मुद्दा तो मोदी ही हैं: रमन सिंह
चार महीने पहले विधानसभा चुनाव में जनता ने आपकी पार्टी को बुरी तरह खारिज कर दिया। अब लोकसभा चुनाव में आप क्या संभावनाएं देखते हैं?
विधानसभा के मुद्दे लोकल थे, उसमें हम बहुत पीछे रहे। 15 साल की सरकार का नकारात्मक प्रभाव भी रहा, लेकिन लोकसभा में राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाने को लेकर वातावरण भी बना है। लोगों ने मोदी जी के पांच साल के काम को देखा है। जनता को, विकास को दिशा देने वाला प्रधानमंत्री ही नहीं चाहिए, बल्कि देश की सुरक्षा और स्वाभिमान की रक्षा करने वाला प्रधानमंत्री भी चाहिए। मजबूत पीएम बने, मजबूर नहीं।
लोकसभा में टारगेट क्या लेकर चल रहे हैं। रणनीति क्या है?
संख्या का आकलन कठिन है, अधिकांश सीटों पर हमारी बढ़त होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही केंद्र में रख कर चुनाव अभियान की रणनीति बनाई गई है। उनके पांच साल के कार्यकाल में हुए काम का आधार है। खासतौर से प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत योजना, किसानों को छह हजार और मजदूरों को पेंशन देने की बात है। मोदी जी के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में कई काम हुए, जो सीधे केंद्र से जुड़े थे। लोग पांच साल बनाम 55 साल की तुलना भी करते हैं।
इस चुनाव में मोदी फैक्टर काफी अहम है? सारी रणनीति मोदी जी के इर्द-गिर्द ही है। चुनाव में मुद्दे क्या हैं?
इस बार का लोकसभा चुनाव मोदी और राहुल के इर्द-गिर्द घूम रहा है। चयन इस बात का करना है कि प्रधानमंत्री कौन होगा? मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है या फिर 44 सांसदों की पार्टी के मुखिया राहुल गांधी या 16 दलों के बेमेल गठबंधन में से मायावती या ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री बनाना है। राष्ट्रीय मुद्दों पर बात कर रहे हैं। राज्य की कांग्रेस सरकार के 110 दिन के कामकाज को भी जनता को बता रहे हैं। यह सरकार 110 दिनों में ही बुरी तरह असफल हो गई है। सारे विकास के काम ठप हो गए हैं। शून्यता नजर आ रही है। नमक, चना व चरण पादुका बांटने का काम ठप हो गया है। सरकार आर्थिक दिवालियेपन की कगार पर है। कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। युवाओं में भी नाराजगी है। राज्य की लापरवाही के चलते किसानों को किसान सम्मान निधि नहीं मिली।
भाजपा ने राज्य के सभी वर्तमान सांसदों को बदल कर नए चेहरे खड़े किए हैं। आपके चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन आप नहीं लड़े?
यह एक प्रयोग है। कई लोग लगातार सांसद बनते रहे। उनके खिलाफ कुछ नकारात्मकता हो सकती थी। नए लोगों के बारे में कोई निगेटिविटी नहीं है। सब कुछ सकारात्मक है। हाल ही में विधानसभा चुनाव लड़ा, इस कारण पार्टी ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाया।
आपके पुत्र राजनांदगांव के सांसद अभिषेक सिंह को दोबारा प्रत्याशी क्यों नहीं बनाया गया?
यहां के सभी वर्तमान सांसदों को दोबारा प्रत्याशी नहीं बनाने का पार्टी ने नीतिगत फैसला किया। इस कारण अभिषेक को भी मैदान में नहीं उतारा गया।
भूपेश बघेल की सरकार आपके कार्यकाल के कई कामों को लेकर अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज करा रही है। आपके खिलाफ भी हमले हो रहे हैं? इसे किस रूप में लेते हैं?
मैंने पहले भी कहा है कि यहां बदलापुर की राजनीति नहीं चलेगी। मैं राज्य में 15 साल मुख्यमंत्री रहा। 3-3 कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे। किसी के खिलाफ बदले की कार्रवाई नहीं की। यह सरकार तो पहले दिन से ही बदले की कार्रवाई कर रही है।
आपके कार्यकाल में नक्सलियों के खिलाफ सख्ती बरती गई। मौजूदा सरकार का बातचीत पर जोर है?
नक्सल मामले में यह सरकार अब तक असफल रही है। इस सरकार ने नक्सल नीति में यू-टर्न ले लिया है। नक्सली कहने लगे हैं, अब हमारी सरकार है। बस्तर में आए दिन घटनाएं हो रही हैं। चुनाव के वक्त विधायक समेत पांच लोगों की हत्या हो चुकी है। हमने 15 साल में नक्सलियों को पीछे धकेल दिया था। हमने लोगों का विश्वास जीता, सड़कें बनाईं। स्कूल बनाए। बीपीओ खोले, अब सब उल्टा हो गया।
कांग्रेस का कहना है, भाजपा के राज में झीरम घाटी घटना हुई। आज नक्सली घटना को लेकर भाजपा हल्ला कर रही है?
निश्चित तौर से झीरम कांड बड़ी घटना थी। नक्सली किसी के नहीं होते, न भाजपा और न ही कांग्रेस। उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। वे सुर्खियों में रहने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधन काफी हैं। आपके कार्यकाल में इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कई काम हुए। नई सरकार उसे आगे बढ़ा पाएगी?
उद्योग को लाने के लिए कई नीतिगत फैसले लेने पड़ते हैं। माहौल बनाना पड़ता है। टाटा का प्लांट नहीं लगने पर आदिवासियों को जमीन लौटाना ठीक है। लेकिन उद्योग कैसे आएंगे, इसको देखना होगा। सबको जमीन लौटाओगे, तो क्या होगा। उद्योग लगते हैं तो निवेश आता है और लोगों को रोजगार मिलता है। हमारे कार्यकाल में एक माहौल बना। राजस्व भी मिला।