मतदाता पहचान पत्र न होने पर भी डाल सकेंगे वोट, निर्वाचन आयोग ने दिया ये निर्देश
निर्वाचन आयोग ने राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों से कहा है कि यदि पहचान पत्र के जरिए किसी मतदाता की पहचान स्थापित हो जाती है तो उसे मतदाता पहचान पत्र की लिपिकीय या वर्तनी की त्रुटियों को नजरअंदाज करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कोई भी वास्तविक मतदाता मतदान के अपने अधिकार से वंचित न हो।
आयोग ने यह भी कहा है कि किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र पहचान के लिए स्वीकार किया जाएगा बशर्ते मतदाता का नाम उस मतदान केंद्र की मतदाता सूची में हो जहां वह मत डालने गया हो।
तस्वीर बेमेल होने की स्थिति में मतदाता को निर्वाचन आयोग द्वारा सूचीबद्ध वैकल्पिक फोटो दस्तावेजों में से एक को पेश करना होगा। पिछले महीने जारी एक आदेश में आयोग ने कहा कि जो मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने के लिए फोटो पहचान पत्रों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा।
इनमें आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक या डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय द्वारा जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड शामिल हैं।
भारतीय पासपोर्ट, फोटो के साथ पेंशन दस्तावेज, केंद्र या राज्य सरकारों या पीएसयू द्वारा कर्मचारियों को जारी किए गए फोटो वाले सेवा आई-कार्ड, सांसदों, विधायकों और एमएलसी को जारी आधिकारिक पहचान पत्र और सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा जारी विशिष्ट दिव्यांगता आई-कार्ड भी स्वीकार किए जाते हैं।
प्रवासी भारतीय, जो अपने भारतीय पासपोर्ट में विवरण के आधार पर मतदाता सूची में पंजीकृत हैं, की पहचान मतदान केंद्र पर केवल उनके मूल पासपोर्ट के आधार पर की जाएगी और कोई अन्य पहचान दस्तावेज नहीं। लोकसभा चुनाव सात चरणों में होंगे और पहले चरण के लिए मतदान 19 अप्रैल को होगा। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं।