“टेक्नोलॉजी ने गांव-शहर की खाई पाट दी”
“सोनीपत के गन्नोर तहसील के गांव तेवड़ी के किसान परिवार में 1991 में जन्मे 29 वर्षीय प्रदीप को उम्मीद नहीं थी कि इस परीक्षा में पहला स्थान पाएंगे”
चार अगस्त की सुबह संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा-2019, के नतीजे का दिन आया, तो प्रदीप सिंह मलिक के पिता सुखबीर सिंह मलिक हर रोज की तरह खेत में थे। प्रदीप ने उन्हें फोन कर नतीजे के बारे में बताया तो पिता का पहला सवाल था,“आइएएस बन गया? पहले सौ में नंबर आया?” प्रदीप का जवाब था,“पहले सौ में ही नहीं, मैं पहले नंबर पर हूं।” खेत का काम अधूरा छोड़ घर पहुंचे पिता को नतीजा देखने के बाद ही तसल्ली हुई कि लगातार दो बार की असफलता के बाद आखिरकार उनके बेटे ने “लठ्ठ गाड़ दिया।” पिता 2000 में गांव के सरपंच बने तभी से बच्चों को अफसर बनाने का ख्वाब पालने लगे थे। सोनीपत के गन्नोर तहसील के गांव तेवड़ी के किसान परिवार में 1991 में जन्मे 29 वर्षीय प्रदीप को उम्मीद नहीं थी कि इस परीक्षा में पहला स्थान पाने वाले वे हरियाणा के इतिहास में अब तक के पहले पुरुष अभ्यर्थी है। आउटलुक के हरीश मानव की उनसे विस्तृत बात की। प्रमुख अंश:
आपको यकीन था कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले आठ लाख अभ्यर्थियों में अंतिम परीक्षा में सफल हुए 829 में आपका पहला स्थान होगा?
इस परीक्षा के तीन पड़ाव हैं। मेरे तीनों पड़ाव बहुत अच्छे रहे। पर जब तक आखिरी नतीजा नहीं आ जाता, तब तक नतीजे को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। मुझे टॉप 100 में रहने की उम्मीद थी।
नतीजे के दिन परिवार की पहली प्रतिक्रिया?
पहली रैंक देखकर मुझे यकीन ही नहीं हुआ। खेत का काम छोड़ घर पहुंचे पिता जी ने भी परिणाम सूची में मेरा नाम सबसे ऊपर देख मुझे गले लगा लिया। दिनभर घर में बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। उस रात खुशी के मारे पूरा परिवार ठीक से सो भी नहीं पाया।
इतनी बड़ी सफलता का श्रेय किसे जाता हैं?
दो बार की असफलता से मैं हताश हुआ। पिता जी ने हौसला बढ़ाया। मां, बड़े भाई अजित और छोटी बहन मनीषा हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाते रहे।
आपकी स्कूली और उच्च शिक्षा कहां हुई?
पाचवीं तक की पढ़ाई गांव के ही एक छोटे से प्राइवेट स्कूल में हुई। दसवीं पास पिता जी उच्च शिक्षा के लिए 2000 में हमें सोनीपत ले आए। बारहवीं तक की पढ़ाई सोनीपत के शंभु दयाल मॉर्डन स्कूल से हुई। यहीं से मुरथल की दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी फॉर साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर सांइस में बीटेक किया।
एसएससी से यूपीएससी परीक्षा का चार वर्ष का सफर कैसा रहा? एसएससी परीक्षा से इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर चयन के बाद आपने यूपीएससी सिविल सर्विस के बारे में कैसे सोचा?
2012 में कंप्यूटर सांइस में बीटेक के बाद 2013 में स्टॉफ सलेक्शन कमिशन (एसएससी) की परीक्षा पास कर मैंने चार साल इनकम टैक्स इंस्पेक्टर की नौकरी की। परिवार में किसी सदस्य की यह पहली सरकारी नौकरी थी इसलिए इसे छोड़कर मैं यूपीएससी की तैयारी का जोखिम नहीं लेना चाहता था। 1 एकड़ के किसान पिता की आमदनी के अलावा घर में कमाई का और कोई जरिया भी नहीं था। इंस्पेक्टर की नौकरी के साथ 2016 में पहली बार यूपीएससी सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं हो पाई। 2017 में दूसरी बार भी प्रारंभिक परीक्षा में असफलता से मेरी हिम्मत टूट गई। मुझे लगने लगा कि इंस्पेक्टर की नौकरी के साथ सिविल सर्विस परीक्षा पास करना मुश्किल है। 2017 में सोनीपत की एक गृहणी (4 वर्ष के बच्चे की मां) अनु दहिया द्वारा दूसरे प्रयास में यूपीएससी की इस परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल करने से परिवार ने मेरा हौसला बढ़ाया। हौसले, मेहनत और पूरे आत्मविश्वास के साथ 2018 में तीसरे प्रयास से 260वीं रैंक पर मेरा चयन इंडियन रेवन्यु सर्विस (आइआरएस) के लिए हुआ। फरीदाबाद स्थित नेशनल अकादमी ऑफ कस्टम, ऐंड डायरेक्ट टैक्सेज ऐंड नॉरकॉटिक्स (एनएसीआइएन) में आइआरएस के प्रशिक्षण के दौरान छुट्टी लेकर चौथे प्रयास में मैंने जमकर मेहनत की और उसके दम पर पहला स्थान हासिल करने में सफल रहा।
लगातार दो बार प्रारंभिक परीक्षा में ही असफलता के बाद तीसरे प्रयास में आइआरएस और चौथे प्रयास में देशभर में अव्वल स्थान पाने के लिए पढ़ाई का टाइम टेबल क्या रहा?
मैंने कभी टाइम टेबल बनाकर पढ़ाई नहीं की। पढ़ने के घंटे तय नहीं किए, पर चार वर्ष तक लगातार पढ़ाई जारी रखी। इन चार वर्षों में मैंने अपनी लेखन कला को बेहतर करने का प्रयास किया।
कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया पर सिविल सर्विस परीक्षा के लिए एच्छिक विषय लोक प्रशासन रखा?
यूपीएससी की इस परीक्षा में कंप्यूटर साइंस शामिल नहीं है। 2016 में पहले प्रयास के दौरान मैंने कुछ और भी एच्छिक विषयों पर विचार किया जिसमें मुझे लोक प्रशासन इसलिए बेहतर लगा कि भविष्य में एक प्रशासक के तौर पर भी यह विषय व्यावहारिक है।
इंटरव्यू में कोई ऐसा सवाल जिससे आपने बहुत सहज महसूस किया?
ऐसा सवाल आया, जब खुद को किसान का बेटा होने पर गर्व हुआ। करीब आधे घंटे के इंटरव्यू में एक सवाल पूछा गया “सरकार के दावे के मुताबिक 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो पाएगी?” मेरा जवाब था, “मुश्किल लगता है पर किसान को कहीं भी फसल बेचने की छूट के साथ भाव एमएसपी से अधिक मिलें तब यह संभव है।”
तैयारी के लिए कोचिंग ली?
मैंने कोई कोचिंग नहीं ली। घर पर ही अपने नोट्स बनाकर एच्छिक और सामान्य ज्ञान विषयों की तैयारी की। ताजे घटनाक्रमों की जानकारी के लिए आजकल इतने सारे डिजिटल ऑनलाइन मंच हैं जिन पर बहुत सी अच्छी सामग्री उपलब्ध है। बार-बार के प्रयास से रचनात्मक लेखन कला और निबंध लिखने में बहुत सहायता मिली।
2015 में यूपीएससी ने सिविल सर्विस परीक्षा प्रणाली में बड़ा परिवर्तन करते हुए प्रारंभिक परीक्षा के बाद की मुख्य परीक्षा में दो की जगह एच्छिक विषय एक कर दिया? इस परिवर्तन को आप कैसे देखते हैं?
इस परिवर्तन से मेरा सामना नहीं हुआ इसलिए अनुभव नहीं है। पर परीक्षा प्रणाली में समय-समय पर विशेषज्ञ कमेटियों की सिफारिश से हुए परिवर्तन के चलते यह परीक्षा देशभर के लाखों अभ्यर्थियों के बीच स्तरीय बनी हुई है।
पिछले पांच-सात वर्षों में बड़ा परिर्वतन देखने में यह आया है कि पहले जहां इस परीक्षा में पहले दस सफल प्रतिभागियों में दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, आइआइटी दिल्ली और कानपुर के छात्रों का दबदबा रहता है वहां अब देश के छोटे शहरों-कस्बों और गांवों से भी अभ्यर्थी पहले दस में आने लगे हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के नाते आप इस परिवर्तन को कैसे देखते हैं?
टेक्नोलॉजी ने यह खाई पाट दी है। छोटे शहरों, कस्बों और गांवों से आने वाले छात्रों को भी हर तरह की वही पाठ्य सामग्री ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध हो रही है जो महानगरों में पढ़ने रहने वालों को है।
पहला स्थान पा कर आप रातों-रात चर्चित सेलीब्रेटी हो गए। यह अनुभव कैसा है?
एक किसान के बेटे का पहला रैंक आने पर चर्चा जाहिर है। नतीजे के दिन ही मेरे टि्वटर अकाउंट पर फॉलोअर्स भी 10 हजार के पार हो गए।
कॉडर के तौर पर आपकी पंसद का राज्य कौन-सा है? उस राज्य के कल्याण के लिए आप क्या करना चाहेंगे?
मेरी पंसद हरियाणा है। यहां के लोग, यहां की संस्कृति के बीच पला-बढ़ा और पढ़ा हूं। किसानों और गरीब मजदूरों को करीब से देखा है इसलिए इनके लिए काम करूंगा।
सिविल सेवा परीक्षा के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए सफलता का कोई मूल मंत्र?
तैयारी के लिए घंटे तय करने के बजाय पाठ्यक्रम को एक तय अवधि में अच्छे से पढ़ने की रणनीति बनाएं। मेहनत और पूरे आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई लगातार जारी रखें। बगैर आत्मविश्वास के लगे रहने का कोई मतलब नहीं हैं। जो भी करें पूरे आत्मबल के साथ करें, तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।