कुछ 'खास लोगों' को बचाने के लिए मुझे 'बलि का बकरा' बनाया गया: डॉ. कफील खान
ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मौत के सिलसिले में डॉ. कफील खान को निलंबित कर दिया गया था, जिसके दो साल बाद डॉ कफील ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। लेकिन यूपी सरकार इसे खारिज कर रही है। डॉ. खान गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत थे, जहां 63 बच्चों की कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो गई थी। डॉ. खान ने इस पूरे मसले पर अक्षय दुबे से बातचीत की। प्रस्तुत है कुछ अंश:
आप कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आपको आरोप मुक्त कर दिया है लेकिन प्रदेश सरकार इस बात को पूरी तरह से खारिज कर रही है। इस पर आपका क्या कहना है?
ये जुमला है लोगों को गुमराह करने का। मैं मानता हूं कि दो मामलों में मुझे आरोपमुक्त नहीं किया गया है। दोनों आरोप अप्रासंगिक और मुर्खतापूर्ण है। आरोप प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर है। उसमें भी जांच अधिकारी ने साफ तौर पर लिखा है कि 8 अगस्त 2016 के पहले डॉ. कफील प्राइवेट प्रैक्टिस करते थे। 2016 के बाद इसे लेकर कोई सबूत नहीं है। ...8 अगस्त 2016 को मैंने बीआरडी में पदभार संभाला इससे पहले मैं क्या करता था इससे यूपी सरकार को क्या मतलब है?
यूपी सरकार 2013 में रजिस्टर्ड अस्पताल में मुझे काम करते हुए दिखा रही है। अब आप खुद सोचिए 2013 में मैं वहां काम करता था और 2017 में घटना हुई है, इसका क्या संबंध हो सकता है? मुझ पर जो मुख्य आरोप थे कि मैंने बच्चों को मारा, भ्रष्टाचार किया उन सभी आरोपों से मैं बरी हो गया हूं। योगी सरकार के प्रधान सचिव ने खुद रिपोर्ट दी है लेकिन यूपी सरकार लोगों में भ्रम फैलाने का काम कर रही है।
अब आगे की जांच को लेकर क्या उम्मीद है?
अभी सुनने में आ रहा है कि मुझे दोबारा सस्पेंड किया जा रहा है। जो पहले से ही निलंबित है उसे और कैसे निलंबित किया जा सकता है। एक मरे हुए आदमी को दोबारा मारने की कोशिश की जा रही है। बाकी मैं हैरान हूं कि कैसे योगी सरकार के अफसर ने इतनी अच्छी रिपोर्ट दे दी। शायद उन्हें मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला। लेकिन वे अब 2013 के पेपर लेकर घूम रहे हैं। बहरहाल मुझे न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है। मैं अदालत का रूख करूंगा।
अगस्त 2017 के बाद का वक्त आपके लिए कितना कठिन रहा?
ये वक्त बहुत गंदा बीता। यह ना सिर्फ मेरे लिए तकलीफदेह थी बल्कि मेरे परिवार वालों ने बहुत कुछ झेला। 15 महीने की जेल। एक छोटे से बैरक में मुझे हार्डकोर अपराधियों के साथ रखा गया था। नौ महीने तक मूली की सब्जी और रोटी मिलती थी। घर वालों से मिलने नहीं दिया जाता था। बहुत टॉर्चर किया गया। जब 2 सितंबर को मुझे गिरफ्तार किया गया था तो मुझे मजिस्ट्रेट के पास नहीं ले जाया गया। एक गेस्ट हाउस में ले जाकर मुझे रात तक टॉर्चर किया गया। मुझे कहा गया कि मीडिया के सामने बीआरडी त्रासदी के बार में बात नहीं करनी है। नौ महीने तक मुझे जमानत नहीं मिली। मैंने जेल से दस पन्नों का खत लिखा उसके बाद कहीं जाकर मुझे जमानत मिल सकी।
...अब इस रिपोर्ट के बाद यूपी सरकार से गुजारिश है कि मेरी नौकरी मुझे ससम्मान वापस करें। और बीआरडी मामले की जांच हो। किसी ने तो 63 बच्चों की हत्या की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कह दिया है कि डॉ कफील कातिल नहीं है। जांच रिपोर्ट में आया है कि डॉ कफील कातिल नहीं है। लेकिन कातिल कोई तो है ना? ...अब योगी सरकार को गलती मानते हुए पीड़ित परिवारों को मुआवजा देना चाहिए। उनसे माफी मांगनी चाहिए।
आपको विशेष समुदाय के होने की वजह से तो निशाना नहीं बनाया गया?
नहीं..नहीं..मुझे बिल्कुल ऐसा नहीं लगता। किसी न किसी को बलि का बकरा बनाया जाना था। मुझे तो बलि का बकरा इसलिए बनाया गया ताकि बच्चों की मौतों से ध्यान हटाया जा सके। अपने खास लोगों को बचाने के लिए मुझे निशाना बनाया गया।
देखिए, 11-12 अगस्त को लोग कह रहे थे कि 70 बच्चों की मौत हुई। पूरी दुनिया इस पर रो रही थी। लोग कह रहे थे डॉ. कफील हीरो हैं, मसीहा हैं। योगी जी इस्तीफा दें।...लेकिन 13 अगस्त के बाद सिर्फ और सिर्फ ये बात हो रही थी कि डॉ. कफील ने ये किया, डॉ. कफील ने वो किया... लोगों का ध्यान हट गया कि 70 बच्चे मरे हैं। पूरे मामले को डायवर्ट कर दिया गया।
अब न्याय की लड़ाई को कैसे आगे बढ़ाएंगे?
मुझे नहीं लगता कि 2022 तक जब तक योगी जी हैं मुझे न्याय मिलेगा। बाकी मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगा। साथ ही 70 बच्चों के न्याय के लिए और कातिलों को सजा दिलाने के लिए भी संघर्ष करता रहूंगा। मुझे न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है।
वो मेरे दो साल मुझे वापस नहीं लौटा सकते, दो साल तक मुझे पैसों के लिए मोहताज कर दिया गया। भाई को गोली वहां मारी गई थी जहां योगी जी 500 मीटर की दूरी पर मौजूद थे। आज एक साल हो गए लेकिन कोई जांच नहीं, आरोप-पत्र नहीं, कोई गिरफ्तारी नहीं। ..तो जीवन कठिन है मगर मैं संघर्ष जारी रखूंगा।
बीआरडी त्रासदी के बाद वहां कोई सुधार नजर आ रहा है?
हां, काफी सुधार हुए हैं। काफी पैसे दिए गए हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर में काफी सुधार हुए हैं। कई इमारतें बन गई हैं। हालांकि डॉक्टरों की नियुक्ति अभी नहीं हुई है लेकिन 2017 त्रासदी से पहले शाम 4 बजे अस्पताल की ओर से डेटा जारी की जाती थी कि कितने बच्चे भर्ती हैं, कितनों की मौत हुई है, इसे योगी सरकार ने बंद करवा दिया है। जब तक जानकारी बाहर नहीं आएगी तब तक हम साफ तौर पर नहीं बता सकते कि क्या सुधार हुआ है।
एक धड़ा आपको हीरो की तरह देखता है और एक धड़ा आपको विलेन की तरह। आप खुद को किस तरह देखते हैं?
मैं खुद को एक सामान्य डॉक्टर, इंसान और बाप की तरह देखता हूं। कोई भी संवेदनशील आदमी उस रात वहां होता वो वही करता... कोई भी अपने सामने बच्चों को मरता हुआ नहीं देखता चाहता। मुझे आज भी याद है कि वहां मौजूद हर मां पैर पकड़कर रो रही थी कि मेरे बच्चे को बचा लो..लेकिन हम लोग असहाय थे। मैं वहां अकेला नहीं था 16 जूनियर डॉक्टर थे, सिस्टर थीं, वार्ड बॉय और स्वीपर भी थे जिन्होंने 54 घंटे तक काम किया।
कुछ लोग हीरो और कुछ लोग कातिल इसलिए समझते हैं क्योंकि जहर फैला दिया गया है। मैं जब बच्चों को बचाने गया था तो हिंदू और मुस्लिम, गरीब और अमीर का बच्चा समझकर काम नहीं कर रहा था। कुछ लोगों ने ये जाति और धर्म के नाम पर बंटवारा कर दिया। कुछ मीडिया चैनलों ने भ्रम फैलाया। मगर मेरा दिल जानता है कि मैं सच्चा हूं। अभी भी इंसानियत जिंदा है... अभी हम लोगों ने बाढ़ प्रभावित असम, केरल में कैम्प किया था और बिहार में हम लोगों ने मुफ्त कैम्प लगाया है। जेल से आने के बाद हमनें 70 कैम्प किए हैं। मजेदार बात ये है कि इस दौरान सारी दवाइयां देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों ने ही भेजी है यानी लोगों को अभी यकीन है।