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13 November 2025

बिहार विधानसभा चुनाव’25/इंटरव्यू/पवन कुमार वर्मा: ‘बिहार बदलाव चाहेगा, हमें सीटें मिलेंगी’

अगर हमारे संदेश की ताकत, उसकी प्रासंगिकता, बिहार के लंबे समय से पीड़ित लोगों के जीवन स्तर के लिए उसका महत्व, ये बातें लोगों तक पहुंची हैं और लोगों ने उन्हें आत्मसात कर लिया, तो उम्मीद है कि नतीजा अभूतपूर्व होगा। अगर यह बात नीचे तक नहीं पहुंची, तो प्रशांत किशोर ने खुद कहा है कि हमें 10 सीटें मिलेंगी। 

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बहाने लंबे समय बाद बिहार की राजनीति में पारंपरिक पार्टियों में खलबली है। जन सुराज ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांप्रदायिक राजनीति और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समाजवादी एजेंडे से अलग शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर फोकस किया है। जन सुराज सभी 243 सीटों पर लड़ रही है।  सतीश पद्मनाभन ने पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा वरिष्ठ नेता पवन कुमार वर्मा से बात की। उसके अंश:

प्रशांत किशोर ऐलान करने के बाद राघोपुर से तेजस्वी यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने से पीछे हट गए। दलील दी कि उन्‍हें पूरे राज्‍य में प्रचार करना है। आखिरी समय में वे डर गए?

नेता संसाधनों का इस्तेमाल दूसरे उम्मीदवारों के प्रचार में लगाए या किसी खास सीट से खुद चुनाव लड़े। मुझे यकीन है कि वे तेजस्वी को हरा नहीं पाते, तो कड़ी टक्कर जरूर देते। लेकिन पुनर्विचार करने पर हमें लगा कि हम सभी 243 सीटों पर लड़ने वाली इकलौती पार्टी हैं। इसलिए उनके प्रचार करने से पूरे राज्य में हमारे उम्मीदवारों की संभावनाएं बढेंगी। एक ही सीट तक सीमित रहने से यह बेहतर है। हमारे सारे उम्मीदवार स्थानीय स्तर पर मजबूत हैं, उनकी विश्वसनीयता है, सभी की क्षेत्र में पैठ है, फिर भी उन्हें एक उत्प्रेरक की जरूरत है। यह पार्टी हित में था कि 242 सीटों की कीमत पर सिर्फ एक सीट को प्रतिष्ठा की लड़ाई नहीं बनाया जाए। हम विश्वसनीय तीसरा विकल्प हैं।

जन सुराज जैसी पार्टी के लिए क्या बिहार तैयार है? मुख्यधारा की दूसरी पार्टियों के टिकट वितरण पर नजर डालें, तो साफ दिखाई देता है कि चुनाव में जाति की प्रधानता है।

यह बिहार के बारे में रूढ़ धारणा है। बिहार की ऐसी तस्वीर पश्चिमी निहितस्वार्थी तत्‍वों ने बनाई है, जो मानते हैं कि बिहार कभी नहीं बदल सकता। वहां से बस सस्‍ते मजदूर मिल सकते हैं, जिसका दोहन दूसरे राज्य करते हैं। यह भ्रम है कि बिहारी जाति निष्ठा से बंधे होते हैं और वे इससे अलग कुछ नहीं सोच सकते। देश में किस राज्य में जाति नहीं है? यह कहना कि बिहार बदलाव के लिए तैयार नहीं है, पिछले 30 वर्षों के कुशासन, कुप्रबंधन और उपेक्षा से आंख चुराना होगा।

मेरा बिलकुल यही मतलब है

पार्टियां, धर्म और जाति के जरिए बिहार के लोगों का ऐसे इस्तेमाल करती हैं मानो वे किसी डोर के सिरे से बंधी कठपुतलियां हों, जिसे नचाकर वे सत्ता में आते रह सकेंगे। आज अगर जन सुराज पार्टी को चंदा देने वाले 1.3 करोड़ सदस्य हैं, तो यह इस बात का सबूत है कि बिहार के लोग विकल्प की तलाश में हैं। जन सुराज पार्टी ने उनकी नब्ज को छुआ है।

दूसरी पार्टियां कई तरह घोषणाएं और वादे कर रही हैं। मसलन एक महिलाओं के खाते में 10,000 रुपये डाल चुकी है, दूसरी हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा कर चुकी है। ऐसे में जन सुराज कहां खड़ी है?

मुझे लगता है कि बिहार के लोग, चाहे जितने गरीब हों, चाहे जितने पिछड़े हों, उन्‍हें एहसास हो चला है कि अब बहुत हो गया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने आचार संहिता लागू होने से कुछ देर पहले 21 लाख महिलाओं के खाते में 10,000 रुपये डाल दिए, यह न सिर्फ अनैतिक है, बल्कि संविधान की भावना के खिलाफ है। प्रशांत किशोर बार-बार कहते हैं कि वोट पाने के लिए वे आपको पैसे देंगे, आप पैसा रख लीजिए। यह आपका ही पैसा है, जो आपने घूस के तौर पर दिया था, वही वापस आ रहा है। अगर लोगों ने इस खेल को समझ लिया, तो जन सुराज बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी। अगर नहीं, तो जन सुराज फिर से लड़ाई शुरू करेगी।

जन सुराज ने युवाओं पर दांव लगाया है। लेकिन सारे युवा एक जैसा नहीं सोचते, उन्हें एक ही समूह मानना क्‍या ग़लत नहीं है? युवा भी जाति, वर्ग और धर्म उसी खांचे में बंटे हैं।

आबादी के लिहाज से बिहार में युवा सबसे ज्‍यादा हैं। युवाओं की बहुत आकांक्षाएं हैं। वे शिक्षा-व्‍यवस्‍था की नाकामियों से नाराज हैं। आज विश्वविद्यालय और कॉलेज बेरोजगार छात्र तैयार कर रहे हैं। वे इस बात से नाराज हैं कि उन्हें अपना राज्य, अपना घर, अपना परिवार छोड़कर बाहर जाना पड़ता है। उनमें लगभग 60 लाख को बहुत कम वेतन पर खराब स्थितियों वाली नौकरियां मिलती हैं।

प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि 150 से कम सीटें जन सुराज पार्टी की हार समझी जाएगी। आपके अनुमान में पार्टी कितनी सीटें जीत सकती है?

अगर हमारे संदेश की ताकत, उसकी प्रासंगिकता, बिहार के लंबे समय से पीड़ित लोगों के जीवन स्तर के लिए उसका महत्व, ये बातें लोगों तक पहुंची हैं और लोगों ने उन्हें आत्मसात कर लिया, तो उम्मीद है कि नतीजा अभूतपूर्व होगा। अगर यह बात नीचे तक नहीं पहुंची, तो प्रशांत किशोर ने खुद कहा है कि हमें 10 सीटें मिलेंगी। 

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TAGS: Bihar Election, Interview, Pawan Kumar Verma, Satish Padmanabhan
OUTLOOK 13 November, 2025
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