क्या वक्फ बिल पर रोक लगाएगी सुप्रीम कोर्ट? जानिए अब तक की सुनवाई में क्या-क्या हुआ
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कई कड़े सवाल पूछे। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पूछा कि अगर 'वक्फ बाय यूज़र' को अमान्य कर दिया गया तो उन ऐतिहासिक मस्जिदों का क्या होगा जिनके पास आज के दस्तावेज़ नहीं हैं।
पीठ ने सवाल उठाया – "14वीं से 16वीं सदी के बीच बनीं अधिकतर मस्जिदों के पास रजिस्ट्री नहीं है। 'वक्फ बाय यूज़र' को आप कैसे रजिस्टर करेंगे? अगर आप इसे हटाते हैं, तो बहुत कुछ मिट जाएगा। क्या आप वाकई यह तय कर चुके हैं कि यूज़र आधारित वक्फ नहीं होगा?"
केंद्र से पूछा – क्या मुसलमान हिंदू ट्रस्ट का हिस्सा बन सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाएगी, जब वक्फ बोर्ड में सभी सदस्य मुस्लिम होते हैं? कोर्ट ने कहा, “वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, सिवाय पदेन सदस्यों के। फिर क्या हिंदू ट्रस्टों में मुस्लिमों को शामिल किया जाएगा?”
CJI ने किया कपिल सिब्बल से सवाल-जवाब सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी, “राज्य हमें कैसे बता सकता है कि हमारे धर्म में विरासत कैसे चलेगी?” इस पर सीजेआई ने जवाब दिया, “हिंदू धर्म में भी ऐसा हुआ है... संसद ने वहां भी कानून बनाए हैं। अनुच्छेद 26 इसमें बाधा नहीं है, क्योंकि यह सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होता है।”
दिल्ली हाईकोर्ट वक्फ की ज़मीन पर? चीफ जस्टिस खन्ना ने टिप्पणी की कि उन्हें बताया गया कि दिल्ली हाईकोर्ट वक्फ संपत्ति पर बना है। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि 123 संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का मालिकाना हक नहीं है। वह केवल 'कस्टोडियन' की भूमिका निभा सकता है, अगर उन्हें वक्फ के रूप में मान्यता दी जाए।
‘क्या मुसलमान है या नहीं, ये राज्य कैसे तय करेगा?’ कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई कि अगर कोई व्यक्ति वक्फ बनाना चाहता है तो उसे पांच साल से इस्लाम का पालन करने का प्रमाण देना होगा। “राज्य कैसे तय करेगा कि कोई मुसलमान है या नहीं?” उन्होंने कहा, “यह व्यक्ति के निजी कानून का मामला है।”
'प्रदर्शन में हिंसा चिंताजनक' – सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम के विरोध में हो रही हिंसा को “बेहद चिंताजनक” बताया। कोर्ट ने कहा, “जब मामला हमारे पास लंबित है तो हिंसा नहीं होनी चाहिए।”
बयानबाज़ी तेज़ – ममता बनर्जी से लेकर केंद्रीय मंत्री तक
ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को "पूर्व-नियोजित" करार दिया और केंद्र सरकार पर समुदायों को बांटने का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “हमने यह काम गरीब मुसलमानों के भले के लिए किया है... वक्फ के नाम पर लूट बंद करनी होगी।”
AAP विधायक अमानतुल्ला खान ने कहा, “डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ज़्यादा पावर क्यों दी जा रही है, समझ नहीं आता।”
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने अधिनियम का समर्थन किया और उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट गरीबों की बात सुनेगा।
अब अगली सुनवाई 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तीन-न्यायाधीशों की पीठ अब 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे इस मामले की सुनवाई फिर से करेगी। कोर्ट का रुख साफ है – वक्फ से जुड़े कानूनी और ऐतिहासिक पहलुओं की गंभीर समीक्षा होगी, और बिना ठोस दस्तावेज़ों के 'यूज़र आधारित वक्फ' पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
इस मामले में कोर्ट की हर टिप्पणी न सिर्फ वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को प्रभावित करेगी, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 की व्याख्या के संदर्भ में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है।