दिल्ली में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, 8 हफ्तों में आश्रय में स्थानांतरित करें
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगले आठ हफ्तों के भीतर दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर विशेष आश्रय स्थलों में स्थानांतरित किया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एक बार आश्रय में ले जाए गए किसी भी कुत्ते को दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। इस आदेश का उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाना और लोगों को कुत्तों के काटने से होने वाली रेबीज़ जैसी घातक बीमारी से बचाना है।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले को उठाया था। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हर दिन सैकड़ों कुत्तों के काटने की घटनाएँ सामने आ रही हैं, जिसके कारण रेबीज़ के मामले बढ़ रहे हैं। खासकर बच्चे और बुजुर्ग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। कोर्ट ने नगर निगम और अन्य संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे समन्वय के साथ आठ हफ्तों के भीतर पर्याप्त आश्रय सुविधाएँ स्थापित करें ताकि कुत्तों को सड़कों से हटाया जा सके।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने इस समस्या से निपटने के लिए पहले ही कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस महीने की शुरुआत में एमसीडी ने घोषणा की कि वह अपने पशु जन्म नियंत्रण केंद्रों को अपग्रेड करेगा और क्षेत्र-वार रेबीज़ जागरूकता अभियान चलाएगा। एमसीडी ने बताया कि उनके केंद्र, जो विभिन्न एनजीओ के सहयोग से चल रहे हैं, जल्द ही कुत्तों में माइक्रोचिप लगाना शुरू करेंगे। इन चिप्स के जरिए कुत्तों की नसबंदी की स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज की जाएगी, जिससे उनकी निगरानी और ट्रैकिंग आसान होगी। इसके अलावा, इन केंद्रों में नियमित स्वास्थ्य जाँच, जैसे रक्त परीक्षण, भी किए जाएंगे।
4 अगस्त को एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की उप-समिति की बैठक में ये निर्णय लिए गए, जिसमें पर्यावरणविद् और बीजेपी नेता मेनका गांधी और स्टैंडिंग कमेटी की अध्यक्ष सत्या शर्मा शामिल थीं। मेनका गांधी ने जोर देकर कहा कि जन्म नियंत्रण केंद्रों में प्रशिक्षित कर्मचारी, आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ और उचित निगरानी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि नसबंदी प्रक्रिया मानवीय और प्रभावी हो। उन्होंने पशु कल्याण समूहों, अनुभवी एनजीओ और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर एक दीर्घकालिक योजना बनाने की वकालत की। सत्या शर्मा ने कहा कि एमसीडी पशु कल्याण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपना रही है, और सभी संबंधित एजेंसियों व विशेषज्ञों की मदद से ठोस कार्रवाई की जा रही है।
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