योगी सरकार ने पलटा फैसला, अब मदरसों में लागू नहीं होगा ड्रेस कोड
मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने का फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के हस्तक्षेप के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पलट दिया है। अल्पसंख्यक कल्याण और मुसलिम वक्फ हज मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने इस प्रकार के किसी भी प्रस्ताव से इनकार किया है। हालांकि अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा अपनी बात पर कायम हैं। अब वह इसे अपना खुद का प्रस्ताव बता रहे हैं।
पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद पलटा फैसला
मदरसों में शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं, लेकिन मंगलवार को राज्यमंत्री अल्पसंख्यक कल्याण मोहसिन रजा के मदरसों में ड्रेस कोड सिस्टम लागू करने के बयान के बाद मौलाना और उलेमा ने विरोध शुरू कर दिया। मामले के तूल पकड़ने के बाद इसमें पीएमओ ने भी हस्तक्षेप किया, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने इस तरह का कोई भी प्रस्ताव नहीं होने का बयान देकर मोहसिन रजा के बयान का खंडन किया। हालांकि पूरे मामले में राज्य सरकार की किरकिरी हुई।
इस तरह का कोई निर्देश शासन स्तर से प्राप्त नहीं हुआ: राहुल गुप्ता
मामले में मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार, राहुल गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित मदरसों में किसी प्रकार का ड्रेस कोड निर्धारित किए जाने का प्रस्ताव परिषद की किसी भी बैठक में विचारार्थ प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही इस तरह का कोई निर्देश शासन स्तर से प्राप्त हुआ है।
मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं, यह मेरा एक सुझाव है: मोहसिन रजा
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा का कहना है, मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं। यह मेरा एक सुझाव है। हमारे समाज को जिस तरह से प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि हम उनको मुख्य धारा में जोड़ना चाहते हैं, तो हम उसी पर हैं। मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें ड्रेस कोड देना होगा। बच्चे क्लास रूम में छात्र बनकर जाएंगे तो एक फील आएगा। इसके लिए हम सरकार को प्रस्ताव देंगे, क्योंकि यह हमारा ही प्रपोजल है। ऐसा नहीं है कि सरकार का निर्णय हो गया है। इसको इसलिए रखेंगे, क्योंकि उन्हें अलग-थलग नहीं छोड़ सकते।
'कुर्ता-पजामा हमारा धार्मिक ट्रेडिशनल ड्रेस नहीं है'
अल्पसंख्यक राज्यमंत्री होने के नाते जिस तरह से हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं, हमने जिस तरह से योगी जी के नेतृत्व में एनसीईआरटी की शिक्षा लागू की है। अगर मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ में सामाजिक शिक्षा और उन्हें ड्रेस कोड मिलेगा, उनके परिवार के लोग भी खुद को गौरवान्वित करेंगे। कुर्ता-पजामा हमारा धार्मिक ट्रेडिशनल ड्रेस नहीं है।