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22 April 2020

एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: पुलिस ने अभी तक पेश होने का कोई नोटिस नहीं दिया-मौलाना साद

गैर राजनीतिक और सामाजिक-धार्मिक संगठन तबलीगी जमात कोरोना संकट के दौरान अनायास चर्चाओं में आ गया, क्योंकि कई जमाती कोरोना संक्रमण से पीड़ित पाए गए। नई दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित जमात का मुख्यालय (मरकज) भी पिछले एक महीने से विवादों में फंसा है। तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं बोलते हैं। लेकिन आउटलुक के कैसर मोहम्मद अली के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने संगठन का बचाव किया और मरकज से जुड़ी गतिविधियों की किसी भी जांच में पुलिस को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।

दिल्ली में मार्च के दौरान आयोजित हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम के बारे में बताएं।

मरकज निजामुद्दीन के कार्यक्रम पूरे साल चलते रहते हैं। पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं और अपने यात्रा कार्यक्रम के अनुसार मरकज में कुछ दिन ठहरते हैं। किसी भी समय में मरकज में करीब 2000 जमाती और कार्यकर्ता मौजूद होते हैं। लेकिन यह संख्या विशेष कार्यक्रमों के दौरान बढ़ सकती है। मार्च के लास्ट हफ्ते (21-22 मार्च) में अधिकांश भागीदार तमिलनाडु के थे, जिन्होंने 20 मार्च से शुरू हुए विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और यह कार्यक्रम 24 मार्च को खत्म होने वाला था। भारत के दूसरे राज्यों के अलावा अन्य देशों के भी जमातियों ने इसमें शिरकत की थी। इनमें से अधिकांश लोगों को 24 मार्च के बाद वापस अथवा आगे की यात्रा पर जाना था। लेकिन 'जनता कर्फ्यू' लागू होने पर हमने अपने कार्यक्रम को तत्काल खत्म कर दिया और लोगों से घर जाने को कहा।

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इस तरह लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले हमने अपनी गतिविधियां पूरी तरह बंद कर दीं। हमारे सभी कार्यक्रम 23 मार्च को ही खत्म हो गए, लेकिन पहले दिल्ली सरकार और बाद में प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के कारण बाहर के लोगों के लिए परिवहन सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। इसलिए वे मरकज में ही फंसे रह गए। हमने 17 वाहनों की व्यवस्था की और स्थानीय अधिकारियों से लोगों को उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष अनुमति देने का अनुरोध किया। लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई। रेल सेवाएं बंद थीं। घरेलू फ्लाइट भी 26 मार्च को स्थगित कर दी गईं। इस तरह उनके घर लौटने की कोई भी संभावना नहीं बची।

क्या मरकज ने कार्यक्रम के बारे में पुलिस को सूचना दी?

हम लगातार पुलिस और स्थानीय प्रशासन के संपर्क में थे और उन्हें मरकज में मौजूद जमातियों के बारे में जानकारी दे रहे थे। 24 मार्च को हमारे कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और जमातियों को वापस भेजने की योजना दी। हमने अधिकारियों को इसके संबंध में औपचारिक पत्र भी सौंपा। यह हमारे रिकॉर्ड में है।

तो क्या आप कहते हैं कि तबलीगी जमात ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरती?

दिल्ली पुलिस ने नियमित रूप से कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों की जानकारी मांगी और हमने उन्हें हमेशा यह जानकारी उपलब्ध कराई। वे समय-समय पर मरकज और दूसरे स्थानों पर जमातियों की जांच भी करते रहे। इसमें कुछ नया नहीं है। कई दशकों से यह प्रैक्टिस अपनाई जा रही है। मरकज पारदर्शी तरीके से और स्थानीय प्रशासन की अनुमति लेकर ही कार्यक्रम आयोजित करती है। तबलीग के दुनिया भर में लाखों अनुयायी हैं। इतने बड़े कार्यक्रम कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों की जानकारी में लाए बगैर आयोजित नहीं हो सकते हैं। हो सकता है कि लोगों को मालूम न हो, लेकिन पिछले दो-तीन दशकों से पुलिस अधिकारियों के अनुरोध पर मरकज निजामुद्दीन के तबलीगी अनुयायी, कैदियों को  आध्यात्मिक शिक्षा देने और उनमें सुधार के लिए जेलों के भी दौरे करते रहे हैं।

क्या मरकज पुलिस को आयोजित होने वाले प्रत्येक कार्यक्रम की जानकारी देती है?

मरकज में कार्यक्रम पूरे साल चलते रहते हैं। इजतेमा कहे जाने वाले बड़े कार्यक्रमों के लिए पुलिस और स्थानीय अधिकारियों से आयोजन तिथि से पहले आवश्यक अनुमति ली जाती है। आमतौर पर कार्यक्रम कई महीने पहले तय किए जाते हैं। हम हमेशा कार्यक्रम और इसमें जुटने वाली संभावित जमातियों की संख्या की जानकारी पहले ही पुलिस को देते हैं।

क्या मरकज ने मार्च में आयोजित हुए कार्यक्रम में आने वाले जमातियों की संख्या के बारे में जानकारी दी थी?

हमने जो भी कदम उठाए थे, उनकी जानकारी एक अप्रैल 2020 को प्रेस रिलीज के जरिए दे दी थी।

आरोप लगाए जा रहे हैं कि पुलिस आप तक पहुंच नहीं पा रही है।

अभी तक पुलिस ने हमें दो नोटिस दिए। हमने उनके जवाब दे दिए हैं। पुलिस को जब भी हमें या हमारे किसी भी कार्यकर्ता को बुलाने की आवश्यकता होगी, हम बिना किसी देरी के प्रस्तुत हो जाएंगे। अभी तक पुलिस ने ऐसी कोई सूचना नहीं भेजी है।

क्या आप सेल्फ-क्वारेंटाइन में हैं?

हां, डॉक्टरों की सलाह पर मैं दिल्ली में सेल्फ-क्वारेंक्वारेंटाइन में हूं।

तबलीगी जमात के कई सदस्य कोविड-19 के टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं।

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ जमातियों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव मिला है। पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई स्क्रीनिंग और टेस्टिंग में अधिकांश सदस्य निगेटिव मिले हैं। हम मीडिया रिपोर्ट्स पर टिप्पणी नहीं करते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी कोरोना के आंकड़ों पर ही भरोसा किया जा सकता है। पहले से ही सार्वजनिक हो चुकी जानकारी के अतिरिक्त हमारे पास कोई अतिरिक्त सूचना नहीं है।

मरकज ने मार्च का कार्यक्रम रद्द क्यों नहीं किया?

जब से केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना से बचाव के लिए उपायों की घोषणा की, हम मरकज में कार्यक्रम समाप्त करने में जुट गए। लेकिन अधिकांश जमाती बाहर के थे, इसलिए वे परिवहन की तुरंत व्यवस्था नहीं कर पाए। इसके बाद लॉकडाउन और रेल और हवाई सेवाओं में कटौती होने से उनके वापस जाने की संभावनाएं खत्म हो गई। इस दौरान हम अधिकारियों को जानकारी देते रहे लेकिन इन लोगों को वापस भेजने के लिए हमें कोई सुविधा या सहायता नहीं मिली। ऐसे हालात में जमातियों को मरकज में रुकने की अनुमति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। 25 मार्च के बाद से स्थानीय अधिकारी लगातार मरकज में आते रहे। महामारी के दौरान हम उन्हें दिल्ली की सड़कों पर भटकने के लिए नहीं छोड़ सकते थे। इस पूरे मामले में मरकज कार्यक्रम में हमने हिस्सा लेने वाले लोगों और कार्यकर्ताओं को किसी भी संदेह और संक्रमण के खतरे को खत्म करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को सहयोग करने और कोविड-19 का टेस्ट कराने को कहा।

मरकज में कोई व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा कितने समय तक रुकता है?

आमतौर पर जमाती बहुत कम समय के लिए मरकज में रुकते हैं। अक्सर वे दो-तीन दिनों में चले जाते हैं। लेकिन विदेशी अपने यात्रा कार्यक्रम के अनुसार कुछ लंबे समय तक रुकते हैं।

क्या आप सहमत हैं कि तबलीगी जमात पर कोरोना वायरस फैलाने के, खासकर सोशल मीडिया और मीडिया के एक वर्ग में, आरोप लगाए जाने से मुस्लिम समुदाय शर्मिंदगी और उलझन में फंस गया है?

मरकज कभी किसी घटना पर टिप्पणी नहीं करता है। मुस्लिमों की दशा पर भी हम कोई टिप्पणी नहीं करते हैं कि उनके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है। यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि मीडिया रिपोर्ट सही और तथ्यों पर आधारित हों।

तबलीगी जमात को पैसा कहां से मिलता है?

मरकज किसी सरकार या किसी पब्लिक अथवा प्राइवेट संगठन से वित्तीय मदद नहीं मांगती है। हम किसी व्यावसायिक समूह से कोई संबंध नहीं रखते हैं। सभी जमाती अपने खर्च की व्यवस्था खुद करते हैं। शिक्षा और आध्यात्मिक प्रयासों के लिए व्यक्ति को खुद ही अपना समय और पैसा लगाना होता है। इसके बिना कोई मतलब नहीं है। हम तबलीगी किसी और के पैसे से यात्राएं कराने पर विश्वास नहीं करते हैं। मरकज और स्थानीय तबलीग केंद्रों के खर्चों का इंतजाम आवश्यकता के अनुसार कार्यकर्ताओं और स्थानीय समुदाय द्वारा किया जाता है। इसके लिए पैसा जुटाने की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है। मरकज किसी यात्री से कोई चार्ज नहीं लेता है। सभी की भागीदारी स्वेच्छा से होती है।

हजरत निजामुद्दीन में मरकज को लेकर काफी भ्रम फैला है। मरकज किन गतिविधियों में सक्रिय होता है?

मरकज निजामुद्दीन 1926 से काम कर रही है और तबलीगी मूवमेंट के कई ग्लोबल हेडक्वार्टर हैं। यह पूरी तरह गैर राजनीतिक, सामाजिक-धार्मिक आंदोलन है। यह मुस्लिमों में आध्यात्मिक चेतना लाने का प्रयास है। यह आध्यात्मिक शिक्षा और आत्म सुधार के लिए कुछ समय निकालने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता है। हमारा मानना है कि व्यक्ति में सुधार के बगैर नैतिक और सामाजिक सुधार नहीं लाया जा सकता है। इसलिए तबलीगी आंदोलन जमीनी स्तर पर काम करता है और प्रत्येक मुस्लिम पर फोकस करता है, भले ही वह कहीं से भी संबंध रखता हो।

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TAGS: Tablighi Jamat, Maulana Saad, Covid-19, Markaz Nizamuddin
OUTLOOK 22 April, 2020
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