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24 December 2024

सामाजिक न्याय मंत्रालय का टारगेट, 2025 में भारत होगा मैला ढोने की प्रथा से मुक्त!

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय 2024 में किए गए अपने जमीनी कार्यों के आधार पर अगले साल देशभर में मैला ढोने की प्रथा से मुक्त होने और दिव्यांगों के लिए सुविधाएं सुगम बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

यूं तो मंत्रालय बार-बार कहता है कि देश में अब मैला ढोने की कुप्रथा नहीं बची है, लेकिन देश के केवल 257 जिलों ने केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपने मैला ढोने से मुक्ति के प्रमाणपत्र डाले हैं। मंत्रालय ने बाकी जिलों से भी अपनी स्थिति से जल्द अगवत कराने को कहा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम’ (नमस्ते) योजना के तहत 54,574 सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों के प्रोफाइल बनाए गए हैं, जिनमें से 37,060 (67 प्रतिशत) अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। मंत्रालय का लक्ष्य अगले साल उनके पुनर्वास को प्राथमिकता देना है।

अधिकारी के मुताबिक 2025 में ‘नमस्ते’ योजना का और विस्तार किया जाएगा तथा देशभर में कचरा बीनने वाले ढाई लाख लोगों के प्रोफाइल बनाए जाएंगे।
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उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में कचरा बीनने वालों को व्यावसायिक सुरक्षा का प्रशिक्षण, आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा और कचरा इकट्ठा करने के वाहनों समेत आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए आर्थिक मदद मिलेगी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘योजना में कचरा बीनने वालों को शामिल करना उनके जीवन और कामकाजी स्थितियों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’

योजना के तहत मशीन से इस तरह की सफाई के प्रयासों को बढ़ाया जाएगा जिनसे सफाईकर्मियों को खतरा हो। इससे सीवर में कर्मियों की मौत के मामलों को रोका जा सकेगा जो चिंता का विषय है।

अगले साल की शुरुआत में मंत्रालय की ‘ट्यूलिप’ (परंपरागत कारीगरों का उत्थान और आजीविका संवर्धन कार्यक्रम) पहल के तहत एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की शुरुआत की जाएगी। परंपरागत कलाकारों की मदद के लिए यह योजना शुरू की गई।

एक अधिकारी ने कहा कि भिक्षावृत्ति में लगे लोगों और ट्रांसजेंडर समुदाय की मदद के लिए संचालित ‘स्माइल’ योजना के तहत पुनर्वास प्रयासों का विस्तार अगले साल 50 नए शहरों में किया जाएगा।

ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए ‘गरिमा गृह’ आश्रयस्थल की भी योजना है।

शासन संबंधी अंतरालों को पाटने पर ध्यान देते हुए मंत्रालय पर दिव्यांगजन के लिए मुख्य आयुक्त के पद को भरने का दबाव है, जो 2019 से खाली पड़ा है।

दिसंबर में इस पद के लिए नए विज्ञापन जारी किए गए और अधिकारियों ने संकेत दिया कि 2025 में स्थायी नियुक्ति की जा सकती है।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए ‘अटल वयो अभ्युदय योजना’ का विस्तार किया जाएगा जिसमें और अधिक एकीकृत देखभाल केंद्र एवं उन्नत सहायक सेवाएं जोड़ी जाएंगी।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के 2025 के एजेंडा में कौशल विकास एक अहम पहलू रहेगा। ‘पीएम-दक्ष’ योजना में उद्योग से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा जिसमें अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों और गैर-अधिसूचित जनजातियों के लोगों में रोजगार बढ़ाने के लिए नौकरी करते हुए प्रशिक्षण पर ध्यान दिया जाएगा।

‘श्रेयस’ और ‘श्रेष्ठ’ जैसे शिक्षण कार्यक्रमों का भी विस्तार किया जाएगा जिनमें और अधिक छात्रवृत्ति दी जाएगी तथा वंचित तबकों के छात्रों के लिए गुणवत्ता वाली शिक्षा तक उन्नत पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी।

मंत्रालय अपनी विभिन्न पहलों को लागू करने की तैयारी कर रहा है, ऐसे में अधिकारियों ने जवाबदेही और डेटा-आधारित नीति निर्माण के महत्व पर प्रकाश डाला।

‘पीएम-सूरज’ जिसे 2024 में शुरू किया गया था, कल्याणकारी उपायों को एकीकृत करने और कार्यक्रम के परिणामों की निगरानी करने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा।

अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2025 के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप के साथ, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का लक्ष्य ढांचागत अंतराल को पाटना, समावेश का विस्तार करना और देश भर में हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाना है।

 

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TAGS: Ministry of Social Justice, manual scavenging, practice of manual scavenging, Narendra Modi
OUTLOOK 24 December, 2024
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