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16 June 2022

इंटरव्यू/बीएसएफ महानिदेशक: ‘हम तो राज्यों की मदद कर रहे हैं’

पहले पंजाब और अब बंगाल में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) केंद्र सरकार के एक फैसले से विवाद के केंद्र में आ गया है। इस साल पंजाब विधानसभा चुनावों के कुछ पहले केंद्र ने सीमावर्ती राज्यों में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 15 कि.मी. से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया, तो पंजाब ने इसे राज्य के दायरे में दखलंदाजी बतलाया और केंद्र की सियासी मंशा पर सवाल उठाए। केंद्र की दलील है कि यह तस्करी, अवैध घुसपैठ और सीमा पार से होने वाली आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए किया गया है। पंजाब और बंगाल दोनों इसे केंद्र की समानांतर पुलिस व्यवस्था बनाने के मंसूबे की तरह देख रहे हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिदायत दी है कि बीएसएफ को राज्य में घुसने नहीं देना, वे लोगों की हत्या करके सीमा पर फेंक देते हैं। लेकिन विवादों से परे, बीएसएफ जैसलमेर में रीट्रीट सेरेमनी आयोजित करने जा रहा है। वहां वॉर म्यूजियम बन रहा है और दवा वितरण कैंप लगा रहा है। इन तमाम मामलों पर बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह से अश्वनी शर्मा की बातचीत के प्रमुख अंश:

बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को सीमा से 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर किए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यों में अपनी समानांतर पुलिस बना रही है। आपकी राय?

बहुत से भ्रम फैलाए जा रहे हैं। पंजाब की सीमा से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी कुछ हद तक आसान है, क्योंकि सीमा के दोनों तरफ काश्तकारों की जमीन हैं। रात में पाकिस्तान सीमा से ड्रग्स की एक किलो, आधा किलो की पोटली बनाकर इधर फेंक देते और इधर वाले उसे उठाकर देश के अंदर भेज देते हैं। इसमें मुनाफा ज्यादा है। जैसे एक किलो ड्रग्स पर एक लाख रुपये काश्तकार को मिल जाता है। किसी ने एक रात में चार पोटली इधर से उधर कर दी तो 4 लाख रुपये की कमाई हो गई। रात में वह व्यक्ति 15 किलोमीटर तक चला जाता है। उसके बाद हम उसमें कुछ नहीं कर सकते। हम केवल तलाशी और जब्ती के बाद उसे गिरफ्तार करके पुलिस या कस्टम को सौंप देते हैं। आगे की कार्रवाई राज्य पुलिस और कस्टम को देखनी है। जांच करने का अधिकार उन्हीं के पास है। इस अर्थ में हम तो राज्य सरकार की एजेंसी की मदद ही कर रहे हैं।

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बंगाल की मुख्यमंत्री का कहना है कि बीएसएफ को राज्य के अंदर घुसने नहीं देना है, वे लोगों को मारकर सीमा पार फेंक देते हैं....

मुझे लगता है कि अवैध घुसपैठ को रोकने का अधिकार तो किसी भी एजेंसी के पास होना चाहिए। बीएसएफ अपना हर काम बड़ी ही सहजता और जिम्मेदारी से करता है। बांग्लादेश की सीमा पर मानव तस्करी और अवैध घुसपैठ बड़ी समस्या है। हमने सीमा पर फैंसिंग की हुई है। कुछ हिस्सों में पानी, पहाड़ और जंगल की वजह से बाड़ नहीं लग पाई है। हम विभिन्न उपकरणों और मशीनों से सीमा की सुरक्षा करते हैं। फिर भी नदी के रास्ते घुसपैठ को अंजाम दिया जाता है। अब दायरा 50 किलोमीटर हुआ है। वहां हमने 12 स्थानों पर मानव तस्करी और अवैध घुसपैठ को रोकने के केंद्र बनाए हैं। हम अवैध घुसपैठियों को पकड़कर संबंधित एजेंसी को सौंप देते है। आगे की कार्रवाई उनको करनी होती है। राजस्थान में तो पहले से ही सीमा से लगा 50 किलोमीटर क्षेत्र हमारे दायरे में हैं।

कथित तौर पर बस्तर क्षेत्र में आदिवासिओं के साथ बीएसएफ के जवान ज्यादती करते हैं। नक्सली बताकर आदिवासी लोगों का एनकाउंटर होता है। महिला उत्पीड़न के आरोप भी लगते हैं। इसको लेकर आपका क्या कहना है?

मुझे लगता है, यह तथ्यहीन बात है। हम बस्तर के क्षेत्र में उनके साप्ताहिक हाट में मदद करते हैं। वहां उनके लिए गरम और ताजा भोजन की वैन भेजते हैं। उनके लिए दवा वितरण कैंप लगाते हैं। कागजात बनवाने में उनकी मदद करते हैं। बस्तर में जाने से पहले जवान की एक महीने की ट्रेनिंग अलग से होती है। आदिवासी क्षेत्र हो या सीमावर्ती, महिलाओं से जुड़े मामलों में उनकी तलाशी, जांच और पूछताछ के काम को महिला प्रहरी संभालती हैं। पिछले कुछ वर्षों में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है। आदिवासी लोगों में हमारा विश्वास बढ़ा है। वे नक्सलियों की सूचना देते हैं। उनका विरोध करते हैं। हम हर स्तर पर सुरक्षा बल के कार्यों का मूल्यांकन करते हैं। कोई जवान अपने काम से जरा सा भी विमुख मिलता है तो कड़ी कार्रवाई की जाती है।

जैसलमेर सीमा पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी शुरू हो रही है। वहां वॉर म्यूजियम बना रहा है। वह ऐतिहासिक व्यापारिक मार्ग और धार्मिक आस्था का केंद्र हैं। यहां सेरेमनी के पीछे उद्देश्य क्या है?

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का मतलब केवल मार्च करना ही नहीं होता। वहां दो देशों के सुरक्षा बलों के बीच संवाद होता है। जो सीमा की सुरक्षा के लिहाज से अति आवश्यक है। वहां सेरेमनी देखकर लोग गर्व की भावना से भर उठते हैं। देश के विभिन्न सीमाओं हुसैनीवाला, अटारी, ऑक्ट्रॉय, नाडा बीट और बांग्लादेश सीमा पर रीट्रीट सेरेमनी आयोजित की जा रही है। सीमा सुरक्षा बल के गठन के बाद से 1971 की जंग, करगिल की लड़ाई या सीमा से संबंधित दूसरी घटनाओं में हमारे जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। ऐसे वीरों को याद करने के लिए वॉर म्यूजियम बना रहे हैं, ताकि वे लोगों के प्रेरणा स्रोत बन सके। हमने अटारी और गुजरात में भी ऐसा म्यूजियम बनाया है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक व्यापारिक मार्ग के रूप में कार्य करता रहा है। यहां से घुमंतू समुदायों के जरिये मुल्तान, काबुल होते हुए वर्तमान अफगानिस्तान और ईरान से व्यापार होता था। हम उसे यहां दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। वहां घुमंतू समुदायों की जीवंत संस्कृति देखी जा सकेगी। इससे पर्यटन का विकास होगा, उनको रोजगार मिलेगा।

आप पर्यटन, लोक संस्कृति और सिविक एजेंसियों की भूमिका की बात कर रहे हैं। क्या बीएसएफ का मेंडेट बदल गया है?

बीएसएफ प्रथम रक्षा पंक्ति के अलावा और भी बहुत कुछ है। सीमा सुरक्षा के मेंडेट के साथ हमारी दूसरी भूमिका भी हो सकती है। मैं केवल उन भूमिकाओं को खोलने का काम कर रहा हूं। चाहे बांग्लादेश की 4100 किलोमीटर की सीमा हो या पाकिस्तान से लगी 2500 किलोमीटर सीमा, वहां हम देश की सुरक्षा केवल बंदूक तानकर और सर्विलांस से ही नहीं करते हैं। इसके साथ हम सिविक कार्यों के जरिए सीमा के नजदीक रहने वाले लोगों से अच्छा सामंजस्य भी बनाते हैं। उनकी स्थानीय आवश्यकताओं जैसे मेडिकल कैंप लगाना, रोजगार प्रशिक्षण देना, छोटे बांध बनवा देना, उनकी डिस्पेंसरी में दवाएं उपलब्ध करवा देना वगैरह। सुंदर वन डेल्टा क्षेत्र में हम बोट एम्बुलेंस चला रहे हैं। हमारा सोचना है कि सीमा के नजदीक जितनी भी बसावट है, वहां के लोग हमारे आंख और कान बन जाएं तो हमारा देश सुरक्षा का काम सुगम हो सकता है। बीएसएफ के सॉफ्ट चेहरे को दिखाना भी आवश्यक है।

बीएसएफ में महिला प्रहरियों की भूमिका को कैसे देखते हैं?

हमारे यहां महिलाएं सीमा पर ड्यूटी, हथियारों को खोलने-जोड़ने या सिविक हर काम में आगे हैं। अभी हमारी महिला प्रहरियों ने 5300 किलोमीटर की यात्रा की और गांव- गांव जाकर महिलाओं को संबोधित किया। उनको घर से बाहर निकलकर कुछ करने को प्रेरित किया। हाल ही में हमने 2000 महिलाओं की भर्ती किया है।

सुरक्षा बलों में आत्महत्या की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं, आप इसे रोकने के लिए क्या कर रहे हैं?

कई बार परिवार, बच्चे, स्वास्थ्य या अपने काम को लेकर तनाव हो सकता है। कई जवान उस तनाव को पीते रहते हैं, अंदर दबाते जाते हैं और फिर अचानक उसका विस्फोट हम देखते हैं। ऐसी कोई घटना न हो, इसके लिए निरंतर आपसी संवाद बढ़ा रहे हैं। फील्ड में जाने वाले हर उच्च अधिकारी को एक दिन जवानों के बीच रहना होता है, जिससे उनकी दुख तकलीफें सुन सके। तकलीफें दूर करने की कोशिश की जाती है, काउंसलिंग की जाती है। उनको समय पर छुट्टी देना, डयूटी समय, कैंटीन, अस्पताल और रहने की सभी अच्छी सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं।

बीएसएफ के संदर्भ में आप भारत को कहां देखना चाहते हैं?

दुनिया में हर कहीं बॉर्डर की सुरक्षा हमेशा चुनौती होती है। भारत विकसित देशों की श्रेणी की ओर अग्रसर है। इसके लिए आवश्यक है कि बॉर्डर सुरक्षित रहें। कोई भी पड़ोसी राज्य हो, किसी भी प्रकार की अवांछनीय गतिविधि को हम काउंटर करें। इसके लिए हमें अपने लोगों को परिपक्व और प्रशिक्षित करना होगा। चाहे हथियारों के बारे में, चाहे टेक्टिस के बारे में हो या फील्ड के ज्ञान के बारे में हो व्यक्ति को हर तरह की तकनीक से जोड़ना पड़ेगा। आज हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आज हमारे पास उस तरह के इक्विपमेंट और तकनीकी आ चुकी है। हमें जवानों की सुविधा और उनके परिवारों के कल्याण कार्यों को भी देखना है। देश में शांति और अमन को भी कायम करना है।

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TAGS: BSF head, Pankaj Kumar, Interview, BSF Issues, Bengal, Ashwani Sharma
OUTLOOK 16 June, 2022
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