इंटरव्यू । नित्यानंद राय: “कोशिश है कि पार्टी की आशाओं पर खरा उतरूं”
“बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव 23 अप्रैल को 78,220 लोगों ने तिरंगा फहराने का गिनीज रिकॉर्ड बनाया, यह गर्व की बात है”
बिहार के जगदीशपुर में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हाल में तिरंगा लहराने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इस आयोजन के पीछे क्या सोच थी?
देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाठ मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75वें वर्ष को अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का संकल्प लिया और उन्हीं की प्रेरणा से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आजादी की प्रथम लड़ाई में बाबू वीर कुंवर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कई बार अंग्रेजों को हराया भी और एक बड़ी आजादी की लड़ाई की बुनियाद उन्होंने डाली। अमृत महोत्सव मनाने के पीछे प्रधानमंत्री की सोच है कि यह वैसे महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों को उनका समुचित स्थान देने का अच्छा अवसर है, जिनके देश के लिए योगदान और बलिदान को एक विचारधारा विशेष के इतिहासकारों के कारण गुमनामी में छोड़ दिया गया, या जो स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया। प्रधानमंत्री ने इसकी परिकल्पना की, ताकि वैसे महापुरुषों की अमर गाथा को जन-जन तक ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से पहुंचाया जाए और पूरा देश उन्हें याद करे। देश के विभिन्न संस्थानों, खासकर केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जो कार्यक्रम बनाए, उनमें यह भी एक था, जिसे बाबू वीर कुंवर सिंह जी की तत्कालीन रियासत जगदीशपुर के दुलौर मैदान में आयोजित किया गया, जो वर्तमान में बिहार के भोजपुर जिले में स्थित है।
यह रिकॉर्ड पहले पाकिस्तान के नाम दर्ज था। इसे भारत के नाम करने की योजना कैसे बनी और इसका क्रियान्वयन कैसे किया गया?
इस साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ है, इसलिए अमृत महोत्सव पर 75 हजार राष्ट्रीय ध्वज के साथ यह कार्यक्रम करने का निर्णय हुआ। यह किसी से प्रतियोगिता का विषय नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्यक्रम में आने की स्वीकृति दी, ताकि यशस्वी प्रधानमंत्री की सोच को जमीन पर उतारा जाए और उनके विचार के अनुरूप इस कार्यक्रम को विस्तार दिया गया। आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित अमृत महोत्सव में पचहत्तर हजार लोग वहां एक साथ तिरंगा लहराएं, उसका एक रूप दिया गया। माननीय गृह मंत्री के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होने से लोगों में काफी उत्साह दिखाई पड़ा।
बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव की जयंती 23 अप्रैल को जब इतनी संख्या में लोग वहां पहुंचे तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस अवसर पर किसी देश में इतने सारे लोग अपना राष्ट्रीय ध्वज लेकर सम्मिलित हों, यह वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इस कार्यक्रम के दौरान वहां राष्ट्रीय ध्वज के साथ 78,220 लोगों की गिनती हो सकी। लेकिन लोग वहां इससे भी काफी ज्यादा थे। वहां जो गिनिज रिकॉर्ड बना, वह भारत के लिए गर्व की बात है।
बाबू कुंवर सिंह उस इलाके के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। इस कार्यक्रम के प्रति स्थानीय लोगों की भागीदारी कैसी रही?
इस कार्यक्रम के सफल होने के बाद वहां के लोगों में बहुत गर्व और हर्ष है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रदेश नेतृत्व की योजनाओं के अनुसार बढ़-चढ़ कर काम किया। कई सामाजिक संगठनों और साधु-संतों ने भी इस कार्यक्रम को सहयोग और आशीर्वाद दिया। निश्चित रूप से जन भागीदारी के साथ यह कार्यक्रम इतना सफल हुआ और तिरंगा को गिनीज बुक में स्थान प्राप्त हुआ।
बाबू कुंवर सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास में समुचित स्थान नहीं मिलने के मुद्दे पर आपके विरोधी सरकार पर अपने एजेंडे के मुताबिक पाठ्यक्रम बदलने का आरोप लगा रहे हैं?
किसी एजेंडा के हिसाब से इतिहास या पाठ्यक्रम को नहीं बदला जा रहा है। जो हमारा इतिहास है, हमारे महापुरुषों का योगदान है, बलिदान है, इसमें इन सबों का समावेश हो रहा है। ज्ञान-विज्ञान, इतिहास से लेकर संस्कार तक की बातें नए पाठ्यक्रम में लाई जा रही हैं। उसमें व्यावहारिक और विषय ज्ञान से लेकर जिंदगी के वैसे पहलुओं से छात्रों को अवगत कराया जाएगा, ताकि जब छात्र जीवन से आगे यथार्थ की धरातल पर उनका पांव थमता है तो उनके अंदर हर समस्या का समाधान ढूंढ़ने का गुण विकसित हो। बाबू वीर कुंवर सिंह को इतिहास में वाजिब जगह नहीं मिली लेकिन इस प्रकार के कार्यक्रम से हमारी वर्तमान और आगे की पीढ़ी जानेगी कि किस प्रकार ऐसे महापुरुषों के योगदान और बलिदान से देश स्वतंत्र हुआ है, और देश को बहुत कुछ मिलता रहा। इसलिए, इस कार्यक्रम के माध्यम से जन-जन तक उनके योगदान और बलिदान को पहुंचाया गया।
विपक्ष यह भी कह रहा है कि भाजपा का यह कार्यक्रम राजनैतिक और चुनावी कारणों को ध्यान में रख कर किया गया?
मुझे आश्चर्य ही नहीं, अफसोस भी होता है कि अगर हम इस प्रकार के महापुरुषों के योगदान और बलिदान को लोगों के बीच प्रसारित-प्रचारित करते हैं तो विपक्षी क्यों सवाल उठाते हैं। परिवारवाद में सिमटी हुई वैसी ही पार्टियां, जिनको न विकास से मतलब है, न जिन्हें भारत के महापुरुषों पर गर्व करने की जरूरत महसूस होती है, और जिनको तुष्टीकरण के कारण सिर्फ वोट ही दिखता है, वे ही ऐसे मनगढ़ंत और झूठे आरोप लगा सकते हैं। लेकिन, जनता सब समझती है। कोई महापुरुष किसी जाति और पार्टी का नहीं, देश का होता है। वोट के आगे समाज और देश को झुका देने वाली प्रवृत्तियां रखने वाली ऐसे पार्टियों से मैं आग्रह करना चाहूंगा कि इस प्रकार की राजनीति न करें। भारतीय महापुरुषों पर हमें गर्व करना चाहिए, जिन्होंने देश के लिए समर्पण और बलिदान दिया है।
भारतीय जनता पार्टी लोकहित और देशहित के लिए अपनी नीति के अनुरूप काम करती है। हम देश के साथ समझौता नहीं कर सकते। माननीय मोदी जी को आज इस देश के लोग, खासकर गरीब अपना मसीहा मानते हैं। आज किस प्रकार मोदी जी के नेतृत्व में देश के गरीबों की जिंदगी में, उनके घर-आंगन में विकास की रोशनी पहुंच रही है, आज गरीब कल्याण की कितनी योजनाएं चल रही हैं और ये योजनाएं सिर्फ कागज पर नहीं हैं, बल्कि गरीबों के लिए धरातल तक भी पहुंच रही हैं। यह देख कर वैसे लोगों को अपना राजनैतिक भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है, इसलिए वे ऐसी बात कर रहे हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री आज दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता ही नहीं, बल्कि इस देश के गरीबों के मसीहा भी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ तमाम विरोधी पार्टियां 2024 के आम चुनाव में एक प्लेटफार्म पर आ सकती हैं? आपकी पार्टी को इससे क्या फर्क पड़ेगा?
2024 का जो चुनाव आदरणीय मोदी जी के नेतृत्व में होगा उसके लिए उनका नाम और काम ही काफी है। उन्होंने ‘सबका साथ सबका विकास’ की भावना से जो काम किया गया है, वह सबके लिए किया गया है, चाहे छात्र हों, मजदूर हों, नौजवान हों या महिला या व्यापारी। शिक्षा जगत हो या उद्योग। आज जो गांव-गांव का विकास हुआ है वह लोगों के मन में स्थापित हो गया है। आज भाजपा के जनाधार के साथ-साथ लोग मोदी जी के काम से विशेष रूप से प्रभावित हैं। आज देश भर में भारी संख्या में वैसे मतदाता हैं जो मोदी जी के नाम पर कमल खिलाने के लिए चुपचाप मतदान करते हैं।
स्वामी विवेकानंद से किसी ने कहा था आप तो उस देश के संन्यासी हैं जहां के लोग भूखे हैं, अशिक्षित हैं, बेबस हैं और बेघर हैं तो स्वामी जी ने कहा था, ‘मैं इक्कीसवीं सदी के भारत को देख रहा हूं, जिस भारत में न कोई भूखा है, न कोई अशिक्षित, न कोई बेघर और न कोई बेबस है।’ जो भविष्यवाणी एक नरेंद्र (विवेकानंद के बचपन का नाम) ने की थी, उसे आज दूसरे नरेंद्र, भारत के प्रधानमंत्री पूरा कर रहे हैं।
बिहार में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी जदयू के बीच तनातनी की लगातार खबरें आ रही हैं। दोनों दलों के बीच फिलहाल कैसा रिश्ता है?
बहुत ही बढ़िया रिश्ता है जैसे भाई-भाई का होता है। कुछ राजनीतिक दल खासकर राजद को यह पचता नहीं है। इसलिए कभी-कभी गलत बयानबाजी करके वे हमारे बीच मतभेद की झूठी बातें उठाते हैं, लेकिन यथार्थ में ऐसा कुछ नहीं है। भाजपा और जदयू भाइयों जैसे हिलमिल कर एक साथ काम कर रहे हैं।
प्रदेश में अक्सर ये कयास लगाये जाते हैं कि पार्टी आपको केंद्र से वापस बिहार में कोई बड़ी जिम्मेदारी निभाने के लिए भेज सकती है? क्या इसके लिए आप तैयार हैं?
मोदी जी की प्रेरणा और नेतृत्व में और अमित शाह जी के सानिध्य में मैं अभी जहां काम कर रहा हूं, मेरे जीवन में इससे बड़ी खुशी कुछ नहीं हो सकती है। मैं प्रयास करता हूं कि उनकी आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप अपने काम में खरा उतरूं।