इंटरव्यू : मेरी वेब सीरीज बिहार की छवि धूमिल करने वाली नहीं, बोले फिल्मकार नीरज पाण्डेय
बिहार इन दिनों हिन्दी सिनेमा की धुरी बना हुआ है। तमाम फिल्म निर्देशक बिहार से जुड़ी कहानियों को कह रहे हैं। बिहार की राजनीति, अपराध, कानून व्यवस्था को फिल्माने में खासी दिलचस्पी है फिल्मकारों में। दर्शक भी बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्मों और वेब सीरीज को खूब पसंद कर रहे हैं। पिछले दिनों नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज खाकी : द बिहार चैप्टर को भी दर्शकों द्वारा पसन्द किया जा रहा है। वेब सीरीज के निर्माता और मशहूर फिल्म निर्देशक नीरज पाण्डेय इस सफलता से उत्साहित हैं। ए वेडनसडे, बेबी, स्पेशल 26, एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी जैसी कामयाब फिल्में बनाने वाले नीरज पाण्डेय हिन्दी सिनेमा के महत्वपूर्ण फिल्मकार हैं। नीरज पाण्डेय से खाकी : द बिहार चैप्टर की कामयाबी के विषय में आउटलुक हिन्दी के मनीष पाण्डेय ने बातचीत की।
ए वेडनसडे से शुरु हुआ सफर बेबी, एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी से होता हुआ खाकी द बिहार चैप्टर तक पहुंच गया है, कैसे देखते हैं इस पूरे सफर को ?
बहुत ही रोचक रहा है यह सफर। जब अपनी पहली फिल्म बनाई थी तब कोई अंदाजा नहीं था कि यहां तक पहुंच पाऊंगा। एक फिल्म से दूसरी फिल्म की राह बनती गई और सफर आगे बढ़ता गया।आज जब पीछे मुड़कर देखता हूं तो पाता हूं कि जिस टीम के साथ शुरुआत की थी, वह आज भी मजबूती से मेरे साथ खड़ी है। मेरी टीम के लोगों का आज भी पहले जैसा भरोसा कायम है।यह सबसे सुखद एहसास है।
फिल्मकार बनने के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा क्या रही ?
मुझे बचपन से ही फिल्में देखना पसन्द था। फिल्मों के अलावा किसी अन्य चीज का आकर्षण मुझे नहीं था। मुझे यही लगता था कि यदि मैं जीवन में कुछ कर पाऊंगा तो वह सिनेमा के क्षेत्र में ही संभव होगा। लेखन में भी मेरी रुचि थी। जिन कहानियों ने मुझे प्रभावित किया, उन्हें सिनेमा के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिश की मैंने। यह मेरी मेहनत और दर्शकों का प्यार था, जो मैं अपने मन की कहानियां कह सका।
खाकी द बिहार चैप्टर को यूं तो दर्शकों का प्यार मिल रहा है लेकिन एक तबका है, जिसका आरोप है कि यह सीरीज बिहार की छवि खराब कर रही है, क्या कहना चाहेंगे इस बारे में?
मैं बिहार के लोगों के संपर्क में हूं और मुझे ऐसी नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। लोग हमारे प्रयास को सराह रहे हैं। इक्का दुक्का लोग हो सकते हैं, जिन्हें आपत्ति हो मगर बड़ा वर्ग हमारे साथ है। मैं सभी तरह की प्रतिक्रियाओं का सम्मान करता हूं। यदि हमसे त्रुटि हुई है तो हम आगे आने वाले काम में जरुर सुधार करेंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस वेब सीरीज को बनाते हुए हमारा कोई एजेंडा नहीं था। हमने हुबहू किताब को वेब सीरीज में ढाला है। जो किताब में लिखा गया है, उसी को फिल्माया गया है। अपनी तरफ से हमने कोई विचार, कोई एजेंडा नहीं थोपा है।
हिन्दी सिनेमा इन दिनों बदलाव के दौर से गुजर रहा है, उतार चढ़ाव के इस दौर में बड़ी फिल्में मुंह के बल गिर रही हैं, वहीं कंतारा जैसी दक्षिण भारतीय फिल्मों को सफलता मिल रही है, इस स्थिति पर क्या कहना चाहेंगे?
मेरा मानना है कि अच्छा कॉन्टेंट हर दौर में कामयाबी हासिल करता है। अभी दृश्यम 2 ने शानदार कमाई की है। इसका मतलब है कि यदि आपका काम अच्छा है तो दर्शक अपने घर से निकलकर सिनेमाघर पहुंचता है। आज दर्शक के पास विकल्प है। उसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कॉन्टेंट की विविधता मिल रही है। इसलिए वह सोच समझकर ही अपने पैसे खर्च कर रहा है। आप अच्छा कॉन्टेंट बनाएंगे तो दर्शक जरूर सिनेमाघर पहुंचेंगे। मगर अब आप औसत या दोयम दर्जे का कॉन्टेंट बनाकर दर्शक को बेवकूफ नहीं बना सकते। दर्शक पहले से कहीं अधिक जागरूक हो गया है।
नए कलाकारों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
नए कलाकारों को यही संदेश देना चाहता हूं कि आप केवल अपने क्राफ्ट पर काम करें। आपके हाथ में केवल अपने आप को तराशना है। बाकी किसी भी बहस में न पड़ें। लोगों की बातों, राजनीति का हिस्सा न बनें। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत काम है। लोग नए कलाकारों के साथ काम करना चाहते हैं। आप केवल अपनी प्रतिभा को विकसित करें।