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31 March 2016

आफ्सपा नहीं हटा तो पतन शुरू होगाः इरोम शर्मिला

भाषा सिंह

  उन से मिलकर, उनकी जीवंतता और फुर्ती देखकर  अक्सर यह बात ही दिमाग से गायब हो जाती है कि इस 44 वर्षीय महिला ने पिछले 16 सालों से अन्न का एक दाना और पानी का एक बुंद मुंह से नहीं पिया है। उनके हाथ-पैरों के नाखून बेहद बड़े हैं और पूछने पर पता चला कि उन्होंने पिछले 16 सालों से न तो बालों में कंघी फेरी है, न नाखून काटे हैं और न ही आइना देखा है। वह वर्ष 2000 से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट (आफ्सपा) के खात्मे की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं। इधर वह दिल्ली आई हुई थीं। यहां उनके ऊपर आत्महत्या करने की कोशिश करने का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले से दिल्ली मेट्रोपोलिटन मेजिस्ट्रेट ने उन्हें बरी कर दिया और इससे उन्हें बहुत राहत भी है। उनके दिल्ली प्रवास के दौरान मणिपुर हाउस के बाहर जेएनयू से आए छात्रों का हुजूम था, जिन्हें इरोम से मिलने की अनुमति नहीं मिली थी। उनके समर्थन में इरोम नीचे आईं और हाथ हिलाया, उधर से नारा लगा, इरोम तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं...और यह सुनकर इरोम की आंखे डबडबा गईं...। पेश हैं इरोम शर्मिला से आउटलुक की ब्यूरो प्रमुख भाषा सिंह की बातचीत के अंश--

आफ्सपा हटाने के लिए क्या आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छुक है ?

इस खौफनाक और बर्बर कानून के खात्में के लिए कहीं भी जाने के लिए तैयार हूं। मुझे सफलता मिलेगी ही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरी मांगों को समझेंगे। मैंने जो उन्हें संदेश दिया है, जो मांगें भिजवाई हैं, उन्हें समझने की क्षमता उनमें आएगी। पिछले साल जब मैं अपने केस की सुनवाई के लिए यहां आई थी, तो मैंने एक पत्र उन्हें भिजवाया था, जिसमें साफ लिखा था कि मेरी क्या मांगे हैं। उम्मीद है उन्हें ये सब समझ आएगा। वैसे भी लोकतंत्र में हमारे पास सत्ता से मांग करने का ही अधिकार है। मुझे लगता है कि इसके लिए वह समय निकालेंगे और बात करने को तैयार होंगे। अभी तक केंद्र और राज्य सरकार तथा सेना ने हमारी मांगों के प्रति बेहद अलोकतांत्रिक रवैया अख्तियार कर रखा है।

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अगर सरकार नहीं सुनती तो?

अगर सत्ता इन मांगों को नहीं सुनती है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। एक खौफनाक खालीपन शुरू हो गया है औऱ पतन भी शुरू होगा। हम एक गंभीर संकट की ओर हम बढ़ रहे हैं। खौफनाक खालीपन का दौर है। अगर आफ्सपा हटाने की मांग नहीं सुनी गई तो यह खालीपन और बढ़ेगा और पतन शुरू होगा। मुझे लगता है कि हम खुशियों के सूचकांक में लगातार क्यों गिरते जा रहे हैं। आखिर क्यों नहीं सत्ता इस बात की चिंता करती कि समाज में, जनता में खुशियां रहे। क्या यह उसकी प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए। स्थितियां बदल रही हैं। अदालत का ये फैसला इसी दिशा में देखा जाना चाहिए। इससे मुझए बहुत राहत मिली है। मेरा यह मिशन पूरा होना चाहिए। यह देश, समाज और पूरी मानवता के लिए जरूरी है। अन्यायकारी, अत्याचारी, खौफनाक एएफएसपीए का खात्मा होना बेहद जरूरी है। मानवता के लिए सबको इस मांग को उठाना चाहिए।

आपने इतना लंबा संघर्ष किया, अभी भी चल रहा है, कैसे देखती हैं अपने जीवन को आप ?

मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी एक बड़ा इतिहास बना रही है। मेरा संघर्ष व्यर्थ नहीं जाएगा क्योंकि भगवान मेरे साथ है। मुझे लगता है कि भगवान की मदद से ही मैं इतना बड़ा मिशन कर पा रही हूं। मेरी आत्मा शुद्ध है, इसलिए गॉड ने मुझे इसके लिए चुना। मुझे इस बात पर गर्व महसूस होता है कि मैंने इतने बड़े अत्याचारी कानूनी के खिलाफ आवाज बुलंद की। आजतक इसमें मैं कभी कमजोर नहीं पड़ी, इतने बड़े पैमाने पर लोगों ने समर्थन किया। मैं भी सामान्य इंसान हूं, मेरी भी इंसानी जरुरतें हैं, चाहतें हैं, वे भी मैं चाहती हूं जीना। ये कैसे संभव होगा यह। समाज और सत्ता को ये करके दिखाना होगा।

रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू में चल रहे आंदोलन को आप कैसे देखती हैं ?

ये नौजवान बेहद जरूरी और ऐतिहासिक सवाल उठा रहे हैं। इनका सम्मान होना चाहिए। लोकतंत्र असल में नौजवानों के दिलों में बसता है और मुझे लगता है उनके खिलाफ सत्ता को नहीं उतरना चाहिए। देश में ऐसा माहौल होना चाहिए जहां नौजवान का दिमाग किसी भी भय से मुक्त हो। नौजवान ही क्रांतिकारी होते हैं, उनकी यहा उम्र से समाज में गले-सड़े हिस्से, गलत प्रथाओं और सोच को उखाड़कर फैंकने की।

आप प्रेम करती हैं। कैसे हुआ प्रेम और क्या सपने हैं आपके ?

प्रेम क्यों नहीं करूंगी। प्रेम करती हूं। इस प्रेम ने मेरी जिदंगी बदल दी। मुझे ऐसा लगता है कि मैं कब से इस शक्स का इंतजार कर रही थी। आयरलैंड के देसी क्योंटो ने मेरी जिंदगी में प्रेम का रस घोल दिया है। मैं अपने मिशन में जीतने के बाद उससे शादी करना चाहती हूं। उसके साथ पूरी दुनिया घूमना चाहती हूं। सोचती हूं कि पूरी दुनिया को हमारी उपस्थिति का अहसास होना चाहिए। अभी मैं मणिपुर में कैद में हूं, इसलिए मिल नहीं सकती, लेकिन हम दोनों में जबर्दस्त प्रेम है।  

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TAGS: irom sharmila, afspa, manipur, jnu, pm, narendra modi, hunger strike, इच्छाशक्ति, फौलादी, मणिपुर हाउस
OUTLOOK 31 March, 2016
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