पंजाब: कांग्रेस के कदम का बसपा पर असर, अब दलितों को 'बहकने' से कैसे रोकेंगी माया
कांग्रेस ने दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर अपना बड़ा सियासी दांव खेल दिया है। अन्य पार्टियों के अलावा इसका सीधा असर अब मायावती की पार्टी बसपा पर पड़ने की उम्मीद है। इस बीच बसपा सुप्रीमो का कहना है कि दलित मुख्यमंत्री केवल चुनावी हथकंडा है, अनुसूचित जाति के लोग इस बहकावे में न आएं। मायावती ने कहा कि कांग्रेस को चुनाव के समय ही दलित की क्यों याद आई। पंजाब के दलित कांग्रेस के बहकावे में आने वाले नहीं हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बीएसपी चीफ ने कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी को कुछ वक्त के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जाना कांग्रेस का चुनावी हथकंडा है। आगामी पंजाब चुनाव इनके नेतृत्व में नहीं बल्कि गैर दलित के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इससे साफ होता है कि कांग्रेस का दलितों पर अब तक भरोसा नहीं हुआ है।
मायावती ने कहा कि यूपी में 2022 का चुनाव नजदीक देख भाजपा ओबीसी के प्रति प्रेम दिखा रही है। अगर उनको सही में इन जातियों से प्रेम होता तो एससी एसटी और ओबीसी के बैकलॉग पद ख़ाली न रहते। और भाजपा को ओबीसी जाति जनगणना को अब तक स्वीकार कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि काठ की हांडी बार-बार चढ़ने वाली नहीं है। केवल वोट की खातिर ओबीसी और दलित को लुभाया जा रहा है। भाजपा कांग्रेस के बहकावे में ये दोनो जातियां आने वाली नहीं है।
बता दें कि चरणजीत सिंह चन्नी के तौर पर पंजाब को अपना अगला मुख्यमंत्री मिल गया है। राजभवन में सोमवार को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने चन्नी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। चन्नी के साथ ही सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने भी मंत्रीपद की शपथ ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस समारोह में शामिल हुए।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश में है। प्रदेश में 30 फीसदी से ज्यादा दलित आबादी है। कांग्रेस का यह कदम इस मायने में अहम है कि भाजपा ने पहले कहा था कि पंजाब में उसकी सरकार बनने पर दलित को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। बसपा के साथ गठबंधन करने वाली शिरोमणि अकाली दल ने दलित उप मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया है। आम आदमी पार्टी भी दलित समुदाय को लुभाने के लिए लगातार प्रयासरत है।