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21 October 2020

इंटरव्यू। लोग 2018 के नतीजों से दुखी थे, उसे सुधारेंगे: शिवराज सिंह चौहान

मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव आम चुनावों से भी अहम हैं क्योंकि सरकार का टिकना या गिरना इन्हीं नतीजों पर निर्भर है। यही नहीं, इन चुनावी नतीजों पर भाजपा की समूची रणनीति और कांग्रेस से टूटकर पार्टी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति भी दांव पर लगी हुई है। उधर, कांग्रेस की राजनीति भी दांव पर है। सो, दोनों ही अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो मार्च 2020 में सत्ता संभालने के साथ ही अपना अभियान शुरू कर दिया था। चुनाव की तारीखें तय होने तक वे उपचुनाव की सभी सीटों का दौरा कर चुके थे। प्रचार अभियान की औपचारिक शुरुआत के बाद वे फिर मोर्चे पर डट गए हैं। इसी चुनावी हलचल के बीच उन्होंने आउटलुक के शमशेर सिंह के साथ राय साझा की। प्रमुख अंशः 

उपचुनावों में लोग किस आधार पर वोट करेंगे? आपके अनुसार असल मुद्दे क्या हैं?

भारतीय जनता पार्टी का एक ही एजेंडा होता है, किसान, गरीब, मजदूर, युवा तथा आम आदमी के जीवन से दुख-दर्द को दूर कर प्रदेश का विकास करना। भाजपा इसी को अपना ध्येय वाक्य मानती है और इसे पूरा करने का संकल्प करती है। हम कांग्रेस की तरह झूठ-फरेब की राजनीति नहीं करते। हम जो कहते हैं, उसे हर हाल में पूरा करते हैं। कांग्रेस की तरह झूठे सपने दिखाना भाजपा के चरित्र में नहीं। सत्ता के लालच में कांग्रेस ने 10 दिनों में किसानों का कर्ज माफ करने की बात कह दी, लेकिन 15 महीने सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ने किसानों की सुध नहीं ली।

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कांग्रेस का कहना है, आपने पिछले पंद्रह साल में कुछ नहीं किया। वह प्रचार कर रही है कि लोग उनके पंद्रह महीनों की तुलना आपके पंद्रह साल से करें और वोट देने का फैसला करें।

प्रदेश की जनता ने भाजपा के 15 साल के शासन को भी देखा है और कांग्रेस के 15 महीने के शासन को भी। अब छह महीने से मेरी सरकार को भी देख रही है। यह उनके ऊपर है कि वे किस आधार पर वोट दें। जहां तक मेरा सवाल है, तो अपने पिछले कार्यकाल में मैंने जनकल्याण की कई योजनाएं चलाईं और जनता, खासकर वंचित तथा अंतिम छोर के व्यक्ति की खुशहाली के लिए काम किया। हमेशा उनके पास जाकर उनके दुख-दर्द दूर करने की कोशिश करता रहा। अब भी कर रहा हूं। मैंने 23 मार्च की रात 9 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और वहां से सीधे मंत्रालय गया और काम करना शुरू कर दिया। कांग्रेस सरकार ने मेरी जिन जन कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया था, उसे न सिर्फ दोबारा शुरू किया बल्कि छात्रवृत्ति, पेंशन आदि की राशि लाभार्थियों के खातों में डलवाई। किसानों को फसल बीमा की राशि दिलवाई, उनकी सम्मान निधि में इजाफा किया।

आप किसानों की कर्जमाफी को मुद्दा बनाते हैं तो कांग्रेस बिजली बिलों का मामला उठाती है। आपका क्या कहना है?

किसान कर्जमाफी का मामला किसी से छुपा नहीं है। कांग्रेस ने बीते चुनाव में किसानों को यह भरोसा दिलाया था कि प्रत्येक किसान को 2 लाख रुपये तक का कर्ज 10 दिन के अंदर माफ करेगी। लेकिन ऐसा नहीं किया। रही बात बिजली बिल की तो मैंने सत्ता संभालते ही तत्काल प्रभाव से लॉकडाउन के समय में ही 97 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को 623 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी कर राहत देने का काम किया। मेरी नजर में बिजली बिल मुद्दा नहीं है, बल्कि कांग्रेस जवाब दे कि उसने गरीबों के जीवन में खुशहाली लाने वाली और जन्म से पहले और मृत्यु के बाद तक सहायता करने वाली संबल जैसी योजना को बंद क्यों किया? कांग्रेस ने तो गरीब बेटियों के विवाह की राशि और मरने के बाद कफन तक के पैसों को रोक दिया था। इन सवालों का जवाब हर हाल में कांग्रेस को देना पड़ेगा।

विधानसभा चुनाव 2018 में ग्वालियर-चंबल में दलितों और सवर्णों दोनों की नाराजगी के चलते भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था। बसपा के मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा को फिर नुकसान होगा?

मैं ऐसा नहीं मानता कि दलित मतदाता भाजपा से नाराज थे। लोगों में जो भ्रम की स्थिति थी, वह 15 महीनों के कांग्रेसी शासनकाल में दूर हो गई। लोगों ने देख लिया कि कमलनाथ ने अपनी राजनीति के चलते किस तरह ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की उपेक्षा की। यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का अपमान किया। हमने 6 महीनों में चंबल-प्रोग्रेस-वे सहित लगभग 56,215 करोड़ रुपये की विकास योजनाएं शुरू की हैं, जो इस क्षेत्र की तस्वीर बदल देंगी। जहां तक बसपा का सवाल है, तो हर चुनाव में यहां त्रिकोणीय मुकाबला होता है और बसपा से नुकसान कांग्रेस को होता है।

कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने प्रदेश में निर्वाचित सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचा और उपचुनाव का बोझ जनता पर डाल दिया?

इस मनगढ़ंत आरोप को मैं सिरे से खारिज करता हूं। सच बात तो यह है कि कांग्रेस की सरकार स्वयं के बोझ और आंतरिक गुटबाजी के चलते गिर गई। अपनी कमी को छुपाने के लिए अब कांग्रेस नेताओं के पास और कुछ है नहीं, तो वे भाजपा के सिर पर यह दाग लगाने की बेकार की कोशिश कर रहे हैं। मैं पूछता हूं, तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ निर्वाचित विधायकों से क्यों नहीं मिलते थे, तबादला उद्योग में सबसे अधिक रुचि किस नेता की थी। मंत्रालय को दलालों का अड्डा किसने बनाया और छिंदवाड़ा के सिवाय पूरे प्रदेश की उपेक्षा किसके नेतृत्व में हुई। कांग्रेस, इन सवालों का जवाब दे।

चर्चा है कि पार्टी के कई नेता इस प्रयास में हैं कि सिंधिया समर्थक ज्यादातर मंत्री हार जाएं, जिससे वे भाजपा पर भारी न पड़ें और भाजपा की सरकार भी बनी रहे और सिंधिया का दखल भी कम रहेगा।  

आपका प्रश्न काल्पनिक है। सिंधिया जी पार्टी के बड़े नेता हैं, यह बात पूरी पार्टी मानती है। ऐसे में मजबूत करना, कमजोर करना जैसा विचार भाजपा परिवार में नहीं चलता। यह कांग्रेस का हिस्सा हो सकता है। भाजपा में समन्वय है, विमर्श है, लिहाज है और एक-दूसरे का आदर-समादर करने जैसी परंपरा है। यहां सब मिल-बैठकर काम करते हैं, न कोई छोटा, न कोई बड़ा। दूसरी ओर कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है और सभी क्षत्रप अपनी-अपनी चलाते हैं।

आप लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं। राज्य में इतनी लंबी पारी के बाद क्या दिल्ली की राजनीति करने की कोई इच्छा?

मेरी दिली इच्छा अपने प्रदेश की जनता के कल्याण के लिए काम करने की रही है। जब मैं अपनी जनता के चेहरे पर खुशी देखता हूं, जब उन्हें खुशहाल देखता हूं, जब उन्हें सम्मान के साथ जीवन जीते देखता हूं तो मुझे अंदर से संतोष होता है। जब तक शिवराज की सांस है, अंतिम समय तक मैं अपने प्रदेश की जनता की सेवा में लगा रहूंगा।

नई पारी में ऐसे कौन-से काम हैं, जो इस चुनाव में मतदाता को आपके पक्ष में लाएंगे?

मेरा लक्ष्य प्रदेश को विकसित राज्य बनाना है, जिसमें लोगों की तरक्की हो, वे खुशहाल हों। प्रदेश के जिन जिलों में बाढ़, अतिवृष्टि या कीट व्याधि के कारण किसानों के फसलों का नुकसान हुआ था, उन्हें कुल मिलाकर 4,000 करोड़ रुपये की आपदा राशि वितरित की जा रही है। हमने प्रदेश के अन्नदाता किसानों के लिए मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 77 लाख हितग्राहियों को दो किश्तों में 4-4 हजार रुपये अतिरिक्त राशि देने का निर्णय लिया है। किसानों को अब कुल 10 हजार रुपये मिलेंगे। इससे प्रतिवर्ष 3,200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए मई तक का राशन मार्च में ही प्रदान किया गया। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में नवंबर तक विस्तार करते हुए गरीबों को नवंबर तक प्रति माह 5 किलो गेहूं, चावल तथा एक किलो दाल निशुल्क प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश में 37 लाख नए हितग्राहियों को पात्रता पर्ची जारी की गई। संबल योजना के नए स्वरूप को फिर शुरू किया गया। इस वित्त वर्ष में 28 हजार से अधिक हितग्राहियों को 348 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

कृषि कानून में हाल में कई बदलाव किए गए हैं। आपको नहीं लगता, विपक्ष ने इसे जिस तरह मुद्दा बनाया है, उससे चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है?

प्रधानमंत्री ने तय किया है कि किसानों की आय को दोगुनी करना है। उसी दिशा में ये कदम उठाए गए हैं। कांग्रेस केवल भ्रम फैला रही है। सरकार पहले की तरह खरीद जारी रखेगी। मंडियां भी चलती रहेंगी। किसान को जहां बेहतर कीमत मिलेगी, वह वहां अपनी फसल बेचेगा। इसलिए चुनाव में इसका कोई नकारात्मक असर नहीं होगा। किसान तो खुश हैं कि उनकी आमदनी बढ़ाने के नए रास्ते खुल रहे हैं।

कांग्रेस आपको खिलाफ व्यक्तिगत बयानबाजी कर रही है। आपके घुटनों पर बैठने का मामला उठाया और फिर भूखे-नंगे जैसी बातें कही है। आप इन सबको कैसे लेते हैं?

मैं इस तरह की राजनीति में विश्वास नहीं करता हूं। उनकी इस तरह की बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। वे मुझे भूखा-नंगा कहते हैं तो मैं कहूंगा कि हां मैं हूं, इसलिए गरीब की पीड़ा समझता हूं। मेरा पूरा जीवन प्रदेश के गरीब किसानों के लिए समर्पित है। क्या गरीब किसान का बेटा होना अपराध है? कांग्रेस ने ऐसा कहकर गरीबों का अपमान किया है, प्रदेश की जनता खुद उसे सबक सिखाएगी।

आप लगभग सभी सीटों का दौरा कर चुके है। आपके अनुसार मतदाता क्या चाहता है?

मतदाता 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिता न पाने और शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री न बना पाने से चुनाव के बाद से ही दुखी था। इसलिए वह इस चुनाव में भाजपा को जिताने के लिए कोई कसर नहीं रखना चाहता है।

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TAGS: “लोग 2018 के नतीजों से दुखी थे, उसे सुधारेंगे”, MP Cheif Minister, Shivraj Singh Chouhan, Interview
OUTLOOK 21 October, 2020
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