Advertisement
08 November 2022

इंटरव्यू: धैर्य बहुत जरूरी है कामयाबी के लिए, बोले अभिनेता राज शर्मा

 

कलाकारों की यात्रा अद्भुत होती है। कलाकार वर्षों तक अपनी कला को साधता है और एक रोज उसे मौका मिलता है तो, उसकी साधना सफल मानी जाती है। यह सफर संघर्षपूर्ण होता है। राज शर्मा, एक ऐसे प्रतिभावान अभिनेता हैं, जिन्होंने टीवी विज्ञापन, सिनेमा, ओटीटी वेब सीरीज में पिछ्ले एक दशक से अपना जीवन लगाया हुआ है। उन्हें अधिकतर फिल्मों और वेब सीरीज में बेहद छोटे किरदार दिए जाते थे। किरदार, जो उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाते थे। हाल में प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई वेब सीरीज फ्लेम्स सीजन 3 में राज शर्मा को शानदार स्क्रीन स्पेस मिला है। राज शर्मा की प्रस्तुति देखने लायक है। राज शर्मा से उनके जीवन और अभिनय यात्रा के विषय में आउटलुक हिन्दी से मनीष पाण्डेय ने बातचीत की।

 

Advertisement

 

फ्लेम्स वेब सीरीज का अनुभव साझा कीजिए?

 

मैं तकरीबन एक दशक से फिल्मों और वेब सीरीज में काम कर रहा हूं। छोटे किरदार निभाकर मुझे सिनेमाई दुनिया के लोग पहचानने लगे हैं। लोगों को मेरी क्षमता का एहसास हो गया था। मगर उस तरह का काम नहीं मिल पा रहा था। जब मुझे फ्लेम्स के दूसरे सीजन में कास्ट किया गया तो मुझे अपने अभिनय को पेश करने के लिए थोड़ा अच्छा स्पेस मिला। इसके बाद आई वेब सीरीज पाताल लोक ने मेरे जीवन में बड़ा बदलाव किया। पहले लोग दो या चार सीन में कास्ट करने के लिए आते थे।फ्लेम्स और पाताल लोक के बाद लोग मेरे पास किरदार पर बात करने आने लगे। जब फ्लेम्स का तीसरा सीजन रिलीज हुआ तो मेरे इर्द गिर्द के बच्चों और युवा पीढ़ी ने मुझे पहचानना शुरु किया। लोग मुझे देखकर अब कहते हैं कि उन्होंने मुझे प्राइम वीडियो की सीरीज फ्लेम्स में देखा है। यूं तो मैं पिछ्ले दस वर्षों में कई सुपरहिट फिल्मों और वेब शोज में काम कर चुका हूं। लेकिन लोगों के जेहन में छाप छोड़ने का काम फ्लेम्स के किरदार ने किया है। फ्लेम्स हमेशा मेरे लिए खास रहेगा। 

 

 

आपके भीतर अभिनय को लेकर रुचि कब और किस तरह से पैदा हुई ?

 

मेरी पढ़ाई जिस सरकारी स्कूल में शुरू हुई, वहां हर शनिवार, 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर आदि को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे।मैं जब तीसरी क्लास में पहुंचा, तभी से मैं इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने लगा था।जब छठी क्लास में मैं स्कूल बदलकर, दूसरे स्कूल में पहुँचा तब वहां भी यह सिलसिला जारी रहा। मेरी हिंदी भाषा पर पकड़ अच्छी थी और गाने का शौक़ भी था, इस तरह मैं स्कूल की प्रार्थना सभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा।स्कूल में सरदार ऊधम सिंह पर एक नाटक हुआ, जिसमें मैंने जनरल डायर का किरदार निभाया। उस दौर में मैंने रामलीला वालों से संपर्क किया और कभी लक्ष्मण, कभी सीता का किरदार निभाते हुए, बड़े उत्साह के साथ रामलीला में अभिनय करता रहा।बारहवीं क्लास तक आते आते, मेरे भीतर यह तय हो चुका था कि मुझे अभिनेता ही बनना है।

 

 

 

जब आप अभिनय में रुचि ले रहे थे,उस वक़्त आपके परिवार वालों का क्या रवैया था ?

 

मेरा जन्म दिल्ली में हुआ।पिताजी जाने माने वकील थे और चाहते थे कि उनके बच्चे भी वकील बनें। मगर मुझे तो एक्टिंग के सिवा कुछ अच्छा नहीं लगता था। इस बात को लेकर पिताजी बहुत नाराज़ रहते थे। मुझे जो पुरस्कार अभिनय के लिए मिलते, पिताजी उन्हें तोड़कर फेंक देते।इसलिए मैं छुपते छुपाते अभिनय करता था। घरवालों के विरोध के बाद भी मेरा अभिनय के प्रति जुनून बरक़रार रहा।

 

स्कूली शिक्षा पूर्ण कर के, जब साउथ कैंपस के रामलाल आनन्द कॉलेज में पढ़ने आया तो वहां मेरी मुलाक़ात नुक्कड़ नाटक वालों से हुई। मैं ड्रामाटिक सोसाइटी में जुड़ गया और नाटक का सिलसिला शुरू हुआ।कॉलेज के नज़दीक ही नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, श्रीराम सेंटर, कमानी ऑडिटोरियम थे। मैंने वहां जाना शुरू किया। उस वक़्त मनोज बाजपेई, आशीष विद्यार्थी,, गजराज राव आदि वहां “एक्ट वन” नाम के थिएटर ग्रुप से जुड़े हुए थे। मैंने भी एक्ट वन ज्वॉइन कर लिया। इस तरह परिवार के विरोध के बावजूद मैंने अभिनय प्रेम को कायम रखा।

 

 

एक्ट वन से शुरु हुई यात्रा मुंबई किस तरह पहुंची?

 

एक्ट वन के साथ पहला नाटक किया “वो अब अभी पुकारता है”।फिर “ मुझे भी चाँद चाहिए” नाटक किया। यह नाटक पीयूष मिश्रा ने लिखा था। यह नाटक हिट हो गया और काम अच्छे से चलने लगा। इस तरह से एक्ट वन में बढ़िया काम हो रहा था। उन्हीं दिनों घर के दबाव में मुझे नौकरी करनी पड़ी। नौकरी में मैंने छह महीने काम किया, जिसके चलते एक्ट वन में आना जाना कम हो गया। तभी परिवार दिल्ली से नोएडा आया और कुछ समय बाद पिताजी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। घर के हालात ऐसे थे कि महसूस होने लगा अब अभिनय की राह कठिन है। समझ आ गया कि जिन्दगी एक्टिंग से नहीं नौकरी से चलेगी। मैं नौकरी करता रहा मगर भीतर असंतोष था। बीच बीच में ऐसा लगता कि ये मैं क्या कर रहा हूँ। तीन साल की नौकरी से पैसे तो आए थे मगर जीवन का सुख,ख़ुशी,उत्साह सब खत्म हो गया था।एक दिन फिर मैंने नौकरी छोड़ दी। नौकरी से जो बचत की थी उससे व्यापार शुरु किया और साथ में नाटक करने लगा। कुछ ठीक हुआ कि 

मुझे किडनी में पथरी हो गई।किसी ने कहा कि बीयर पियो, उससे पथरी की दिक्कत खत्म हो जाएगी। मैंने खूब बीयर पीनी शुरू कर दी। इससे पथरी की दिक्कत तो दूर नहीं हुई मगर मैं भयंकर शराबी हो गया। सब कुछ तबाह हो रहा था। एक रोज लगा कि यूं ही जीता रहा तो जल्दी मर जाऊंगा। मैंने हिम्मत जुटाई और फिर से शुरूआत की। अस्मिता थिएटर के साथ नाटक करने लगा। जब नाटक करते हुए जीवन में सुर स्थापित हुआ तो फिर मुम्बई जाने का निर्णय लिया। 

 

 

 

मुम्बई में क्या अनुभव रहे ? 

 

मुम्बई पहुंचकर मैंने ऑडिशन देना शुरु किया। मुझे पहला काम बहुत जल्दी मिल गया। मगर दूसरा काम मिलने में दिक्कत पेश आई। बिना काम के मुम्बई में टिकना संभव नहीं था। मैं दिल्ली लौट आया। दिल्ली एनसीआर में बॉलीवुड म्यूजिकल थिएटर की शुरुआत हुई। थी। “किन्डम ऑफ़ ड्रीम्स ” में म्यूजिकल थिएटर होता था। मैं वहां काम करने लगा। एक रोज़ मेरे एक मित्र ने मुझे फ़ोन किया और बताया कि राजकुमार हिरानी अपनी फ़िल्म के लिए कास्टिंग कर रहे। हैं।मैंने भी ऑडिशन दे दिया और फ़िल्म “ पीके” में मुझे रोल मिल गया। इसी तरह से मुझे समय समय पर बजरंगी भाईजान,काबिल,तलवार,साला खडूस, बधाई हो, शमशेरा, डॉक्टर जी जैसी फिल्मों में काम मिला। इसके साथ ही तांडव, ग्रहण, पाताल लोक जैसी वेब सीरीज में भी मैंने भूमिका निभाई। चूंकि मुझे एक या दो सीन्स मिलते थे इसलिए मैं दिल्ली से ही मुम्बई जाकर काम करता था। मुम्बई में बसने की इच्छा मेरे अंदर नहीं थी। आज भी मैं जब फ्लेम्स में काम कर चुका हूं तो मैं दिल्ली में रहना पसंद करता हूं।। काम के लिए मुंबई या अन्य जगह आना जाना लगा रहता है। 

 

 

 

सक्रिय अभिनय के इस लम्बे सफर में वह क्या तजुर्बे हैं, जो अगली पीढ़ी से साझा करना चाहेंगे ? 

 

मुझे केवल यही कहना है कि जीवन में कोई शॉर्ट कट नहीं है। समय तो लगेगा ही। तुमको प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ेगा।तभी परिपक्व कलाकार बनोगे। मेहनत तो करनी ही पड़ेगी। वह मेहनत ही तैयार करेगी।हर अनुभव काम आने वाला है। पूरी ईमानदारी से जो काम मिले उसे करना चाहिए।काम से ही काम मिलता जाता है।आज चाहे छोटे रोल मिलें या मनपसन्द रोल न मिलें मगर काम करने से ही लोगों तक हुनर पहुंचेगा और संपर्क बनेंगे। 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Raj sharma, interview Raj sharma, Bollywood actor Raj sharma interview, tvf flames actor Raj sharma, Bollywood, Hindi cinema, Entertainment Hindi films news
OUTLOOK 08 November, 2022
Advertisement