इंटरव्यू/उज्ज्वल निकम: करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का साया फिर से दिख रहा है। इस बार नया नाम लॉरेंस बिश्नोई का है। आप इसे कैसे देखते हैं?
लॉरेंस बिश्नोई का नाम कई बड़ी हत्याओं से जुड़ा है। हाल ही में खबर आई है कि वह बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में भी शामिल है, हालांकि मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा क्योंकि अभी तक इस पर कोई ठोस सबूत नहीं है। पुलिस काम कर रही है। कई बार किसी हत्या के बाद जान-बूझ कर किसी गिरोह का नाम एजेंडे के तौर पर सामने लाया जाता है, ताकि वह सुर्खियां बटोर सके।
लॉरेंस बिश्नोई खुद को राष्ट्रवादी कहता है। इस पर आपका क्या कहना है?
जी, आजकल ऐसा देखा जा रहा है। आजकल किसी भी अपराध या अपराधी को राष्ट्रवाद से जोड़ने का नया चलन चल पड़ा है। इससे अपराधी लोगों की नजरों में जल्दी चढ़ जाता है। लोगों को समझना चाहिए कि अपराधी सिर्फ अपराधी होता है। वह न तो राष्ट्रवादी होता है और न ही राष्ट्र-विरोधी।
एक समय मुंबई में दाऊद इब्राहिम का खौफ था। अब खौफ का नया नाम लॉरेंस बिश्नोई है। दोनों के तरीके में आप क्या अंतर देखते हैं?
दाऊद पहले तस्करी करता था। जब तस्करी का धंधा कम होने लगा, तब उसका नाम 1993 के मुंबई बम धमाकों में आया। वह याकूब मेमन जैसे लोगों के संपर्क में था, हालांकि मेरी समझ से लॉरेंस बिश्नोई का नाम अब तक ऐसे किसी मामले से नहीं जुड़ा है। वह हिरण की मौत का बदला लेने की बात करता है। यह भी सिर्फ बातें ही हैं। असली मंसूबा बॉलीवुड में खौफ फैलाना हो सकता है। दाऊद ने भी यही किया। बॉलीवुड का नाम आते ही आपको लाइमलाइट मिल जाती है।
बॉलीवुड को निशाना बनाने के और क्या कारण हो सकते हैं?
पिछले कई साल से बॉलीवुड से अंडरवर्ल्ड के संबंध की कोई खबर सामने नहीं आई है। सलमान खान और लॉरेंस बिश्नोई का मामला नया है। यह सच है कि बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच संबंध थे। पहले बॉलीवुड (कुछ लोग) भी इस बात पर गर्व करता था, लेकिन पुलिस कार्रवाई के बाद स्थिति बदल गई। अंडरवर्ल्ड को इस बात का फायदा मिलता है कि बॉलीवुड में उसके कनेक्शन की वजह से उसे खूब लाइमलाइट मिलती है। बॉलीवुड आसान टारगेट है। वे जल्द ही डर जाते हैं।
मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के खिलाफ काफी सक्रियता से कार्रवाई की है, फिर भी हाइ-प्रोफाइल लोगों की हत्या हो रही है। क्या हम कह सकते हैं कि मुंबई में अंडरवर्ल्ड फिर से पनपने लगा है?
ऐसा नहीं है कि एक मामले से मुंबई में अंडरवर्ल्ड का बढ़ना मान लिया जाए। लॉरेंस बिश्नोई नया खिलाड़ी है। मुझे उम्मीद है कि पुलिस इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करेगी और इसे भी सुलझाएगी। जांच के बाद पता चलेगा कि लॉरेंस का बाबा सिद्दीकी के मामले में हाथ है भी या नहीं। मैं मीडियावालों से अनुरोध करूंगा कि इन गुंडों को इतनी कवरेज न दें। वे लोग किसी भी घटना पर पोस्ट कर देते हैं कि फलां मामले में हमारे गैंग का हाथ है और मीडिया इसे बड़ा मुद्दा बना देता है। ऐसे में उन गिरोहों का मकसद पूरा हो जाता है। वे लोगों में डर फैलाने में सफल हो जाते हैं।
लॉरेंस बिश्नोई जेल में बैठकर मीडिया को इंटरव्यू देता है। पहले भी जेल में अपराधियों के ऐशो-आराम की खबरें आती रही हैं। क्या यह सिस्टम या पुलिस की गलती नहीं है कि वह इन लोगों से सख्ती से नहीं निपटती?
हमारे सिस्टम में ही कुछ गड़बड़ है, कई स्तरों पर खामियां हैं। मैंने कई मामलों में देखा है कि जेल में छोटे-मोटे गार्ड लालच में आकर अपराधियों की मदद कर देते हैं, हालांकि जेलों में अब सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं और नियमित रूप से जांच भी होती है। इसके बावजूद ऐसे मामलों का सामने आना चिंताजनक है। पहले के मुकाबले ऐसे मामले कम ही हुए हैं।
बिश्नोई का नाम खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर के मामले में भी आ रहा है। कनाडा की सरकार ने इसका नाम भी लिया है। इसके चलते भारत-कनाडा के राजनयिक संबंध बिगड़ने की बात हो रही है।
कनाडा के आरोपों को भारत ने नकारा है। दाऊद का आतंक कब का खत्म हो चुका है लेकिन आज भी उसके गैंग का नाम किसी घटना में सामने आ ही जाता है। इसका कतई मतलब यह नहीं है कि दाऊद ने किसी घटना को कराने का फरमान जारी किया है। कई बार करता कोई और है और नाम किसी और का लिया जाता है।
बिश्नोई के मामले में पुलिस को आपका कोई सुझाव?
पुलिस को किसी भी घटना में किसी भी गिरोह का नाम नहीं लेना चाहिए। ये गिरोह चाहते हैं कि उनका नाम लिया जाए ताकि उन्हें प्रसिद्धि मिले। मीडिया को भी उन्हें हीरो नहीं बनाना चाहिए।