यूपी में खत्म होगी कोटेदारी व्यवस्था: योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब वे सांसद थे, तब उन्हें कुशीनगर में भूख से हुई लोगों की मृत्यु पर काफी दुख हुआ था। इसीलिए जब वह मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने राशन कार्डों का सत्यापन कराया और उन्हें आधार से लिंक कराया। अब तक 30 लाख से अधिक फर्जी राशन कार्ड प्राप्त हुए, जिन्हें निरस्त कराया गया। उन्होंने कहा कि राशन की दुकानों में ई-पॉस मशीन लगवायी। 13 हजार मशीन लगने के बाद करीब 350 करोड़ रुपए की बचत हुई। जब प्रदेश के सभी 80 हजार कोटे की दुकानों में मशीनें लग जाएंगी तो दो हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राशन वितरण व्यवस्था में बीच के लोगों को अलग करने के लिए कार्य किया जा रहा है, जिससे रुपए सीधे लाभार्थी के खाते में जाएं और वे अपनी इच्छानुसार खुले बाजार से कहीं से भी अनाज ले सकें। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े बताते हैं कि तकनीक को अपनाकर ही भ्रष्टाचार पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है।
यह बातें उन्होंने साइंटिफिक कन्वेंशन सेण्टर केजीएमयू में पोषण अभियान और सुपोषण स्वास्थ्य मेले के शुभारम्भ अवसर पर कहीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के छह विभागों (आईसीडीएस, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्राम्य विकास, खाद्य एवं रसद और पंचायतीराज) के समन्वय से पोषण अभियान और सुपोषण स्वास्थ्य मेले की शुरुआत की जा रही है।
पोषण अभियान का उद्देश्य जीरो से छह वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की रोकथाम, बौनापन एवं व्याप्त एनीमिया की स्थिति में सुधार, 15 से 49 वर्ष की किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता में कमी लाना और जन्म के समय बच्चों के कम वजन की स्थिति में प्रतिवर्ष दो से तीन प्रतिशत की कमी लाना है। राज्य सरकार ने प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को प्रदेश में कुल 21 हजार 730 उपकेन्द्रों पर स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण दिवस की ब्राण्डिंग करते हुए ‘सुपोषण स्वास्थ्य मेले’ के आयोजन का अभिनव प्रयोग किया है। बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने कहा कि कुपोषण से सम्बन्धित प्रदेश के आंकड़े भी पूरे भारत के आंकड़ों की तुलना में कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में बौनेपन का प्रतिशत 38.40 है, तो उत्तर प्रदेश में 46.30 प्रतिशत है। इसी प्रकार पूरे भारत में 58.40 प्रतिशत अल्परक्तता के सापेक्ष उत्तर प्रदेश में 63.20 प्रतिशत अल्परक्तता है। इस सबका एक प्रमुख कारण जन्म के बाद शुरुआती दो वर्षों तक बच्चों का समुचित पोषण न होना है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में माताओं द्वारा आयरन टैबलेट सेवन का प्रतिशत 30.3 है, जबकि प्रदेश में मात्र 12.9 प्रतिशत है। कुपोषण को दूर करने के लिए सभी को इस मिशन को जनान्दोलन से जोड़ना होगा।
इस दौरान केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास सचिव राकेश कुमार श्रीवास्तव, नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पाल, प्रमुख सचिव बाल विकास मोनिका एस गर्ग सहित आदि मौजूद थे।