वक्फ समिति ने हमारे संशोधनों को स्वीकार किया: जद (यू)
जनता दल (यूनाईटेड) ने मंगलवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा कर रही संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने उसके द्वारा सुझाए गए संशोधनों को स्वीकार कर लिया है। साथ ही पार्टी ने विपक्षी दलों पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप भी लगाया।
भाजपा के सहयोगी दलों तेलुगू देशम पार्टी, जद (यू) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने सोमवार को समिति की बैठक में कुछ संशोधनों के साथ विधेयक का समर्थन किया था।
पिछले साल मानसून सत्र के दौरान संसद में जब यह विधेयक पेश किया गया था तो इन तीनों दलों ने खुले मन से इसका समर्थन करने से परहेज किया था और मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए व्यापक विचार-विमर्श की वकालत की थी।
उन्होंने कहा कि जद (यू) को जेपीसी की कार्यप्रणाली को लेकर कोई शिकायत नहीं है।
जद (यू) सांसद दिलेश्वर कामैत ने विधेयक के उस खंड में संशोधन पेश किया था, जिसमें वक्फ संपत्तियों को नए कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर पोर्टल पर विवरण के साथ सूचीबद्ध करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसे समिति ने स्वीकार कर लिया है।
कामैत का प्रस्ताव था कि संपत्ति के ‘मुतवल्ली’ (केयरटेकर) को अवधि बढ़ाने का अधिकार दिया जाए, बशर्ते कि राज्य में वक्फ ट्रिब्यूनल उससे संतुष्ट हो।
सूत्रों ने बताया कि कामैत ने भाजपा की अपराजिता सारंगी के साथ यह संशोधन पेश किया था और समिति ने बहुमत से इसका समर्थन किया।
तेदेपा सांसद लावू श्रीकृष्ण देवरायलु और भाजपा के बृजलाल द्वारा पेश किए गए चार संशोधनों को भी स्वीकार कर लिया गया।
सूत्रों ने कहा कि ये संशोधन सरकारी संपत्ति के विवाद का सर्वेक्षण संबंधित जिला कलेक्टर से कराए जाने के अधिकार को समाप्त करने से संबंधित हैं।
ये संशोधन अनुमति देते हैं कि राज्य सरकार कानून के मुताबिक जांच करने के लिए कलेक्टर रैंक से ऊपर के किसी अधिकारी को अधिसूचना के जरिए नामित कर सकती है।
कई मुस्लिम निकायों ने कलेक्टर को दिए गए अधिकार पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने तर्क दिया था कि कलेक्टर राजस्व रिकॉर्ड के प्रमुख भी होते हैं, इसलिए उनके द्वारा कोई भी जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती क्योंकि वह अपने कार्यालय के दावे के अनुसार चलेंगे।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा प्रस्तावित कानून को लेकर एकजुट रहने के लिए अपने सहयोगियों पर दबाव बना रही है, जिसे विपक्षी दलों ने मुस्लिम धार्मिक मामलों में कथित हस्तक्षेप करार देते हुए ‘असंवैधानिक’ बताया है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने जोर देकर कहा है कि प्रस्तावित कानून वक्फ बोर्डों के कामकाज को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाएगा। उसका तर्क है कि बोर्डों को चलाने वाले एक कुलीन समूह ने मौजूदा ढांचे के तहत समुदाय के हितों की कीमत पर लाभ कमाया।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार करने के लिए बुधवार को बैठक होने वाली है।