RSS-BJP से हाथ मिलाने में कांग्रेस नेताओं को कोई हिचक नहीं: कांग्रेस के पूर्व नेता पीसी चाको
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल होने के कुछ दिनों बाद कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता पी सी चाको ने कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार राष्ट्रीय स्तर पर भावी गठबंधन के नेता के रूप में राहुल गांधी की तुलना में अधिक चाहे जाने वाले हैं। आउटलुक से बात करते हुए चाको ने कहा कि केरल में कांग्रेस गुटबाजी से त्रस्त है और इसके वरिष्ठ नेताओं को वाम दलों को हराने के लिए भाजपा से हाथ मिलाने में कोई हिचक नहीं है।
साक्षात्कार के प्रमुख अंश...
आपने विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ा है। आप एनसीपी में क्यों शामिल हुए जो केरल में सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ का एक हिस्सा है?
मैं एनसीपी की विचारधारा के साथ खुद को सहज मानता हूं। इसके अलावा मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में शरद पवार की राष्ट्रीय संदर्भ में भूमिका निभाने के लिए बड़ी भूमिका होगी। क्योंकि वो डीएमके के स्टालिन, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी के साथ एक अच्छा समीकरण साझा कर रहे हैं। भविष्य में उनके यूपीए के नेता बनने की प्रबल संभावना है। संभवतः वो एकमात्र राष्ट्रीय नेता हैं जिनका सभी क्षेत्रीय पार्टी, उनके नेताओं के साथ अच्छा तालमेल है जो अगले लोकसभा चुनाव में प्रमुख खिलाड़ी बनेंगे। राष्ट्रीय स्तर पर भावी गठबंधन के नेता के रूप में पवार की राहुल गांधी से अधिक स्वीकार करने वाले लोग हैं। मैं जानता हूं कि ममता बनर्जी और स्टालिन सहित क्षेत्रीय नेताओं को किसी अन्य राष्ट्रीय नेता की तुलना में शरद पवार पर अधिक विश्वास है। मेरा एनसीपी के साथ 80 के दशक से पुराना रिश्ता है। मैं 1980 में केरल में वाम मोर्चे की सरकार का हिस्सा था। हम कांग्रेस (एस) नाम से एक गुट अलग हुए थे, जो बाद में एनसीपी बन गया। स्वतंत्रता आंदोलन के समय से राष्ट्रीय आंदोलन के सिद्धांतों और मूल्यों को एनसीपी द्वारा विरासत में मिला है।
आप क्यों कह रहे हैं कि केरल में कांग्रेस डगमगा रही है?
पार्टी अपने आंतरिक मामलों को बहुत जर्जर तरीके से संभाल रही है। सीएम पिनाराई विजयन के खिलाफ कमजोर उम्मीदवार उतारने के लिए अंतिम समय तक इंतजार किया गया, जो धर्मदाम से चुनाव लड़ रहे हैं। यह स्पष्ट है कि भाजपा के उम्मीदवार सी के पद्मनाभन को कांग्रेस के वोट मिलेंगे। लोग सोच सकते हैं कि इस निर्वाचन क्षेत्र में उन्होंने अंतिम क्षणों में निर्णय लिया है। लेकिन ये पूर्व सीएम ओमन चांडी का खेल है। केरल में कांग्रेस का नेतृत्व चाहे वो ओमेन चांडी का हो या रमेश चेन्निथला का, उन्हें आरएसएस-भाजपा नेतृत्व के साथ गुप्त समझौते करने में कोई संकोच नहीं है।
क्या अब आप राज्य की राजनीति में अधिक सक्रिय होंगे?
राज्य की राजनीति में एक लंबी पारी के बाद मैं 1991 में संसद सदस्य बनने के बाद दिल्ली चला गया था। तब से मैं राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा रहा हूं। मैं शरद पवार के नेतृत्व में अपना राजनीतिक सफर जारी रखूंगा।
क्या पार्टी छोड़ने के बाद आपको केंद्रीय नेतृत्व की। तरफ से कोई बातचीत हुई है?
मेरे जाने के बाद मुझसे पार्टी ने कोई संपर्क नहीं किया है। मैं अब आलाकमान से कोई मोलभाव नहीं करना चाहता। पार्टी छोड़ने से पहले मैंने तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर राहुल गांधी से मुलाकात की थी और उन्हें सूचित किया था कि केरल में वरिष्ठ नेता मामलों को सुचारू रूप से नहीं संभाल रहे हैं। मैंने उनसे वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श करने का भी अनुरोध किया। हालांकि, राहुल गांधी ने ओमन चांडी पर आंख मूंदकर विश्वास करना पसंद किया। वे उम्मीदवारों के चयन के बारे में गड़बड़ी को लेकर पता लगाने के लिए वी एम सुधीरन और अन्य जैसे वरिष्ठ नेताओं से परामर्श कर सकते थे। उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसमें आलाकमान का कोई हस्तक्षेप नहीं था। मेरे पास पार्टी छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
आप केंद्रीय नेतृत्व से नाखुश क्यों थे?
मैं दुखी हूं क्योंकि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी विपक्ष की भूमिका नहीं निभा रही है। मैं दिल्ली चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के साथ सीट बंटवारे के प्रस्ताव के साथ राहुल गांधी के पास गया। वो इस प्रस्ताव पर बहुत उत्सुक नहीं थें। मेरे पास हरियाणा, पंजाब और गोवा के लिए एक और प्रस्ताव था, जो हमें कम-से-कम 15 सीटें दिला सकता थे। लेकिन, सोनिया और राहुल गांधी उत्सुक नहीं थे। मैं भाजपा के खिलाफ सामूहिक लड़ाई के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व में दिलचस्पी नहीं लेता। राहुल गांधी के ट्वीट अच्छे हैं, लेकिन कोई अकेला पार्टी को नहीं बचा सकता।