गेम चेंजर होने जा रहा है ‘न्याय’
लोकसभा चुनाव को किस तरह देख रहे हैं?
चुनाव में एनडीए सरकार के जाने का स्पष्ट संकेत है। वे पिछली परफॉर्मेंस नहीं दोहरा पाएंगे। बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड के सियासी समीकरण और दिसंबर 2018 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुए चुनाव नतीजों से साफ है कि एनडीए के पहले जैसे परफॉर्मेंस का सवाल ही नहीं है।
लोकसभा में आप कितनी सीटों की उम्मीद कर रहे हैं? क्या लोकसभा में विधानसभा जैसा प्रदर्शन कर पाएंगे?
जिन वादों के साथ विधानसभा चुनाव लड़े थे, उनमें से अधिकांश और बड़े वादे हमने पूरे कर दिए हैं। अब वादे पूरे कर दिए तो उम्मीद करते हैं कि सभी 11 लोकसभा सीटें जीतेंगे।
दुर्ग सीट आपके गृह जिले में है, यहां कितने मार्जिन से जीतेंगे?
भविष्यवाणी तो नहीं कर सकता, लेकिन बड़े मार्जिन से जीतेंगे।
आपने कहा कि वादे पूरे किए, किसानों की ऋणमाफी की, आदिवासियों को जमीन वापसी की वगैरह। लेकिन पांच साल के लिए आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?
घोषणा-पत्र के आधार पर रोडमैप बनाकर अधिकारियों को दिया गया है। उसके आधार पर अगले पांच साल काम करेंगे। कई और बड़े वादे पूरे कर दिए हैं। बजट से संबंधित घोषणाओं को आने वाले वर्षों में पूरा करेंगे।
पिछली सरकार के कई अफसरों और नेताओं पर केस दर्ज हुए, उससे कहा जा रहा है कि बदले की भावना से कार्रवाई हुई?
बदले की भावना से काम करने के लिए हमारे पास समय नहीं है। लेकिन जिन मुद्दों पर हमें जनादेश मिला है, उस पर कार्रवाई कर रहे हैं। फिर चाहे वह 36 हजार करोड़ रुपये के नान घोटाले का मुद्दा हो या फिर अंतागढ़ कांड में विधायक के खरीद-फरोख्त का। झीरम घाटी कांड तो षड्यंत्र था, जिसमें कांग्रेस के तब के सभी पहली पांत के नेता मारे गए थे। उस घटना की जांच के लिए सरकार बनने पर हमने पहले ही दिन स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) बना दी। इसमें बदला कहां है? वोट की खातिर भाजपा के लोग कुछ भी आरोप लगा रहे हैं।
नक्सलवाद राज्य की बड़ी समस्या है। हाल ही में नक्सलियों ने एक विधायक की हत्या कर दी, इससे निपटने की रणनीति क्या होगी?
नक्सलवाद गंभीर समस्या है। इसे रातोरात या कुछ महीनों में हल नहीं किया जा सकता है। इसके लिए ठोस नीति चाहिए। यहां 15 साल भाजपा सत्ता में रही। सत्ता संभालने के बाद हमने अफसरों से पिछली सरकार की नक्सल नीति के बारे में पूछा? पर वे कोई नीति नहीं बता पाए। पिछली सरकार के पास नक्सलियों से निपटने की कोई रणनीति ही नहीं थी।
कहा जा रहा है पिछली सरकार नक्सलियों से सख्ती से पेश आ रही थी। आप लोग बातचीत और मामलों पर पुनर्विचार की बात कर रहे हैं ?
गोली का जवाब गोली नहीं हो सकती, लेकिन नक्सली गोली चलाएं और जवान हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें, यह भी नहीं हो सकता। भाजपा के राज में तो छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का विस्तार ही हुआ। यह नारायणपुर, बीजापुर और बस्तर के जिलों से निकलकर राज्य के 14 जिलों में फैल गया। भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा तक पिछले साल नक्सलवाद पहुंच गया। हम आदिवासियों का विश्वास जीत रहे हैं। टाटा की फैक्ट्री के लिए ली गई जमीन आदिवासियों को लौटाई गई। वन अधिकार की शुरुआत कर दी है। तेंदूपत्ता की कीमत बढ़ाई है। 15 लघु वन उपज खरीदने की व्यवस्था की गई है।
छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जहां धान का समर्थन मूल्य 2,500 रुपये प्रति क्विंटल है। यह कितना सफल होगा, जब इस मूल्य पर एफसीआइ खरीद न करने और केंद्र सरकार अनुदान न देने की बात कर रही है?
जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तबसे ऐसी स्थिति बनी है। किसान कड़ी मेहनत कर धान पैदा करता है तो क्यों प्रोत्साहन राशि नहीं मिलनी चाहिए। केंद्र की एनडीए सरकार किसान विरोधी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपने एक आईना भेजा है। इसके क्या मायने हैं?
मोदी जी कभी चायवाला, कभी चौकीदार, कभी 56 इंच के सीने वाला, कभी बुलेट ट्रेन वाला बन जाते हैं, कभी स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने वाले बन जाते हैं। आपकी नाक के नीचे से विजय माल्या, नीरव मोदी निकल जाते हैं। मोदी जी अपना असली चेहरा तो बताएं? आखिर वे हैं क्या? यही बताने के लिए उन्हें आईना भेजा गया है।
‘न्याय’ योजना को कांग्रेस बड़ा चुनावी औजार बता रही है। गरीबों को 72 हजार रुपये सालाना देने की योजना पर आज आपने आय पर चर्चा की शुरुआत की है। क्या वाकई इससे चुनाव में फायदा होगा?
‘न्याय’ योजना ने लोगों का ध्यान खींचा है। जब मनरेगा लागू हुआ था, तब भी कहा गया कि पैसा कहां से आएगा। इसकी बनिस्बत आज देश के 14 करोड़ परिवार गरीबी रेखा से ऊपर जीवन-यापन कर रहे हैं। इसी तरह न्याय योजना पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। इसमें कुल बजट की छह फीसदी राशि ही खर्च होगी। इससे 25 करोड़ लोगों को फायदा मिलने वाला है। यह गेम चेंजर साबित होगी।
राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। चुनावी वादों पर आपके फैसलों को वजह बताया जा रहा है। क्या इससे राज्य की वित्तीय स्थिति खराब नहीं होगी?
दो हजार करोड़ रुपये के मोबाइल बांटे जाते हैं, तीन उद्योगपतियों के 1,600 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी माफ की जाती है, तो वित्तीय स्थिति खराब नहीं होती? हम 20 लाख किसानों का 10,200 करोड़ रुपये माफ कर देते हैं, तो क्या गलत है?
युवाओं को रोजगार देने के लिए क्या कदम उठाएंगे?
जीएसटी और नोटबंदी के बाद व्यापार ठप हो गया था। कर्जमाफी से 20 लाख किसानों के पास पैसा आया। कोई ट्यूबवेल लगवा रहा है तो कोई मोटरसाइकिल खरीद रहा है। यहां के बाजार में रौनक आ गई है। हम युवाओं को रोजगार देने के मकसद से प्रदेश में 15 हजार शिक्षकों की भर्ती करने जा रहे हैं और 1,300 सहायक प्राध्यापकों की भी नियुक्ति की जा रही है। फूड प्रोसेसिंग प्लांटों के माध्यम से भी रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे।
लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में प्रचार के लिए सबसे बड़े चेहरे क्या भूपेश बघेल हैं?
सबसे बड़े चेहरे तो राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी हैं।
सरकार की पांच बड़ी प्राथमिकताएं क्या हैं?
किसानों का ऋण माफ किया गया और आदिवासियों की जमीन लौटाई गई। गांवों में बड़े स्तर पर गौठान (पशुओं के रखने वाले स्थान) बनाए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी (पहचान) गरवा (गाय), नरवा (नाला), घुरवा (कम्पोस्ट खाद बनाने के स्थान) और बारी (सब्जी की खेती वाली जगह) को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है।
विधानसभा चुनाव के दौरान राजस्थान और मध्य प्रदेश के उलट छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की वापसी का आकलन नहीं हो रहा था। तो, यह कैसे संभव हुआ?
जीत का सबसे बड़ा कारण रहा कांग्रेस का जमीनी स्तर पर काम। राज्य का ऐसा कोई जिला नहीं, जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी नहीं गए। वे हर छोटी-बड़ी चीजों की निगरानी करते रहे और दिशा-निर्देश देते रहे। मैंने उनके निर्देश पर पदयात्रा की। कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया। इसका हमें लाभ मिला और हमें तीन चौथाई बहुमत मिल गया।