फेसबुक पर लिखने से रोकना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है?
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश की अवहेलना करते हुए हुई इस कार्रवाई ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले का मुद्दा सामने ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट का साफ कहना है कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए के तहत कार्रवाई से पहले संबंधित जोन के आईजी और डीसीपी जैसे शीर्ष स्तर के पुलिस अधिकारियों से मशविरा जरूर किया जाए। बताया जा रहा है कि इस मामले में इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। इस मामले में भले ही संबंधित छात्र को जमानत पर रिहा कर दिया गया हो और सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब-तलब किया हो फिर भी कुछ सवाल तो खड़े होते ही हैं।
सवाल है
क्या किसी नेता के खिलाफ बोलने पर अब जेल की सजा भुगतनी होगी?
पुलिस की ताकत का मनमाना इस्तेमाल लोकतंत्र को किस दिशा में ले जाएगा?
सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर अंकुश की इस घटना को आप किस तरह देखते हैं, अपने विचार इस फोरम पर रख सकते हैं।