दुनिया की पांचवीं सबसे लंबी राजतंत्रीय व्यवस्था, डॉक्यूमेंट्री के बहाने नागवंश की याद
बिरासत, संस्कृति, भव्यता हमेशा आकर्षण का केंद्र रहे हैं तो टूटती हुई कड़ी बिखरते हुए अवशेष टीस की वजह। भारत की सबसे लंबी राजतंत्रीय व्यवस्था छोटानागपुर के नागवंशी राजाओं का किस्सा भी कुछ इसी तरह का है। नागवंश राजतंत्र की विरासत अंतिम राजधानी रातू फोर्ट (रांची) एक डाक्यूमेंट्री के जरिये इसे समेटने की कोशिश की गई है। नाम है '''नागवंश एंड इट्स लास्ट किंगडम-रातू फोर्ट'। संभवत: पहली बार इलेक्ट्रानिकली डाक्युमेंटेशन हुआ। करीब 120 साल पहले निर्मित खुद रातू किला की दीवारें अपनी समृद्ध विरासत की कहानी बयां करती है। जनजाजीय मामलों में मर्मज्ञ प्रो.गिरधारी लाल गौंझू (हाल में निधन), शोधकर्ताओं और परिवार के सदस्यों, साक्ष्यों की पड़ताल के साथ इसे दस्तावेज का रूप दिया गया है। रातू किला परिसर में ही इस डाक्युमेंट्री का दो दिन पहले प्रिमियर शो किया गया। अभी भी इस रातूगढ़ में 103 कमरे हैं। वर्किंगघम पैलेस की तरह। रातू स्टेट संभालने वाली विजय गढ़ की राजमाता राजकुमारी माधुरी मंजरी देवी (62 वें और अंतिम महाराजा चितामणि शरण नाथ शाहदेव की सबसे बड़ी पुत्री) कहती हैं कि करीब डेढ़ सौ स्टाफ अब भी हैं।
राजा उदय प्रताप नाथ शाहदेव ने आधी रांची को जमीन देकर बसाया। रांची विवि, जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स, गोस्नल कॉलेज, रांची क्लब, पेपे कंपाउंड और इसी तरह के दूसरे अनेक संस्थान। करीब दस हजार एकड़ में बसा मैक्लुस्कीगंज भी रातू महाराज की जमीन पर है। मगर उनके नाम पर रांची में एक मूर्ति तक नहीं है। माधुरी मंजरी देवी को इसकी टीस भी है। रातू का किला नागवंशीय शासन काल का छठा और अंतिम किला है। इससे पहले सुतियांबेगढ़, चुटियागढ़, खुखरागढ़, नवरतनगढ़ तथा पालकोटगढ़़ नागवंश की शासन व्यवस्था का केंद्र रहा। कई किले अब अवशेष के रूप में ही हैं।
कुमार आदित्य नाथ शाहदेव (रांची विवि के वित्त पदाधिकारी) के अनुसार नागवंशी राजाओं ने जनता से कभी टैक्स नहीं लिया। बिना राजस्व दो हजार साल एक राज्य को संचालित करना अपने आपने आप में अजूबा है। कैप्टेन कैमेक ने स्वीकार ही नहीं किया कि एक राज्य व्यवस्था दो हजार साल तक बिना टैक्सेशन के कैसे चल सकता है।
हाउस ऑफ डुलो (बुल्गारिया), 2890 साल, यामातो (जापान) 2669 साल, हॉंगबैंग (बियतनाम) 2639 साल, गोजोशियोन (कोरिया) 2225 साल के बाद नागवंशी 1931 साल शासन करने वाली दुनिया की पांचवीं सबसे लंबी राजतंत्रीय व्यवस्था रही। 62 नागवंशीय महाराजाओं की श्रृंखला में पहले फणिमुकुट राय थे जिन्हें शासन की बागडोर महाराज मदरा मुंडा से प्राप्त हुई थी। इनका शासन सन् 83 में सुतियांबेगढ़ से शुरू हुआ और 62 वें महाराज चिंतामणि नाथ शाहदेव के साथ रातूगढ़ आकर समाप्त हुआ। 61 वें महाराज प्रताप उदयनाथ शाहदेव ने रातू किले का निर्माण कराया था। फिल्म के निदेशक डॉ सुशील अंकन कहते हैं कि इसके निर्माण का मकसद नागवंश के शासन परंपरा की अपनी थाती से जनता को अवगत कराना है।