तुर्की की कंपनी सेलेबी को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका: भारत में प्रतिबंध के खिलाफ याचिका खारिज
दिल्ली हाई कोर्ट ने 7 जुलाई 2025 को तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया की याचिका खारिज कर दी। कंपनी ने ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) द्वारा 15 मई 2025 को अपनी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी थी। कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह फैसला सुनाया। सेलेबी, जो भारत के नौ प्रमुख हवाई अड्डों पर सेवाएं देती थी, को इस फैसले से बड़ा झटका लगा है, क्योंकि इससे उसके 10,000 से अधिक कर्मचारियों का रोजगार खतरे में है।
इस फैसले का कारण भारत और तुर्की के बीच बढ़ता राजनयिक तनाव है, खासकर तुर्की के पाकिस्तान के साथ सैन्य और कूटनीतिक समर्थन के बाद। मई 2025 में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जिसकी तुर्की ने निंदा की। इसके जवाब में बीसीएएस ने सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी, जिससे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे हवाई अड्डों पर उसका संचालन रुक गया।
सेलेबी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि कंपनी को बिना कोई चेतावनी या स्पष्टीकरण के मंजूरी रद्द की गई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सेलेबी 2008 से भारत में काम कर रही है, इसके सभी कर्मचारी भारतीय हैं, और इसका कोई राजनीतिक संबंध नहीं है। दूसरी ओर, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि गोपनीय खुफिया जानकारी के आधार पर यह फैसला लिया गया, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
सेलेबी ने यह भी खारिज किया कि कंपनी में तुर्की के राष्ट्रपति की बेटी सुमेय्ये एर्दोगन की हिस्सेदारी है। कंपनी ने बताया कि इसका स्वामित्व केवल कैन और कनन सेलेबी के पास है। फिर भी, कोर्ट ने सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क को स्वीकार किया। इस फैसले से मुंबई हवाई अड्डे पर 70% ग्राउंड ऑपरेशन्स संभालने वाली सेलेबी का कारोबार ठप हो गया है। कंपनी अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।