा मंसूर ने बाद में एक बयान में कहा था, इस तरह के बयान न सिर्फ राज्य के कुछ कट्टर नेताओं की घृणित मानसिकता को दर्शाते हैं बल्कि खास तत्वों की मंशा का भंड़ाफोड़ भी करते हैं जो चाहते हैं कि कश्मीर में नई मुसीबत पैदा हो और कश्मीरी शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में पिछड़ जाएं।
इन घटनाओं की पृष्ठभूमि में महबूबा मुफ्ती और नरेन्द्र मोदी की मुलाकात अहम बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि मोदी ने मुफ्ती को आश्वस्त किया है कि इन समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा। हालांकि मोदी इसमें कितनी मदद कर पाएंगे यह देखने वाली बात होगी क्योंकि उनकी पार्टी ने कल ही यह साफ कर दिया था कि पत्थरबाजी और अलगाववाद के मुद्दे पर भाजपा किसी दबाव में नहीं आएगी।