मैं नहीं सरकार राष्ट्र विरोधी– प्रिया पिल्लई
सरकार के कहे अनुसार क्या आप शपथ पत्र देंगी ?
मैं शपथ पत्र कभी नहीं दूंगी।
सरकार क्यों चाहती है कि आप विदेश न जाएं?
मैं भी नहीं जानती जबकि मैं विदेश जाकर देश के खिलाफ कोई काम नहीं करने वाली।
फिर क्या वजह है?
मैं लंदन जाकर वहां रजिस्टर्ड एक कंपनी एस्सार के बारे में ब्रिटिश सांसदों से बात करना चाहती थी। जो लंदन जाकर ही हो सकती है। हालांकि कंपनी का मुख्यालाय मॉरिशिस में है लेकिन कंपनी का होम कंट्री वही माना जाता है जहां वह रजस्टिर्ड होती है।
कंपनी के बारे में क्या बात करना चाहती हैं?
इस कंपनी को मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के महान जंगलों में कोयला खादान आबंटित हुई थी लेकिन कोयला घोटाले में नाम आने से इसका आबंटन रद्द हो गया । इस कंपनी को कोयला खदान मिलने से वहां स्थानीय आदिवासियों की रोजी-रोटी खत्म हो जाती जबकि जंगल से तो आदिवासियों को पहले ही बेदखल किया जा चुका है। हम लंदन भारत के इन गरीब लोगों के अधिकारों की बात रखने जा रहे थे।
इसमें सरकार को क्या आपत्ति हो सकती है?
यही तो हम कह रहे हैं कि आखिर सरकार एक ब्रिटिश कंपनी को क्यों बचा रही है। आखिर इसमें किसका हित हो सकता है। क्या आदिवासियों के अधिकारों की बात करना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है? हम लंदन जाकर भारत या भारत से संबंधित कोई बात या प्रेजेंटेशन देने नहीं जा रहे थे। अब अगर गरीब लोगों के हितों की बात करना राष्ट्रविरोध है तो बताएं कि राष्ट्रविरोधी मैं हूं या सरकार?
आगे क्या सोचा है?
शपथ पत्र तो मैं नहीं दूंगी। मुझे इस देश का नागरिक होने के नाते शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने, अपनी राय रखने और बोलने का संवैधानिक अधिकार है।