पिछली बार से ज्यादा सफलता मिलेगीः रमन सिंह
65 प्लस सीटों का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। राजनांदगांव और बस्तर में इस बार कमजोरी दूर हुई है। राजनांदगांव और बस्तर की 18 सीटों में से 12 सीटें पार्टी जीतेगी। उम्मीद है कि पहले चरण के मतदान के बाद माहौल में और बदलाव आएगा।
मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को प्रमुखता दे रही है। छत्तीसगढ़ में आपका चेहरा आगे रखने के क्या कारण हैं?
विधानसभा का चुनाव होने के कारण मुख्यमंत्री के चेहरे को सामने रखकर चुनाव लड़ा जा रहा है। लेकिन यहां भी मोदी फैक्टर है। उनके नेतृत्व में बहुत सारे विकास के काम राज्य में हुए हैं।
चौथी पारी के लिए आप कितने कॉन्फिडेंट हैं? सरकार बनने पर इस बार किन चीजों को प्रमुखता देंगे?
पिछली बार से ज्यादा सफलता मिलने और बहुमत के साथ सरकार बनाने की उम्मीद है। हम नवा छत्तीसगढ़ का दृष्टिपत्र दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ विकसित राज्यों की श्रेणी में होगा। जीडीपी दोगुनी होगी। प्रति व्यक्ति आय दोगुनी होगी। शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं लोगों को मिलेंगी। लोगों को हम डेवलपमेंट का ही मॉडल दे रहे हैं। संकल्प पत्र में भी विकास पर जोर दिया गया है।
भितरघात की आशंका दिखती है?
पार्टी में एकजुटता है। सरकार, संगठन या योजनाओं को लेकर कहीं भी मतभेद नहीं है। मजबूती के साथ मिलकर लड़ रहे हैं।
पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में काफी कम अंतर था। इसके बावजूद कांग्रेस खड़ी क्यों नहीं हो पा रही है?
कांग्रेस का नेतृत्व सरकार को घेरने के बजाय आपस में उलझा हुआ है। सीडी को लेकर जनता के बीच वे एक्सपोज हो चुके हैं। कांग्रेस अपने ही नेता की सीडी बनाने के मामले में उलझ गई है। किसका लीडरशिप है, यही तय नहीं हो पाया है।
कांग्रेस ने बदलाव का नारा दिया है। कोई एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर है क्या?
2013 में भी एंटी इंकम्बेंसी की बात की जाती थी। मैं राज्य की 90 विधानसभा सीटों में गया। 12 हजार किलोमीटर की यात्रा की। लोगों से बात की। सकारात्मक बदलाव देखा। उनमें विकास के प्रति ललक है। उनको अपने सपनों का छत्तीसगढ़ बनता दिख रहा है। कांग्रेस का नारा तो ठीक है पर मौका मिलने पर उसने कुछ नहीं किया, जबकि छत्तीसगढ़ के लोग भाजपा का विकास देख चुके हैं।
क्या जोगी फैक्टर है?
चुनाव में 25-30 सीटों पर स्पष्ट रूप से जोगी फैक्टर दिखेगा। जोगी कांग्रेस तीसरी शक्ति है और वोटों के बंटवारे का लाभ भाजपा को मिलेगा।
भाजपा ने कई विधायकों और एक महिला मंत्री के टिकट तो काटे, लेकिन किसी कद्दावर नेता या मंत्री के टिकट नहीं काटे?
सर्वे के आधार पर बदलाव किया गया है। कुछ नए चेहरे भी आए हैं। कुछ पुराने लोगों को भी टिकट दिया गया है।
सरकार नक्सलियों पर काबू पाने का दावा करती है। फिर पिछले कुछ दिनों में राज्य में नक्सली हमले क्यों बढ़े हैं?
चुनाव के दौरान फोर्स का मूवमेंट बढ़ जाता है। बौखलाहट में नक्सली इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं। जनता का उन पर से विश्वास उठ चुका है।
राजनांदगांव में कांग्रेस की तरफ से अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला के मैदान में उतरने से आपकी चुनौतियां बढ़ गई हैं?
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जीवन भर कांग्रेस का विरोध किया और करुणा शुक्ला उसी पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में वे वाजपेयी जी के परिवार की विरासत से कहां हुईं। वे तो नेहरू परिवार की विरासत से जुड़ गईं। उनको वाजपेयी जी के नाम का कोई लाभ नहीं मिलने वाला।
जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उनमें से तीन भाजपा शासित हैं। दो राज्यों के सहयोगी के मुकाबले आप खुद को कहां पाते हैं?
छत्तीसगढ़ की स्थिति अच्छी रहेगी। दोनों राज्यों में मुकाबला होगा।