संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं का आना जारी, कुछ सुविधाएं स्थायी रखने का निर्णय
महाकुंभ मेला भले ही समाप्त हो गया हो और साधु सन्यासी यहां से प्रस्थान कर गए हों, लेकिन शाम को दूधिया रोशनी में नहाए संगम क्षेत्र का मनमोहक दृश्य अब भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कई ऐसे लोग हैं जो भीड़ के कारण महाकुंभ में संगम स्नान के लिए नहीं आ सके थे, वो अब आ रहे हैं। दिल्ली की डॉक्टर दीक्षा इनमें से एक हैं।
डॉक्टर दीक्षा ने बताया, “महाकुंभ में भीड़ के बारे में सुनकर हम आने की हिम्मत नहीं जुटा सके। अब यहां आए हैं और संगम में डुबकी लगाई है। बहुत अच्छा लग रहा है। एक ही कमी है कि हम नागा साधु के दर्शन नहीं कर सके।” उन्होंने कहा कि सरकार ने संगम क्षेत्र के साथ ही प्रयागराज को बहुत खूबसूरती से सजाया संवारा है।
प्रयागराज के कर्नलगंज मोहल्ले से संगम क्षेत्र घूमने आए नीरज केसरवानी का कहना है, “हम लोग भीड़ के कारण महाकुंभ में नहीं आ सके, इसका हमें मलाल है, लेकिन अभी शाम का मौसम खुशगवार होने और संगम क्षेत्र में एलईडी लाइट लगी होने से यहां का नजारा किसी मेले से कम नहीं है।”
महाकुंभ मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में मजदूर त्रिवेणी संगम क्षेत्र, अरैल घाट और झूंसी में फैले अस्थाई शहर को समेटने में लगे हुए दिखे।
मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में आए श्रद्धालुओं को देखते हुए संगम क्षेत्र में कुछ सुविधाएं वर्ष पर्यंत जारी रखने का निर्णय किया गया है। इनमें ‘चकर्ड प्लेट्स’, लाइट, ‘चेंजिंग रूम’, घाटों की व्यवस्था साल भर रहेंगी।” उन्होंने बताया कि अगले एक पखवाड़े में सारे तंबू उखड़ जाएंगे और जहां तक पांटून पुलों का संबंध है, माघ मेला के लिए पांटून रिजर्व करके बाकी पांटून अन्य जिलों को भेज दिए जाएंगे।
पांटून पुलों के बारे में मेलाधिकारी ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 30 पांटून (पीपा) पुल बनाए गए थे जिसमें 3,600 पांटून (पीपा) का उपयोग किया गया था।
अधीक्षण अभियंता (महाकुंभ) मनोज गुप्ता ने बताया कि महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अद्भुत अनुभव उपलब्ध कराने के लिए पूरे मेला क्षेत्र में आठ करोड़ रुपये की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट लगाई गई थीं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा, पूरे मेले क्षेत्र में 40 हजार से अधिक रिचार्जेबल लाइट्स (रिचार्जेबल बल्ब), लगभग 48,000 एलईडी लाइट स्थापित की गई थीं।
उनके मुताबिक, मेला क्षेत्र में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए 400 केवी के 85 सब स्टेशन, 250 केवी के 14 सब स्टेशन, और 100 केवी के 128 सब स्टेशन स्थापित किए गए थे।
अधिकारियों के मुताबिक, 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बसे महाकुंभ नगर में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित महाकुंभ मेले में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई थी जिसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर कई राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष और विदेशी नागरिक शामिल थे।
उन्होंने बताया कि इस मेले के लिए रेलवे ने करीब 5,000 करोड़ रुपये का निवेश कर 21 से अधिक फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण कराया और 16,000 से अधिक ट्रेनें चलाकर करीब पांच करोड़ यात्रियों को परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराई थीं। वहीं, रोडवेज ने 8,850 रोडवेज बसों का संचालन किया था।
अधिकारियों ने बताया कि मेले में डेढ़ लाख से अधिक अस्थायी शौचालयों की साफ सफाई के लिए 15,000 से अधिक ‘स्वच्छता मित्रों’ और घाटों की सफाई के लिए लगभग 2000 गंगा ‘सेवा दूतों’ को लगाया गया था।
उनके अनुसार, पूरे मेला क्षेत्र में वाहनों के सुगम आवागमन के लिए 651 किलोमीटर क्षेत्र में ‘चकर्ड प्लेटें’ बिछाई गई थीं। वहीं, श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 37,000 पुलिसकर्मी, 14,000 होमगार्ड के जवान तैनात रहे। इसके अलावा, तीन जल पुलिस थाने, 18 जल पुलिस नियंत्रण कक्ष और 50 निगरानी टावर स्थापित किए गए थे। स्नान के लिए 12 किलोमीटर का घाट बनाया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि एक दिसंबर, 2024 से अस्तित्व में आया प्रदेश का 76वां जिला 31 मार्च 2025 तक अस्तित्व में रहेगा। इस जिले के लिए एक जिलाधिकारी, तीन अपर जिलाधिकारी, 28 उप जिलाधिकारी, एक तहसीलदार और 24 नायब तहसीलदार नियुक्ति किए गए थे।
सुरक्षा के लिए इस पूरे जिले में 56 थाने, 155 पुलिस चौकियां, एक साइबर सेल थाना, एक महिला थाना और तीन जल पुलिस थाने स्थापित किए गए थे।