भाजपा ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी है-कीर्ति आजाद
बिना किसी का नाम लिए आजाद ने पार्टी के नेताओं से जानना चाहा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? सरकार बनाने का ख्वाब देख रही भाजपा विपक्ष के लायक भी नहीं रह गई। आजाद से आउटलुक की विशेष बातचीत के प्रमुख अंश-
सरकार बनाने का सपना देख रही भाजपा दिल्ली में विपक्ष के लायक भी नहीं रही। इसका क्या कारण मानते हैं?
कारण साफ है कि भाजपा नेताओं ने अपने को मजबूत करके आंका और सामने वाले को कमजोर। लेकिन राजनीति में कोई कमजोर नहीं होता है। मैं भी लंबे समय से राजनीति से जुड़ा हूं लेकिन मैं कभी यह नहीं मानता कि सामने वाला कमजोर है। दिल्ली में भी ऐसा हुआ।
इतनी बड़ी हार के लिए आप किसे जिम्मेवार मानते हैं?
दिल्ली के संगठन को और उन लोगों को जिन्होंने पूरा आत्मविश्वास दिखाया था कि हम तो जीत रहे हैं। हमारे साथ दिल्ली की जनता है, हमारे पास मजबूत चेहरा है। जिस चेहरे को आप मजबूत बता रहे थे वह तो कमजोर हो गया।
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी इस हार के लिए जिम्मेदार हैं?
मैं उन्हें क्यों जिम्मेदार कहूं। जिम्मेदार वो लोग हैं जिनको दिल्ली में सरकार बनाना था, सरकार चलाना था और दिल्ली में राजनीति करनी थी।
लेकिन पार्टी ने किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। तो क्या इसके लिए बेदी को जिम्मेदार ठहराया जाए?
मैं बेदी जी को क्यों जिम्मेदार मानूं। वह तो चुनाव से पहले भाजपा से जुड़ी, पार्टी ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी और उन्होंने उसका पालन किया। उनको किसी भी रुप में जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता।
लेकिन प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष की सहमति से ही किरण बेदी को जिम्मेवारी दी गई थी?
मैं फिर वहीं बात कह रहा हूं कि बेदी जी की कोई गलती नहीं है। गलती है तो उन नेताओं की जिन्होंने अखबारों में ऐसे-ऐसे विज्ञापन दिए कि सामने वाले को चोर बता रहे हैं, बंदर बता रहे हैं। मैं पूछता हूं ऐसा करने से क्या मिला।
लेकिन यह तो सबकी सहमति से हुआ होगा?
ऐसा नहीं है, सबकी सहमति से होता तो यह हाल नहीं हुआ होता। कुछ चंद लोगों ने निर्णय लेकर यह जताने की कोशिश की कि उनकी वजह से भाजपा को जीत मिलेगी। यही हार का कारण बनी। गलत निर्णय लिए गए। पुरबियों के वोट को नजरअंदाज किया गया। जिसका परिणाम सबके सामने है।