लखीमपुर खीरी केस: पूर्व जज की निगरानी में जांच को तैयार यूपी सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने मांगे आईपीएस अफसरों के नाम
उत्तर प्रदेश के लखीमुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और दो अन्य की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से ऐसे आईपीएस अधिकारियों के नाम मांगे हैं जिन्हें जांच के लिए बनी एसआईटी में शामिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये आईपीएस अधिकारी उत्तर प्रदेश कैडर के हो सकते हैं लेकिन राज्य के बाशिंदे न हों। वहीं, कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने दूसरे राज्य के हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराए जाने पर हामी भर दी है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को रिटायर्ड जस्टिस राकेश कुमार जैन और रंजीत सिंह से जांच कराए जाने का सुझाव दिया था।
बता दें कि इससे पहले आशीष मिश्रा की बेल पर सुनवाई दो बार टल चुकी है। बीते महीने लखीमपुर खीरी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान उनपर गाड़ी चला दी गई थी, जिसके बाद हिंसा हुई और कुल आठ लोगों की मौत हुई, जिसमें चार किसान थे। किसानों ने आरोप लगाया कि जिस गाड़ी ने प्रदर्शनकारियों को कुचला उसमें केंद्रीय मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा भी थे।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की जांच को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए थे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान साफ कहा था कि 'हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को 2 एफआईआर को ओवरलैप करके लाभ दिया जा रहा है।' जस्टिस सूर्यकांत ने कहा 'अब कहा जा रहा है कि दो एफआईआर हैं। एक एफआईआर में जुटाए गए सबूत दूसरे में इस्तेमाल किए जाएंगे एक आरोपी को बचाने के लिए, दूसरी एफआईआर में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं।' सीजेआई ने कहा, दोनों एफआईआर की अलग- अलग जांच हो।