Advertisement
26 September 2022

"आप दूसरों के अधिकारों का हनन क्यों कर रहे हैं?" मीट के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका पर बोला कोर्ट

ANI

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को तीन जैन धार्मिक धर्मार्थ ट्रस्टों और जैन धर्म का पालन करने वाले एक शहर के निवासी से पूछा कि वे भारत में मांस और मांस उत्पादों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की अपील करके दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण क्यों करना चाहते हैं। 
        
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने आगे कहा कि यह मुद्दा विधायिका के क्षेत्र में आता है और यह प्रतिबंध लगाने वाले कानून / नियम नहीं बना सकता है।
        
जैन धर्म का पालन करने वाले तीन धार्मिक धर्मार्थ ट्रस्टों और मुंबई के एक निवासी ने अपनी याचिका में दावा किया कि बच्चों सहित उनके परिवार को इस तरह के विज्ञापन देखने के लिए मजबूर किया जाता है।
        
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि इससे शांति से जीने के उनके अधिकार का उल्लंघन होता है और उनके बच्चों के दिमाग से "छेड़छाड़" होती है। हाईकोर्ट ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका में की गई प्रार्थनाओं पर सवाल उठाए।
        
मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 19 के उल्लंघन के बारे में क्या? आप (याचिकाकर्ता) दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण क्यों करना चाहते हैं? क्या आपने हमारे संविधान की प्रस्तावना पढ़ी है? यह कुछ वादे करता है।"
        
पीठ ने यह भी कहा कि याचिका पर आदेश पारित करने का अधिकार उसके पास नहीं हो सकता है। अदालत ने कहा, "आप उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को किसी चीज पर प्रतिबंध लगाने के लिए नियम, कानून या दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश देने के लिए कह रहे हैं। यह एक विधायी कार्रवाई है। यह विधायी को कहना है ... हमें नहीं।"
        
अदालत ने कहा कि जहां एक सामान्य व्यक्ति के पास इस तरह के विज्ञापन आने पर टेलीविजन बंद करने का विकल्प होता है, वहीं अदालत को इस मुद्दे को कानून के नजरिए से देखना होगा। याचिकाकर्ताओं ने तब अन्य उच्च न्यायालयों के प्रासंगिक आदेश प्रस्तुत करने के लिए याचिका में संशोधन करने की मांग की। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने का निर्देश दिया।
         

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Advertisement, Meat, Jain, Bombay High Court, constitutional
OUTLOOK 26 September, 2022
Advertisement