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01 May 2025

सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच याचिका खारिज की, कहा - क्या आप सुरक्षाबलों का मनोबल तोड़ना चाहते हैं?

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं को अदालत ने गुरुवार को सख्त टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया। इन याचिकाओं में एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित कर हमले की जांच कराने की मांग की गई थी। 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता हतेश कुमार साहू को फटकारते हुए कहा, "ऐसी जनहित याचिकाएं दायर करने से पहले जिम्मेदारी दिखाइए। देश के प्रति भी कुछ कर्तव्य होते हैं। क्या इस तरह से आप सुरक्षाबलों का मनोबल तोड़ना चाहते हैं?

याचिका में केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, सीआरपीएफ और एनआईए को यह निर्देश देने की भी अपील की गई थी कि वे पहाड़ी और संवेदनशील इलाकों सहित सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों पर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस एक्शन प्लान तैयार करें। इसमें वास्तविक समय में निगरानी, खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया टीमों की तैनाती जैसे उपायों का सुझाव दिया गया था।

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पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, सेवानिवृत्त न्यायाधीश केवल मामलों का निर्णय कर सकते हैं, वे जांच नहीं कर सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया, "इस संबंध में हम कोई आदेश पारित नहीं कर सकते। जहां उचित समझें, वहां जाएं। बेहतर होगा कि आप इस याचिका को स्वयं ही वापस ले लें।"

साहू ने यह तर्क रखा कि उनकी चिंता जम्मू-कश्मीर से बाहर पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा को लेकर है, क्योंकि हमले में अन्य राज्यों से आए पर्यटक मारे गए थे। इस पर अदालत ने याचिका का अवलोकन करते हुए कहा कि उसमें छात्रों की सुरक्षा को लेकर कोई भी ज़िक्र नहीं किया गया है। याचिका में सिर्फ सुरक्षा बलों और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी। वकील ने निवेदन किया, "कम से कम उन छात्रों के लिए कुछ सुरक्षा उपाय... जो जम्मू-कश्मीर से बाहर शिक्षा ले रहे हैं।"

लेकिन पीठ वकील की इस दलील से सहमत नहीं हुई और कहा, “क्या आपको पता है आप आखिर मांग क्या रहे हैं? पहले आप जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज चाहते हैं, फिर दिशा-निर्देश, फिर मुआवजा, फिर प्रेस काउंसिल को निर्देश देने की मांग करते हैं। हमें रात में यह सब पढ़ना पड़ता है और अब आप छात्रों की बात कर रहे हैं।”

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को यह स्वतंत्रता दी कि वे संबंधित हाई कोर्ट में जम्मू-कश्मीर के छात्रों की सुरक्षा को लेकर याचिका दायर कर सकते हैं।

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TAGS: pahalgam terror attack, Supreme Court, public interest litigation, PIL dismissal, retired judge investigation demand, Jammu and Kashmir security, CRPF, NIA, Central Government response, judicial commission student safety security forces, supreme court verdict
OUTLOOK 01 May, 2025
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