एनआरसी और 370 का मुद्दा काम नहीं आएगा : कुमारी सैलजा
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष ऐसे समय बनाया गया है जब राज्य विधानसभा चुनाव में बेहद कम समय बचा है। उनकी चुनौती गुटों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करके सत्तारूढ़ भाजपा के मुकाबले में विकल्प के तौर पर पेश करना है। वह कहती हैं कि लोगों में राज्य सरकार के प्रति जबर्दस्त आक्रोश है, इसलिए हमारे कार्यकर्ताओं का काम और आसान होगा। हरियाणा में कांग्रेस की सबसे प्रभावशाली दलित नेता और कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की करीबी कुमारी सैलजा ने प्रदेश अध्यक्ष पद संभालने के बाद आउटलुक हिंदी के संपादक हरवीर सिंह से पार्टी की तैयारियों, मौजूदा भाजपा सरकार के प्रदर्शन और मतदाताओं के रुझान पर विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंशः
राज्य के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य के बारे में आप क्या कहेंगी?
लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी जीत मिली और वह सभी दस सीटें जीतने में कामयाब रही। लेकिन अब मुद्दे बदल गए हैं। इस बदलाव के साथ ही हम तैयार हैं। हमारे लोगों में उत्साह बढ़ रहा है। सभी लोग काम कर रहे हैं और कांग्रेस सक्रिय हो चुकी है। भाजपा की बात करें तो वह केंद्र के स्तर पर प्रासंगिक हो सकती है, लेकिन राज्य के लिए उसके पास कोई कार्यक्रम या मुद्दा नहीं है।
कांग्रेस में आतंरिक कलह थी। क्या आपको नहीं लगता कि संगठन के स्तर पर बदलाव और घर को दुरुस्त करने में आप लेट हो चुके हैं? चुनाव अक्टूबर में ही होने हैं तो पहले कदम उठाने पर ज्यादा फायदा मिल सकता था।
लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इस उथल-पुथल में करीब ढाई महीने का वक्त जाया हो गया। सोनिया गांधी के कमान संभालने के बाद पार्टी में फैसले होने शुरू हुए। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मेरी नियुक्ति इसी का हिस्सा है। पार्टी में सभी मिलकर काम करते हैं। लोकसभा में भी सबने काम किया था।
भाजपा आज देश की सबसे बड़ी पार्टी है। हर गांव-शहर में उसके कार्यकर्ता हैं। जबकि दूसरी पार्टियों के पास ऐसा सुसंगठित नेटवर्क नहीं है। इस चुनौती को आप किस तरह देखती हैं?
भाजपा का जोर प्रचार पर ज्यादा रहा है। नेटवर्क के अलावा अंधाधुंध पैसा बहाकर प्रचार किया। प्रचार के लिए पैसा कहां से आया, कहां और कितना खर्च हुआ, यह आने वाले समय में पता चलेगा। हमारे कार्यकर्ता पैसे की वजह से नहीं, बल्कि विचारधारा के कारण जुड़े हैं। हरियाणा में लोगों का राज्य सरकार के प्रति जो आक्रोश दिखाई देता है, उससे हमारे कार्यकर्ताओं के लिए काम और आसान हो गया है।
कांग्रेस हाइकमान ने आपको प्रदेश अध्यक्ष और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव समिति का प्रभारी बनाया है। इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक तंवर ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हुए। अब क्या आप और हुड्डा प्रदेश के दूसरे वरिष्ठ नेताओं के साथ बेहतर तालमेल बनाकर काम कर पाएंगे?
सभी लोग काम कर रहे हैं। यह आवश्यक नहीं कि हमेशा सबको ओहदा मिल पाए। पद कभी किसी के पास होता है तो कभी दूसरे के पास। हम सभी कांग्रेस का हिस्सा हैं। हम जहां भी पहुंचे हैं, पार्टी के कारण पहुंचे हैं। हम सबकी जिम्मेदारियां हैं और उन्हें निभा भी रहे हैं।
महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा चौहान भाजपा में चली गईं। दूसरे कई नेता भी भाजपा में गए। आपकी पार्टी में भी कुछ नेता आए हैं। दल बदलने के इस ट्रेंड पर आप क्या कहेंगी?
चुनाव के दौरान यह सामान्य बात है। कमजोर हो रही छोटी पार्टियों के नेता ज्यादा जा रहे हैं। कई मजबूत नेता हमारी पार्टी की ओर देख रहे हैं। भाजपा में भी गए हैं।
हरियाणा में पहली बार किसी महिला को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी इस फैसले के माध्यम से क्या संदेश देना चाहती है?
इसका एक नजरिया है कि दलित महिला को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भुनाया है। दूसरा नजरिया है कि मैंने कांग्रेस के साथ पूरी निष्ठा से काम किया है और लंबा अरसा गुजारा है, इसलिए पार्टी ने मुझे यह सम्मान दिया। मुझे अध्यक्ष इस वजह से नहीं बनाया कि किसी महिला को बनाना है, बल्कि इस वजह से यह फैसला किया गया कि हमें सब को साथ लेकर चलना है।
हरियाणा की राजनीति में जाट बनाम गैर-जाट का माहौल है। भाजपा ने गैर-जाट नेता मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाकर चौंकाया था। क्या कांग्रेस इस मिथक को तोड़ने का प्रयास करेगी? कांग्रेस राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से किन जातियों पर ज्यादा फोकस करेगी?
विभाजन भाजपा का एजेंडा है। वह लोगों को बांटने की राजनीति करने की आदी है। सांप्रदायिक आधार पर भी भाजपा लोगों को बांटने का प्रयास करती है। कांग्रेस हर बिरादरी के लोगों की पार्टी है। हमें विश्वास है कि हरियाणा के लोग बांटने की राजनीति को नकारेंगे और सबको साथ लेकर चलने की हमारी परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।
राज्य चुनाव में मुद्दे क्या होंगे? कांग्रेस किन पांच मुद्दों को लेकर जनता के सामने जाएगी और कहेगी कि भाजपा सरकार विफल रही है?
मुद्दे तो बहुत हैं। सरकार ने वायदे बहुत किए, लेकिन उन्हें पूरा करने में नाकाम रही। कर्मचारी और जनता तमाम मुद्दों को लेकर जगह-जगह धरना-प्रदर्शन कर रही है। किसान भी परेशान हैं। बीमा के नाम पर किसानों से प्रीमियम ले लिया जाता है लेकिन मुआवजा नहीं मिलता। पंजाब का ड्रग माफिया हरियाणा में भी आ गया है। इसे खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। नोटबंदी से शुरू हुई मंदी जीएसटी के कारण और लंबी खिंच गई। महंगाई आसमान छू रही है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षा के केंद्र 200 किलोमीटर दूर डाले जा रहे हैं। महज चार हजार नौकरियों के लिए 15 लाख युवाओं ने आवेदन किया है। माइनिंग बहुत बड़ा घोटाला है। सरकार की सांठगांठ से अवैध खनन हो रहा है।
बाबा रामदेव की कंपनी ने अरावली क्षेत्र में काफी जमीन ली है। क्या कांग्रेस इस मुद्दे को उठा रही है?
यही नहीं, बल्कि कई सारे मुद्दे हैं। सरकार इन लोगों को जमीन बेच रही है। राज्य में वन क्षेत्र सिर्फ दो फीसदी रह गया है। लेकिन सरकार इन्हें और कम करने पर उतारू है। आयुष्मान भारत से भी कुछ नहीं होगा, जब लोगों के स्वास्थ्य के लिए हरियाली ही नहीं रहेगी।
क्या आपने कांग्रेस सरकार का रिपोर्ट कार्ड बनाया है, जिसे लेकर आप जनता के बीच जाएंगी?
हम चुनाव घोषणापत्र बना रहे हैं। इसमें हम सरकार की विफलताओं का ब्यौरा जनता को देंगे। हम हरियाणा का उज्ज्वल भविष्य कैसे लाएंगे, यह भी लोगों को बताएंगे।
भाजपा ने हरियाणा में एनआरसी का मुद्दा उठाया है। कांग्रेस एनआरसी लागू करने के तरीके को गलत बताती है। क्या आपको लगता है कि इस मुद्दे से भाजपा को फायदा होगा?
सरकार ने असली मुद्दों से पीछा छुड़ाने के लिए एनआरसी का मुद्दा उठाया है। इससे आम लोगों का कोई लेना-देना नहीं है। पहले उन्होंेने 370 का मुद्दा उठाया था।
खट्टर कह रहे हैं- अबकी बार, 75 पार। उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा राज्य के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में निकाली...।
खट्टरजी खुद 75 के पार हैं। तेल 75 के पार है। और क्या-क्या पार करेंगे? इस बार भाजपा का बंटाढार। उनके पास कहने को कुछ नहीं है।
दलितों के साथ ज्यादती बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। दिल्ली में रविदास मंदिर की घटना हुई। क्या चुनाव में इसका कोई असर दिखाई देगा?
दिल्ली में रविदास मंदिर गिराने की जो घटना हुई, उससे भाजपा का असली चेहरा जनता के सामने आया है। कहा जा रहा है कि कोर्ट का आदेश था, जबकि यह प्लान के तहत किया गया। सरकार चाहती तो प्लान बदलकर इस प्राचीन मंदिर को छोड़ सकती थी। इस मंदिर में न जाने कितने साधु-संत आए। इसका असर लोगों के दिलों पर होता है।