लॉकडाउन में भी बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई जारी रख पा रहे हैं: डॉ. दिनेश शर्मा
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के पास माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी है। लॉकडाउन 2.0 की शुरुआत के साथ शिक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने पूरे प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों के साथ ही डिग्री कालेजों और विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन क्लासेज की शुरुआत कर घर बैठे छात्रों को उनके शिक्षकों से जोड़ दिया। प्रदेश में ऑनलाइन पढ़ाई की स्थिति, समस्याएं और भविष्य की योजनाओं पर उनसे बातचीत की कुमार भवेश चंद्र ने। पेश है मुख्य अंश-
ऑनलाइन की पढ़ाई का प्रयोग कैसा रहा? ग्राउंड से कैसी रिपोर्ट मिल रही है?
अच्छा चल रहा है। माध्यमिक स्कूलों में ह्वाट्सऐप के जरिए बच्चों की पढ़ाई की जा रही है। अलग अलग क्लास के छात्रों और शिक्षकों के ग्रुप बनाकर साथ जोड़ दिया गया है। टीचर अपने अपने विषय के स्टडी मैटेरियल इसी ऐप का इस्तेमाल करते हुए छात्रों को भेजते हैं। छात्रों को जो भी समस्या आती है वह इसी के माध्यम से अपने टीचर के सामने रखते हैं। इस तरह माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए इंटरनेट कोई बाधा नहीं बन रही है। इसके अलावा कुछ छात्र दीक्षा पोर्टल के जरिए भी बहुत कुछ पढ़ समझ रहे हैं।
डिग्री कालेजों और विश्वविद्यालयों की पढ़ाई को लेकर क्या ताजा स्थिति है? हर छात्र तक इंटरनेट की पहुंच क्या समस्या के रूप में सामने आया है?
देखिए। इस कोशिश को सकारात्मक रूप में देखने की जरूरत है। लॉकडाउन के इस माहौल में भी हम बड़ी संख्या में छात्रों की पढ़ाई को जारी रख पा रहे हैं। यह इस कार्यक्रम की बड़ी उपलब्धि है। इसके जरिए हम 75 फीसदी विद्यार्थियों को पढ़ाई लिखाई में सक्रिय कर पाए हैं। हां यहां इंटरनेट की समस्या बाधा पैदा कर रही है। देहात में यह समस्या थोड़ी अधिक है। जूम या ऐसे ही अलग अलग डिजिटल माध्यमों से शिक्षक और छात्र पढ़ाई को जारी रखने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। माध्यमिक में हम 85 फीसदी छात्रों तक पहुंच बना पा रहे हैं क्योंकि वहां हम ह्वाट्सऐप के जरिए ऑपरेट कर रहे हैं।
क्या जूम ऐप की सुरक्षा को देखते हुए सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगाया है?
हमने अभी किसी तरह की पाबंदी की बात नहीं की है। लेकिन सुरक्षा के साथ पढ़ाई की कोशिश का निर्देश है। टीचर और छात्रों दोनों के लिए यह प्रयोग एक अनुभव की तरह है और इस परिस्थिति में सीखने और पढ़ने की एक नया अनुभव कर रहे हैं। यह प्रयोग इतना सफल रहेगा इसकी उम्मीद तो हमें भी नहीं थी।
क्या डिजिटल पढ़ाई के इस दौर में टू वे कम्युनिकेशन में दिक्कत आ रही है। क्या टीचर छात्रों की पढ़ाई की प्रगति को समझने के लिए उनके टास्क देख पा रहे हैं?
माध्यमिक स्कूल के विद्यार्थियों के लिए तो कोई मुश्किल ही नहीं। जिस तरह टीचर उन्हें अपने बनाए हुए स्टडी कंटेट भेज रहे हैं वैसे ही छात्र भी अपने जवाब या टास्क लिखकर उसी माध्यम से टीचर को वापस भेज रहे हैं। और घर पर आराम से छात्रों का काम तो पहले भी टीचर करते ही रहे हैं। अच्छी बात यही है कि छात्रों पर फिलहाल परीक्षा का कोई दबाव नहीं है। माध्यमिक बोर्ड की परीक्षाएं हो चुकी हैं और वैसे भी गर्मी की छुट्टियां आने ही वाली थी। लिहाजा नए सत्र के छात्रों को इस वक्त जितना कुछ मिल रहा है, उससे उनके समय का सदुपयोग हो रहा है।
क्या लॉकडाउन खत्म होने के बाद गर्मी की छुट्टियां समाप्त कर पढ़ाई को जारी रखने की योजना है?
यह व्यवस्था 15 मई तक के लिए बनाई गई है। 15 मई से पहले इस बारे में सभी पहलुओं पर विचार के बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे ताकि महामारी की छात्रों की पढ़ाई के नुकसान को बचाया जा सके।