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15 February 2024

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को क्यों रद्द कर दिया? 10 प्वाइंट्स में समझें ये ऐतिहासिक फैसला


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका देते हुए चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। पीठ केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला दे रही थी, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती है। फैसले की शुरुआत में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि दो राय हैं, एक उनकी और दूसरी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की और दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 2 नवंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

आइये 10 प्वाइंट में जानते हैं पूरा मामला

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-CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चुनावी बांड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग और सर्वसम्मत फैसले सुनाए, जिससे केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा।

-फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनावी बांड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है। 

-शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि निजता के मौलिक अधिकार में नागरिकों की राजनीतिक निजता और संबद्धता का अधिकार भी शामिल है।

-पीठ ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और आयकर कानूनों सहित विभिन्न कानूनों में किए गए संशोधनों को भी अमान्य ठहराया।

-सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक या एसबीआई को चुनाव आयोग को छह साल पुरानी योजना में योगदानकर्ताओं के नाम का खुलासा करने का आदेश दिया।

-पीठ ने निर्देश दिया कि जारीकर्ता बैंक चुनावी बांड जारी करना बंद कर देगा और एसबीआई 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण भारत चुनाव आयोग को प्रस्तुत करेगा।

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्यों के लिए है।

-अदालत ने माना कि कंपनियों द्वारा असीमित राजनीतिक योगदान की अनुमति देने वाले कंपनी अधिनियम में संशोधन मनमाने और असंवैधानिक हैं।

 

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TAGS: Supreme court, Supreme court on Electoral Bond, Electoral bond, SC verdict on Electoral bond, BJP, Loksabha election 2024
OUTLOOK 15 February, 2024
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