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16 May 2021

इंटरव्यू।। वैक्सीन की भारी किल्लत, केंद्र का दोहरा रवैया- छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव

File Photo

लगातार देश में कोरोना संक्रमितों के मामले अब पूरी दुनिया में हर दिन रिकॉर्ड-तोड़ दर्ज किए जा रहे हैं। बढ़ते संक्रमण के साथ ही राज्य-दर-राज्य, शहर-दर-शहर जिंदगियां अस्पतालों के बाहर अटकी पड़ी है। ऑक्सीजन के बिना हजारों सांसे थमती जा रही है। 3 करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में भी लगातार कोरोना फैलता जा रहा है। हालांकि, अब कुछ दिनों से मामलों में कमी देखने को मिली है। अन्य राज्यों की तरह यहां से भी बदहाली की तस्वीरें सामने आ रही है। आउटलुक के नीरज झा से बातचीत में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव कहते हैं कि संक्रमण पर काबू पाने के लिए लगातार सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। उम्मीद नहीं थी कि दूसरी लहर इतनी भयावह होगी। साथ ही वो केंद्र के दोहरे चरित्र का भी आरोप लगाते हैं।

पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...  

राज्य के 28 जिलों में से 20 में पूर्ण रूप से लॉकडाउन है या पाबंदियां हैं। इसका असर संक्रमण पर दिखा है?

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बिल्कुल, पाबंदियां लगने के बाद से आंकड़े को देखें तो जो पॉजिटिविटी रेट 28% था वो अब लगातार गिर रहा है। पीक कब आता है, उसका इंतजार करना होगा। इस स्थिति में पाबंदियां बेहद जरूरी है। कई जिलों में पॉजिटिविटी रेट 40 से 50 फीसदी तक पहुंच गई थी, जो 17 अप्रैल को 30% के करीब पहुंच गई है। असर स्पष्ट दिख रहा है। चिंता की बात है कि जहां कम मामले आ रहे थे, वहां बढ़ रहे हैं। शहरी क्षेत्रों से ज्यादा मामले दर्ज हो रहे हैं।

10 अप्रैल से हर दिन 100 से अधिक लोगों की मौतें हो रही है और अब ये 200 को पार गया है।

एक भी व्यक्ति की मौत चिंताजनक है। इसे रोकने के लिए लगातार चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा हैं। हम आंकड़ों के साथ हेर-फेर नहीं कर रहे हैं, जैसा करने के कई राज्यों पर आरोप लग रहे हैं। मेडिकल उपकरणों की व्यवस्था भी युद्ध स्तर पर की जा रही है।

लेकिनराज्य में लगातार एक्टिव केस बढ़ रहे हैंजो दिसंबर में 11 हजार था वो अब एक लाख से अधिक हो गया है।

ये हमारे लिए सबसे मुश्किल समय है। एक समय में इतने सारे मरीजों को देखना पड़ रहा है। लोग रिकवर भी हो रहे हैं, ये अच्छी बात है। टेस्टिंग पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। उम्मीद है, जल्द हालात सुधरेंगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट राज्य में कम हो रहे हैं जबकि रैपिड-एंटिजन टेस्ट अधिक। इसमें कितनी सच्चाई है?

आरटी-पीसीआर लैब की क्षमता लिमिटेड है। हमें रैपिड टेस्ट करना होगा। जो लोग बाहर से राज्य लौट रहे हैं,उनकी टेस्टिंग जरूरी है। हम लोग दोनों टेस्ट के अनुपात को संतुलित बनाए हुए हैं। यदि ये गलत होता तो केंद्र इसे प्रतिबंधित कर देता। मुख्य जोर टेस्टिंग बढ़ाने पर है। हम आरटी-पीसीआर लैब भी बढ़ा रहे हैं। 4 नए लैब जल्द काम करने लगेंगे । रैपिड में यदि निगेटिव आता है तब ये संभावना हो सकती है कि आरटी-पीसीआर में परिणाम पॉजिटिव आए।

अभी वैक्सीन की क्या स्थिति है। क्योंकिआपने आरोप लगाया था कि केंद्र से पर्याप्त नहीं मिल रही है।

हमने ये बातें इसलिए कही थी क्योंकि एक बयान में कहा गया था कि वैक्सीन की देश में कोई कमी नहीं है। हमारी एक दिन में 3 से 4 लाख टीकाकरण करने की क्षमता है और देश में कुल प्रोडक्शन ही 24 लाख के करीब हो रहा है। फिर ये कैसे संभव हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक में खुद सचिव ने बोला था कि हमारे पास उत्पादन क्षमता लिमिटेड है। राज्य के करीब 15 फीसदी आबादी का टीकाकरण हो चुका है। यदि वैक्सीन पर्याप्त मिलती तो हम और आगे होते। ये कहना कि वैक्सीन की कमी नहीं है सीधे तौर पर गलत है। हर व्यक्ति का टीकाकरण होना चाहिए और वैक्सीन उत्पादन की क्षमता को ज्यादा-से-ज्यादा बढ़ाए जाने की जरूरत है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी कहा है कि हमें कुल आबादी की कितनी फीसदी का टीकाकरण हो रहा है इस पर ध्यान देने की जरूरत है। अभी छत्तीसगढ़ में 50 लाख के करीब लोगों का टीकाकरण हो चुका है।

देश में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की किल्लत है। हालांकि,  डॉक्टरों का कहना है कि ये उतना कारगर नहीं है। राज्य में भी लोग परेशान हो रहे हैं।

खपत के मुताबिक इसे पूरा करने का प्रयास है। एक टेंडर 12 अप्रैल को हमने 90,000 डोज के लिए निकाला था। लेकिन, सिप्ला कंपनी ने वादा कर सप्लाई नहीं की, उनपर कानूनी कार्रवाई होगी। लेकिन, अभी हमने फिर से 16 अप्रैल को टेंडर निकाला है। इसकी सप्लाई हो रही है। 30,000 इंजेक्शन मिले हैं। गांव के मुकाबले शहरों में ज्यादा मांग है। लोगों को ऐसा लगता है कि ये रामबाण है। गंभीर स्थिति में इसकी सिफारिश की जा रही है। लेकिन, आईसीएमआर की गाइडलाइन कहती है कि ऐसे कोई सबूत अभी नहीं मिले हैं। चिंता की बात है कि जो पॉजिटिव आ रहे हैं वो भी मेडिकल स्टोर पहुंच रेमडेसिवीर खरीद रहे हैं।

राज्य के अस्पतालों से बदइंतजामी की तस्वीरें भी सामने आ रही है। मुर्दाघर में शवों का ढेर लगा है। क्या कहेंगे?

नगर निगम और डीएम के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है, ताकि कमी को दूर किया जा सके। शमशान घाटों की क्षमता बढ़ाई गई है। दुर्भाग्यपूर्ण किसी की मौत होती है तो उसके अगले चरण के लिए इंतजार तो करना पड़ता है। कोविड-प्रोटोकॉल के तहत ही अंतिम संस्कार करना है। कमियां हैं, लेकिन उसे हम दूर करने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं।

इस महामारी के बीच लगातार देश में डॉक्टरों-नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों और बेड्स-ऑक्सीजन की कमी है। राज्य की क्या स्थिति है?

कमियां तो हैं हीं, लेकिन इस कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की जा रही है। दो साल में दो हजार डॉक्टरों की भर्ती हमने की है। हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। बेड्स की संख्या भी लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। कोविड केयर सेंटर में 15,000 से अधिक बेड्स हैं, इसमें 2,866 ऑक्सीजन युक्त हैं। प्राइवेट सेक्टर में 7,000 के करीब बेड्स हैं, जिसमें 3,000 ऑक्सीजन युक्त बेड्स हैं। ऑक्सीजन युक्त बेड्स को 13,000 करने का लक्ष्य है। राज्य में ऑक्सीजन उत्पादन में कोई कमी नहीं है। हम दूसरे राज्यों को भेज रहे हैं। यहां सिलेंडर की कमी है, जिसे दूर किया जा रहा है।

जिस वक्त देश और राज्य मेंमामले कम हो रहे थे उस वक्त दूसरे देश- दूसरी-तीसरी लहर से जूझ रहे थे। फिर हम कैसे चूक गएकहां गलती हुई?

चूकने की बात तो नहीं कह सकतें। हम जानते थे कि एक लहर के बाद दूसरी, तीसरी, चौथी लहरें आएगी। देश के कई राज्यों में दूसरी-तीसरी लहर आ चुकी है। लेकिन, ऐसा हो जाएगा, इसकी ना उम्मीद थी और ना तैयारियां। हमें अब तीसरी लहर के लिए तैयार रहना होगा। नहीं जानते हैं कि ये कैसा होगा। केंद्र और राज्य को अपने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करना होगा।

राज्य सरकारें जब लाचारी महसूस करती है तो केंद्र की तरफ देखती है। पीएम मोदी और केंद्र की भूमिका को लेकर क्या कहेंगे?

हर राजनीतिक दलों और नेताओं को रैलियों से बचने की जरूरत थी। राहुल गांधी ने बंगाल दौरे को बढ़ते संक्रमण की वजह से रद्द किया। पीएम मोदी या अन्य दलों को भी करना चाहिए था। केंद्र का दोहरा रवैया नजर आता है। पीएम मोदी सुबह में सोशल डिस्टेंसिंग की अपील करते थे। शाम में बंगाल जाकर भीड़ की तारीफ करते थे। ये सही नहीं था। हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। मिलकर काम करना होगा।

दुनिया के कई छोटे-छोटे देश इस संक्रमण को रोकने में कामयाब हो गए हैं। फिर हम क्यों नहीं...

देखिए, यदि ताइवान या इजराइल का उदाहण लें तो ये छोटे देश हैं। यहां के लोग कोविड के मुताबिक अपने आचरण में वर्ताव करते हैं। हमारी आबादी बड़ी है। लोग आज भी ठीक से मास्क तक नहीं लगाते हैं। हमें जागरूकता लानी होगी। 

 

 

 

 

 

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TAGS: Heavy Shortage Of Vaccine, Modi Government Double Attitude, Chhattisgarh Health Minister, TS SinghDeo, Exclusive Interview, Neeraj Jha, नीरज झा, टीएस सिंह देव
OUTLOOK 16 May, 2021
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