यूपी में छोटे शहर और गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था 'राम भरोसे', इलाहाबाद हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
उत्तर प्रदेश में कोरोना से लड़ने के इंतजामों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कह दिया कि कोरोना काल में गांवो, कस्बों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट जस्टिस अजीत कुमार और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने मेरठ के एक अस्पताल में एक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती संतोष कुमार (64) की मौत को ध्यान में रखते हुए यह टिप्पणी की।
एक जांच रिपोर्ट के अनुसार वहां के डॉक्टर उसकी पहचान करने में विफल रहे। जिसके बाद शव का लापरवाही से अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मामले में हाई कोर्ट ने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और आश्रित परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है।
कोरोना से निपटने के लिए हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
-बड़े व्यापारिक घराने अपना दान करने वाला फंड वैक्सीन खरीदने में लगाएं।
-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नर्सिंग होम की सुविधाओं को भी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। 20 बेड वाले नर्सिंग होम के 40 प्रतिशत बेड आईसीयू के हों, जिनमें से 25 प्रतिशन बेड पर वेंटीलेटर, 50 प्रतिशत पर बाइपेप मशीन और 25 प्रतिशत पर हाई फ्लो नेजल कैनुला की सुविधा मिलनी चाहिए।
-होई कोर्ट ने कहा कि 30 बेड वाले नर्सिंग होम या अस्पताल को अपना ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट रखना होगा।
-हर छोटे शहर में 20 एंबुलेंस, गांव में आईसीयू सुविधा वाली 2 ऐंबुलेंस जरूर रखी जाए।