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24 June 2025

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, ऑपरेशन सिंदूर का हवाला बेकार! हत्यारोपी कमांडो को सरेंडर का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 24 जून 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के एक ब्लैक कैट कमांडो की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी भागीदारी का हवाला देकर सरेंडर से छूट मांगी थी। कमांडो पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप है और उसे जुलाई 2004 में ट्रायल कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304-B (दहेज मृत्यु) के तहत दोषी ठहराया था। जस्टिस उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर में सेवा या ब्लैक कैट कमांडो होना आपको घरेलू अत्याचारों से छूट नहीं देता।"

कमांडो ने विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर कर दावा किया था कि वह 20 साल से NSG में सेवा दे रहा है और 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर में शामिल था, जिसे भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जवाब देने के लिए शुरू किया था। इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। कोर्ट ने उसकी अपील को ठुकराते हुए कहा कि राष्ट्रीय सेवा आपराधिक जवाबदेही से छूट नहीं देती।

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय शामिल थे। इस ऑपरेशन में 170 से अधिक आतंकवादी मारे गए। कमांडो ने अपनी याचिका में इस ऑपरेशन में अपनी भूमिका को राष्ट्रीय गौरव से जोड़ा, लेकिन कोर्ट ने इसे अप्रासंगिक माना।

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कानूनी विशेषज्ञों ने कोर्ट के फैसले की सराहना की, इसे कानून के समक्ष समानता का प्रतीक बताया। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने कमांडो के दावे को "शर्मनाक" करार दिया, जबकि अन्य ने न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। यह मामला ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में व्यक्तिगत जवाबदेही और राष्ट्रीय सेवा के बीच तनाव को रेखांकित करता है।

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TAGS: Black Cat Commando, Operation Sindoor, Supreme Court, Dowry death, Section 304-B IPC, Pahalgam attack, NSG, Surrender exemption
OUTLOOK 24 June, 2025
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