कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य जो यूपी में खेल रहे हैं 'बड़ा खेला', भाजपा को खत्म करने का कर रहे हैं दावा
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को झटके पर झटका लगता जा रहा है। यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य कल सपा में शामिल होने जा रहे हैं। स्वामी प्रसाद के इस्तीफे के बाद, बीजेपी से अब तक 10 विधायक अपना त्यागपत्र दे चुके हैं।
इस्तीफा देने वालो में अभी तक स्वामी प्रसाद मौर्य, (पडरौना- कुशीनगर ), धर्म सिंह सैनी (नकुड़-सहारनपुर), भगवती सागर (बिल्हौर विधानसभा सभा), रोशनलाल वर्मा (तिलहर विधानसभा), विनय शाक्य ( बिधूना - औरैया), अवतार सिंह भड़ाना (मीरापुर विधानसभा), दारा सिंह चौहान (मधुबन-मऊ), बृजेश प्रजापति (तिंदवारी-बांदा), मुकेश वर्मा (शिकोहाबाद-फिरोजाबाद), दिग्विजय नारायण जय चौबे (खलीलाबाद), बाला प्रसाद अवस्थी (धौरहरा, लखीमपुर), राकेश राठौर, माधुरी वर्मा इस्तीफा दे चुके हैं।
जाहिर हो कि स्वामी मैर्य ने आज ट्विटर पर लिखा, "नाग रूपी आरएसएस एवं सांप रूपी भाजपा को स्वामी रूपी नेवला यू.पी. से खत्म करके ही दम लेगा।" तो आइये जानते हैं बीजेपी को खत्म करने का दावा ठोकने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में 5 बड़ी बातें।
1. स्वामी प्रसाद मौर्य का जन्म दो जनवरी 1954 को प्रतापगढ़ जिले के चकवड़ गांव (कुंडा) हुआ था। लेकिन उन्होंने इस भूमि को अपना सियासी मैदान न चुनकर, रायबरेली के ऊंचाहार को अपना सियासी मैदान बनाया।
2. स्वामी प्रसाद मैर्य इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्टग्रेजुएट हैं। उनकी राजनीतिक पारी 1980 में शुरू हुई थी, जब वो इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने।
3. उत्तर प्रदेश में मायावती जब पहली बार सीएम बनी, तब मैर्य ने बसपा का दामन थाम लिया और 1996 में बसपा के टिकट पर ही चुनाव जीतकर वो पहली बार डलमऊ सीट से विधायक बने। मायावती की सरकार में वो कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं।
4. हालांकि जब मायावती धीरे-धीरे अपना जनाधार खोने लगी तब स्वामी प्रसाद ने एक और नया दांव खेलते हुए 8 अगस्त 2016 को बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी। वो फिलहाल यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।
5. आपको बता दें कि मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से बीजेपी सांसद हैं। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को हराया था।
गौरतलब हो कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ते वक्त कहा था, "मैंने दलितों, पिछड़े वर्गों, किसानों, युवाओं और व्यापारियों के खिलाफ सरकार के रवैये को ध्यान में रखते हुए योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है। मैं अपने समर्थकों से सलाह लूंगा और दूसरी पार्टी में शामिल होने का फैसला करूंगा। आने वाले दिनों में दर्जनों विधायक भी इस्तीफा देंगे।"