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01 October 2023

मुकदमा लंबित होने पर नहीं होगी आजीवन कारावास’, बाम्बे HC ने दोहरे हत्याकांड के आरोपी को दी जमानत

बाम्बे उच्च न्यायालय ने दोहरा हत्याकांड के एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति को मुकदमे के लंबित रहने की वजह से अनिश्चित काल तक कैद में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह भारत के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने मामले के आरोपी आकाश सतीश चंडालिया को 26 सितंबर को जमानत दे दी. पुणे जिले की लोनावाला पुलिस ने चंडालिया को दोहरे हत्याकांड और साजिश के आरोप में सितंबर 2015 में गिरफ्तार किया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी पर लगे आरोपों की गंभीरता और मुकदमे के समापन में लगने वाले लंबे समय के बीच संतुलन बनाना होगा।

एकल पीठ ने कहा, ‘‘किसी अपराध की गंभीरता और उसकी जघन्य प्रकृति एक पहलू हो सकती है, जो किसी आरोपी को जमानत पर रिहा करने के विवेक का प्रयोग करते समय विचार करने योग्य है, लेकिन साथ ही, एक आरोपी को विचाराधीन कैदी के रूप में लंबे समय तक जेल में रखने के तथ्य को भी उचित महत्व दिया जाना चाहिए।’’

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अदालत ने आगे कहा कि मुकदमे के लंबित रहने के कारण किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है और यह स्पष्ट रूप से संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा, समय-समय पर किसी आरोपी को रिहा करने के विवेक का इस्तेमाल करने के लिए एक न्यायसंगत आधार माना जाता है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मुकदमे को समयबद्ध तरीके से समाप्त करने के निर्देश जारी किए जाने के बावजूद, इसका कोई नतीजा नहीं निकला है। ऐसी परिस्थितियों में, आरोपी को जमानत पर रिहा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि त्वरित सुनवाई सुनिश्चित किए बिना व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुरूप नहीं है।

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TAGS: Highcourt, Bombay High Court, Life time imprisonment, Court Judgement
OUTLOOK 01 October, 2023
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