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14 April 2022

दो लड़कियों ने की अपनी समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया इनकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश हुई दो लड़कियों ने कहा कि जज साहब हम दोनों बालिग हैं। हमने आपसी सहमति से समलैंगिक शादी कर ली है। कोर्ट हमारी शादी को मान्यता दे। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कारों में समलैंगिक शादी गलत है। किसी भी कानून में समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं दी गई है। इसलिए भी समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे संतान पैदा नहीं की जा सकती।

यह दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की दो वयस्क लड़कियों की मांग खारिज कर दी। कोर्ट ने मां द्वारा अपनी बेटी को विपक्षी लड़की के कब्जे से मुक्त कराने को लेकर दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित कर दी। यह आदेश जस्टिस शेखर कुमार यादव ने एक महिला की तरफ  से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया।

दरअसल, एक मां ने अपनी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराने को लेकर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शेखर कुमार यादव की सिंगल बेंच ने ये आदेश दिया है। कोर्ट ने मां मंजू देवी की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती है।

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प्रयागराज के अतरसुइया थाना क्षेत्र में रहने वाली महिला ने कोर्ट से मांग की थी कि उसकी बेटी बालिग है। उसे विपक्षी लड़की ने अवैध रूप से अपने कब्जे में कर रखा है। उसने विपक्षी लड़की के कब्जे से मुक्त कराने की हाईकोर्ट से मांग की थी। मां का कहना था कि उसकी बेटी स्नातक है। कोर्ट के आदेश पर दोनों लड़कियां कोर्ट में हाजिर रहीं।

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TAGS: Allahabad HC, rejects, 2 women plea, recognise, 'marriage'
OUTLOOK 14 April, 2022
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