सिंधिया इंटरव्यू: "सबसे बड़े धोखेबाज तो दिग्विजय और कमलनाथ हैं''
मध्यप्रदेश में भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख 28 विधानसभा सीटों पर जारी उपचुनाव में सबसे ज्यादा दांव पर है। प्रीता नायर से बातचीत में उन्होंने जीत की संभावनाओं से लेकर कांग्रेस के आरोपों तक, हर मुद्दे पर बात की। रोचक यह कि हर सवाल के जवाब में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम लिया। बातचीत के मुख्य अंशः
सचिन पायलट कांग्रेस का प्रचार कर रहे हैं। पूर्व सहयोगी के खिलाफ लड़ाई में आपको कैसा लग रहा है?
लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का हक है। प्रचार लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है और मध्य प्रदेश में प्रचार के लिए आने वाले हर नेता का मैं स्वागत करता हूं। सिर्फ इसलिए आप लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नहीं भूल सकते कि कोई दूसरी पार्टी में है।
आपके लिए यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है? क्या लड़ाई आपके और कमलनाथ के बीच है?
यह चुनाव सिर्फ मेरे, शिवराज सिंह चौहान या भाजपा के लिए नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के लिए भी महत्वपूर्ण है। लड़ाई मेरे और कमलनाथ या शिवराज और कमलनाथ के बीच नहीं, मध्य प्रदेश की जनता और कमलनाथ के बीच है। उनकी सवा साल की सरकार भ्रष्टाचार से भरी थी और लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। लोगों से किए वादे दरकिनार कर दिए गए।
उपचुनाव वाली ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं, जो आपका गढ़ है। क्या पहले की तरह जीत हासिल कर सकेंगे?
छह महीने में हमने कमलनाथ की सवा साल की सरकार से बेहतर काम किया है। आश्चर्य की बात है कि उनकी सरकार के एक पूर्व कैबिनेट मंत्री ने अवैध रेत खनन रोकने में नाकाम रहने के लिए लोगों से माफी मांगी। एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के शासनकाल के खिलाफ सोनिया गांधी को पत्र लिखा है।
कांग्रेस कह रही है कि आप भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं हैं। पार्टी ने आपको किनारे कर दिया है।
मुझे आश्चर्य है कि कमलनाथ मेरे लिए इतने चिंतित हैं। मेरा पोस्टर रथ पर है या नहीं, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। मेरा मिशन प्रदेशवासियों के दिलों में जगह बनाना है। कमलनाथ की राजनीति के तरीके और मेरे तरीके में यही फर्क है।
कांग्रेस का प्रचार मुख्य रूप से आपके और 22 विधायकों के ‘धोखा’ देने पर केंद्रित है।
सबसे बड़े धोखेबाज तो दिग्विजय और कमलनाथ हैं, जिन्होंने 15 महीने तक भ्रष्ट सरकार चलाई। सवा साल सचिवालय से बाहर नहीं निकले। अब वे वोट के लिए वे बाहर निकले हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा उसके विधायक खरीद रही है।
कमलनाथ ने सवा साल में अपने विधायकों का भरोसा खो दिया था। अपमानित होने के कारण 22 विधायक अलग हो गए थे। उनके इलाकों में विकास कार्य नहीं किए जा रहे थे। इसलिए उन्होंने दोबारा लोगों के बीच जाना बेहतर समझा। इन 22 में से छह तो कैबिनेट मंत्री थे। कमलनाथ के 28 फीसदी विधायक उनका साथ छोड़ चुके हैं।
विधानसभा में बहुमत के लिए भाजपा को सिर्फ आठ सीटें चाहिए। आंकड़ों को लेकर कितने आश्वस्त हैं?
मुझे भरोसा है कि भाजपा सभी सीटें जीतेगी। हम विकास के एजेंडे के साथ लोगों के बीच हैं। कमलनाथ पैसे की कमी का रोना रो रहे थे, अब पैसे कहां से आ रहे हैं? शिवराज सरकार ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। हम लोकसेवक हैं। लोगों को निर्णय लेने दीजिए, हम उनका निर्णय स्वीकार करेंगे।